Threat to chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के लिए खतरे की घंटी,महामाया की गर्मी से पोहा में उबाल

Threat to chhattisgarh :

राजकुमार मल

Threat to chhattisgarh : आशंका और तेजी की

Threat to chhattisgarh : भाटापारा- कमजोर आवक। पोहा क्वालिटी के धान की बढ़ती कीमत और प्रतिस्पर्धी राज्यों से कड़े मुकाबले से अब छत्तीसगढ़ की पोहा मिलें संकट में आने लगीं हैं। उपभोक्ता राज्यों की मांग में छत्तीसगढ़ भले ही अब भी अव्वल नंबर पर बना हुआ हो लेकिन खरीदी में जैसी तवज्जो गुजरात के पोहा को मिल रही है, उसे खतरे की घंटी माना जा रहा है।

Threat to chhattisgarh : पोहा क्वालिटी के धान को अपना प्रदेश हमेशा से बेहतर कीमत देता रहा है। पोहा की गुणवत्ता में छत्तीसगढ़ का कोई मुकाबला नहीं कर सकता लेकिन ताजा स्थितियां चिंता की बड़ी वजह बन रहीं हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ की पोहा उत्पादक मिलें धान की कमजोर आवक और बढ़ती कीमत जैसी समस्या से जूझ रहीं हैं। इसलिए मजबूरी में पोहा की कीमत बढ़ानी पड़ रही है। धान में जैसी तेजी आई है, वह पोहा मिलों को हैरत में डाल रही है। धारणा आने वाले दिनों में और तेजी की ही बनी हुई है।

 Threat to chhattisgarh : कमजोर आवक और निर्यात

 

संकट की बड़ी वजह कमजोर आवक और महामाया धान का निर्यात किये जाने को मुख्य माना जा रहा है। असर तेज होती कीमत के रूप में पोहा मिलों के सामने आ चुका है। अगली फसल के लिए अभी कम से कम तीन माह का इंतजार करना होगा। लिहाजा तेजी की धारणा, यह क्षेत्र लगातार व्यक्त कर रहा है।

Threat to chhattisgarh : गुजरात से कड़ा मुकाबला

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धान की कीमत कम। पोहा भी सस्ता। यह गुजरात का उत्पादन है। इसलिए उपभोक्ता राज्यों का रुझान है लेकिन जहां गुणवत्ता की बात आती है, वहां अपना छत्तीसगढ़ अब भी शिखर पर बना हुआ है। थोड़ी सी कसर कीमत को लेकर बनी हुई है, पर महंगाई के दौर में इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए छत्तीसगढ़ को गुजरात से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है।

इसलिए आ रही गर्मी

अपने शहर की पोहा मिलों को प्रतिदिन लगभग 20 हजार कट्टा पोहा क्वालिटी के धान की जरुरत होती है। आवक का हाल ऐसा है कि मांग की तुलना में आपूर्ति महज 15,000 कट्टा की ही हो रही है। प्रतिस्पर्धा माहौल में हो रही खरीदी के बीच महामाया धान 2150 से 2250 रुपये क्विंटल पर जा पहुंचा है। ऊंची कीमत पर खरीदी से पोहा की कीमत भी 3500 से 3800 रुपए क्विंटल पर जा पहुंची हैं। ऐसी स्थितियों में पोहा उत्पादन महज 60 फीसदी रह गया है।

पोहा क्वालिटी के धान में इतनी तेजी कभी नही आई। तेजी का असर पोहा की कीमत पर पड़ रहा है। नई फसल की आवक तक ऐसी स्थिति बनी रहने की संभावना है।

– कमलेश कुकरेजा, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ पोहा मिल एसोसिएशन, रायपुर

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