Srimad Bhagwat Katha शिव को पति के रूप में प्राप्त करने पार्वती ने मन में किया प्रतिज्ञा : दीपक कृष्ण महराज

Srimad Bhagwat Katha

Srimad Bhagwat Katha शिव को पति के रूप में प्राप्त करने पार्वती ने मन में किया प्रतिज्ञा : दीपक कृष्ण महराज

 

Srimad Bhagwat Katha सक्ती। कोटेतरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास पीठ पँ. दीपक कृष्ण महराज ने शिव पार्वती विवाह और शुकदेव जन्म की रोचक कथा का वर्णन किया। भागवत कथा को सुनने के लिए आसपास के सैकड़ों भक्त पहुंचे। भगवान के जयकारे लगातार लग रहे। कथा रोजाना 2 बजे से 7 बजे तक हो रही है।

Srimad Bhagwat Katha व्यासपीठ दीपक कृष्ण महाराज ने भक्तों को बताया कि हिमालय राज की कन्या पार्वती बड़ी होने लगती हैं। पार्वती ने मन में प्रण लिया की वह शिव को पति के रूप में प्राप्त करेंगी। देवता भी शिव को मनाते हैं कि वह पार्वती से विवाह कर लें लेकिन शिव इसके लिए तैयार नहीं हुए। माता पार्वती शिव को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या करती हैं।

भगवान शिव प्रसन्न हो विवाह के लिए तैयार हो जाते हैं। देवताओं , भूत ,पिशाचों को लेकर तन में भस्म लगाए शिव बारात लेकर हिमालयराज के यहां पहुंचते हैं। माता मैना दूल्हे का भेष देखकर डर जाती हैं और पार्वती का विवाह करने से मना कर देती हैं। सभी ने समझाया कि शिव कोई साधरण नहीं हैं, वह तो देवों के देव हैं।

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Srimad Bhagwat Katha उन्होंने बताया कि मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह होता है और देवता पुष्पों की वर्षा करते हैं। अगले प्रसंग में भगवान शिव माता पार्वती को अमर कथा सुना रहे हैं, माता को नींद आ जाती है और उनकी जगह एक तोता हुंकारी भरने लगता है। जब शिव को पता चला तो उन्होंने शुक को मारने के लिए त्रशूल छोड़ दिया। तीनों लोकों में भागता शूक व्यास के आश्रम पहुंचा और उनकी पत्नी के मुख से गर्भाशय में पहुंच गया। जहां वह बारह वर्ष तक रहे और भगवान कृष्ण के आश्वासन के बाद जन्म लिया। गांव के आसपास के लोग कथा श्रवण करने श्रद्धालुओं सैकड़ो लोग उपस्थित इस अवसर पर तमाम भक्तजन मौजूद रहे।

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