Supreem court : ज्ञानवापी सर्वेक्षण पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय

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Supreem court : ज्ञानवापी सर्वेक्षण पर रोक लगाने मस्जिद समिति ने उच्चतम न्यायालय का खटखटाया दरवाजा 

Supreem court : नयी दिल्ली !  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति के खिलाफ मस्जिद समिति ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपनी विशेष अनुमति याचिका में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति वाराणसी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 03 अगस्त गुरुवार को पारित आदेश पर रोक लगाने की मांग की।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एम निज़ामुद्दीन पाशा ने पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई थी।

शीर्ष अदालत के समक्ष श्री पाशा ने सर्वेक्षण पर तत्काल रोक लगाने की गुहार लगाते हुए कहा, ‘मैंने विशेष अनुमति याचिका ईमेल कर दी है…उन्हें (सर्वेक्षण) जारी न रखने दें।’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने जवाब दिया, ‘हम इस पर तुरंत विचार करेंगे।’

मस्जिद का प्रबंधन करने वाली इस समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के कुछ घंटों के भीतर ही शीर्ष न्यायालय का रुख किया।‌ उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उस फैसले पर मुहर लगा दी थी, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी।

समिति ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में दलील दी है कि उच्च न्यायालय के आदेश को ‘इस तरह के अभ्यास से उत्पन्न गंभीर जोखिमों के कारण रद्द किया जा सकता है, जिसके पूरे देश में परिणाम हो सकते हैं।’

याचिका में पिछले साल एक सर्वेक्षण के लिए एक आयुक्त नियुक्त किए जाने पर ‘पूरे मुद्दे की अत्यधिक मीडिया कवरेज और सांप्रदायिक रंगों’ का हवाला दिया गया है।

इस आधार पर यह भी दावा किया गया कि ऐसी यह पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के ‘बिल्कुल’ खिलाफ थी। इस अधिनियम के तहत 15 अगस्त 1947 को प्रचलित धार्मिक स्थानों के स्वरूप को बनाए रखना अनिवार्य कर दिया था।

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उच्च न्यायालय ने 03 अगस्त को वाराणसी जिला अदालत के 21 जुलाई के आदेश के खिलाफ समिति की याचिका खारिज कर दी, जिसमें यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण का आदेश किया गया था कि क्या मस्जिद पहले से मौजूद मंदिर पर बनाई गई थी।

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