Srimad Bhagwat Katha Purana : ईश्वर से प्रेम करें, वासनाओं के त्याग से ही प्रभु से मिलन संभव- पं. श्रीकांत पाठक

Srimad Bhagwat Katha Purana

Srimad Bhagwat Katha Purana

 

Srimad Bhagwat Katha Purana : बेमेतरा जिला अंतर्गत मारो नगर के राधा कृष्ण मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा पुराण के दौरान महराज ने बताया कि
भक्त प्रह्लाद ने माता कयाधु के गर्भ में ही नारायण नाम का मंत्र सुना था। जिसके सुनने मात्र से भक्त प्रह्लाद के कई कष्ट दूर हो गए थे। कथा का आगाज गुरु वंदना के साथ किया गया।

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Srimad Bhagwat Katha Purana : भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार

से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की।

पंडित पाठक जी ने कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में जिस प्रकार के कर्म करता है उसी के अनुरूप उसे मृत्यु मिलती है। भक्त प्रहलाद के सत्कर्मों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रह्लाद की साधना,उनके सत्कर्म तथा ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा के परिणाम स्वरूप ही उन्हें वैकुंठ लोक प्राप्त हुआ।

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