Tradition is Mitani : दुनिया में सच्ची मित्रता निभाने के लिए सबसे सर्वाेच्च परंपरा है मितानी

Chhattisgarhi Festival Bhojli :

tradition is Mitani :दुनिया में सच्ची मित्रता निभाने के लिए सबसे सर्वाेच्च परंपरा है मितानी

Chhattisgarhi Festival Bhojli :
Chhattisgarhi Festival Bhojli : मित्रता का पर्व भोजली

tradition is Mitani : छत्तीसगढ़ की प्राचीन प्रथा परम्परा के अनुसार मित्रता का पर्व भोजली आज बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है।

tradition is Mitani : श्रावण के शुक्ल पक्ष के सप्तमी या अष्टमी के दिन किशोरियों द्वारा गेहूं के दाने पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ बोए जाते हैं। इससे ऊगे हुए पौधे “भोजली देवी” के रूप में प्रतिष्ठा पाते हैं। अर्थात “भोजली-गंगा” प्रकृति द्वारा प्रकृति की पूजा है। भोजली दाई की सेवा कर लड़कियां रक्षाबंधन के दिन राखी व प्रसाद चढ़ाती हैं।

tradition is Mitani : भोजली के विसर्जन के दिन, भोजली उगाने वाली लड़कियां श्रृंगार करती हैं फिर भोजली का विसर्जन तालाब में करती हैं।

Chhattisgarhi Festival Bhojli :
Chhattisgarhi Festival Bhojli : मित्रता का पर्व भोजली

tradition is Mitani : इस समारोह में समाज के लोग इस रिश्ते के साक्षी बनते हैं। इसमें न उम्र का बंधन होता है, न ही जाति का और न ही अमीरी-गरीबी इसमें आड़े नहीं आती। भोजली एक-दूसरे को सीताराम भोजली कहकर अभिवादन करते हैं। यह बंधन पारिवारिक और आत्मीय रिश्तों में तब्दील हो जाता है।

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tradition is Mitani : अपने तीज त्योहार पर्व की जानकारी अपने आने वाली पीढ़ियों के बताने के लिये स्वयं को ही प्रयास करना आवश्यक है। तभी वह सीख सकते है।

Chhattisgarhi Festival Bhojli :
Chhattisgarhi Festival Bhojli : मित्रता का पर्व भोजली

tradition is Mitani : छत्तीसगढ़ के लोगों में प्रेम, एकता पारिवारिक स्नेह और अटूट मित्रता के बंधन में बांधने के अनेक उपक्रम हैं। जैसे-गंगा जल, तुलसी जल, दौना पान, गजमूंद (रथयात्रा के पर्व पर) मितान, जंवारा (जंवारा पर्व में) महापरसाद आदि एक-दूसरे के हाथ में नारियल रखकर अदला-बदली करते हैं यही परंपरा है।

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भोजली के माध्यम से गांव के लोग स्नेह सूत्र में बंधते हैं, जिनसे मन मिलता है, जिनसे आचार-विचार मिलते हैं, जिससे प्रेम हो ऐसे साथी के कान में भोजली खोंचकर भोजली बदा जाता है।

 

 

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