Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – कितने प्रासंगिक हैं प्रेमचंद
-सुभाष मिश्र मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास उनकी कहानियां उनके पूरे रचना संसार को आज के प्रसंग में किस तरह देखा जाए। आज हम प्रेमचंद को क्यों पढ़े क्या सिर्फ साहित्यिक तृष्णा को बूझाने या फिर हमारे सामाजिक सांस्कृतिक अवचेतना को और सुघर बनाने में प्रेमचंद आज भी कारगर है तो इस सवाल का जवाब है […]
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