कुछ बातें बल्लीमारान लाइव बैंड और पीयूष मिश्रा की

कुछ बातें बल्लीमारान लाइव बैंड और पीयूष मिश्रा की

रायपुर में शनिवार को पीयूष मिश्रा के बैंड बल्लीमारान का लाईव शो दीनदयाल आडिटोरियम में हुआ । ये रायपुर में उनका तीसरा शो था । वे रायपुर आते रहते हैं और हम जैसे मित्रों को अपनी कंपनी भी देते हैं । रायपुर में रोटरी क्लब की ओर से आयोजित ये शो यूँ तो बहुत सफल रहा किन्तु जिस तरह की आडियेन्श पीयूष मिश्रा के शो की जान होती है , वह नदारद थी । मुझे पिछले साल खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय के खुले प्रांगण में हुआ उनका शो याद है जहां हज़ारों की पब्लिक थी और उसमें युवाओं की भरमार । क्या माहौल , वायब्रेशन था ।पीयूष मिश्रा को पागलपन की हद तक चाहने वाले युवा दीनदयाल आडिटोरियम के बंद हॉल में पास के ज़रिए प्रवेश से वंचित रहे जिसकी कमी पूरे शो में खलती रही । 62 आयु में पानी पी पी कर किसी युवा गायक की तरह गाने वाले पीयूष मिश्रा ने अपनी चर्चित रचना एक बग़ल में चाँद होगा , एक बग़ल में रोटियाँ , आरंभ हैं प्रचंड है , वो हुस्ना मेरी , चवन्नी , व्हिस्की जैसी बहुत सी रचनाओं को अपने अंदाज से गाकर सबका दिल जीत लिया । पीयूष मिश्रा की आना और अंदाज सबसे निराला है ।
आयोजन से पहले रिहर्सल के दौरान मैंने और डॉ योगेन्द्र चौबे जो (पीयूष भाई की तरह NSDIYAN और रंगकर्मि होने की वजह से आत्मीय हैं ) काफ़ी बातचीत की । पीयूष भाई को घर परिवार , देश दुनिया , दोस्त यार सबकी चिंता है । वे NSD में इन दिनों क्या चल रहा है , तुम्हारा क्या है , सुभाष भाई रचना भाभी कौन सा नाटक करवा रही हैं तो लेकर सबकी खोज खबर लेते हैं । उनकी नई किताब , नयें क्रियेशन , म्यूज़िकल टूर को लेकर बातचीत होती । वे जल्दी ही दिल्ली , मुम्बई , बैंगलोर में बल्लीमारन का शो करने जा रहे है । अक्टूबर में वे अपनी टीम के साथ देश भर में प्रोग्राम करेंगे । मैं उनसे रायपुर में प्रोग्राम की बात करता हूँ वे अपने सहयोगी , जो उनका कामकाज देखते हैं राहुल गांधी ( कांग्रेस के पास ही नही पीयूष मिश्रा के पास भी एक राहुल गांधी हैं ) से बात करके सब तय कर लो कहते हैं ।
पीयूष हमेशा जब भी मिलते हैं हम सबको अपने घर परिवार के ही लगते हैं । पीयूष बातों बातों में कहते हैं की दुनिया में वो आदमी सबसे ख़ुशी है जिसे अच्छी कैयरिंग पत्नी मिली है । वे अपनी अराजकता से निकलने का श्रेय अपनी पत्नी को देते हुए संतुष्ट भाव से दोनों बेटों के सेटिल होने की , नये मकान में जल्दी शिफ़्ट होने की सूचना देकर एक थोड़ा निश्चिंत भाव मुद्रा में जो शायद उन्हें विपश्यना और योग ध्यान से मिली है , कहते हैं यार बढ़िया मन का गाओ , बजाओ , लिखो , लोगों से मिलो फिर आदत अनुसार एक गाली देते हुए कहते हैं ज़िंदगी में और क्या रखा है ।

बल्लीमारान इस शो अपनी अलग गायन , लेखन और अभिनय शैली के ज़रिए पूरे देश दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाले पीयूष मिश्रा बहुत संवेदनशील यारबाज और ज़मीनी व्यक्ति है । उनका अधिकांश लेखन अपने दिल्ली और मुम्बई के दिनों के संघर्ष का जब वे नाटकों में श्रेष्ठ करते हुए अनमने भाव से ही सही मुम्बई में दोस्तों की समझाई़श पर अपनी ज़मीन तलाश रहे थे । ग्वालियर से दिल्ली फिर दिल्ली से मुंबई तक की यात्रा में उन्होंने क्या-क्या भोगा , पाया इसका जीवंत दस्तावेज उनकी कुछ समय पहले आई किताब “ तुम्हारी क्या औक़ात है पीयूष मिश्रा “ है । राजकमल प्रकाशन से आई ये किताब बेस्ट सेलर है ।इसके पहले उनका फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के मशहूर शेर “ कुछ इश्क़ किया , कुछ काम किया “ संग्रह आया था जिसमें कविता , गीतों को समावेश था । शहीद भगत सिंह और उनके साथियों की संघर्ष यात्रा को लेकर एक्ट वन संस्था के लिए लिखा गया नाटक “गगन दमामा बाज्यो “आया था जो बहुत चर्चित हुआ । इस नाटक के देशभर में बहुत से शो हुए कुछ पीयूष मिश्रा की टीम और कुछ देशभर की रंग संस्थाओं के द्वारा किये गये ।। जब शहर हमारा सोता है’, ‘वो अब भी पुकारता है’, ‘तुम मेरी जान हो रजि़या बी’ (कविता-संग्रह); ‘मेरे मंच की सरगम’ (थियेटर के गीत) ।पीयूष मिश्रा की अब तक 14 किताबें आ चुकी है जिनमें से एक “आरंभ है प्रचंड है “ भी है ।कभी कामरेड रहे पीयूष मिश्रा कभी-कभी कम्युनिस्टों को गाली देने से भी बाज नहीं आते ।वे इस बात की भी क़तई चिंता नहीं करते की उनकी साफ़गोई और गालियों से भरी बातों का बाक़ी लोगों पर क्या असर पड़ेगा । वे बहुत ही बिंदास शैली में जीवन जीते हैं बातचीत करते है जिसमें गालियाँ आना आम है । जो उन्हें जानते है , उनके इसी रूप को पसंद करते हैं । वे मंच से अपनी शराबखोरी , इश्क़ के क़िस्सों को भी सुनाने से गुरेज़ नहीं करते ।

पीयूष मिश्रा यूथ की पसंद हैं, जिसकी वजह उनके जैसा भाव को लेकर चलना है । बक़ौल पीयूष मिश्रा मैं अपने वक्त की बातें नहीं करता ।मैं यूथ के जमाने में और वह जिस तरह से सुनना चाहते हैं, वैसी बातें करता हूं।बावजूद इसके वे उस तरह के प्रेम प्रसंग पर गाना जरूर गाते हैं ।मंच पर जब वे वे पुराने दिन वे सुहाने दिन गा रहे थे तो आडिटोरियम में बैठे बहुत से उम्रदराज़ लोग 60 से 90 के दशक को याद करके स्मृति लोक में पहुँच गये थे जब मोबाइल , सोशल मीडिया नहीं था । पीयूष कहते हैं की स्त्री पुरूष के बीच प्यार की अनुगूँज तो सदियों से रही है और रहेगी ।

पीयूष मिश्रा कहते है मैं युवाओं की समस्याओं के बारे में बात करता हूं। आज के समय में युवा बहुत कन्फ्यूज है और खास तौर पर फिल्म में आने वाले लोग बहुत कन्फ्यूज रहते हैं। मैं उनकी बातें सुलझाता हूं उनकी क्यूरियोसिटी को शांत करता हूं। फिल्म इंडस्ट्री को लेकर उनकी उत्सुकताओं को शांत करता हूं।
बात बल्लीमारान की “द पीयूष मिश्रा प्रोजेक्ट एक लाइव कॉन्सर्ट है जिसमें अब 14 लोगों का पूरा बैंड शामिल है। इसकी शुरुआत साल 2016 में तीन लोगों से हुई थी । बल्लीमारान पुरानी दिल्ली का वो मोहल्ला गली है जहां मिर्ज़ा ग़ालिब रहा करते थे बल्लीमारान बैंड का अलग-अलग शैलियों वाला संगीत रेट्रो और समकालीन धुनों का मिश्रण है और इसमें युवा, विद्रोही वाइब है। अपने दमदार और मुक्त-प्रवाह वाले गीतों के लिए जाना जाने वाला यह संगीत एक आकर्षक बातचीत जैसा लगता है।
देश के एक और बड़े रंगकर्मि नटसम्राट आलोक चटर्जी का सुबह यूँ ही फ़ोन आता है ।कहने लगे क्या हाल चाल है सुभाष भाई । मैंने कहा कल पीयूष भाई का बल्लीमारन का शो था । फिर उनको लेकर बहुत सी बात हुई । NSD के दो बेस्ट आर्टिस्ट और एक समय दोनों की अराजकता और नशेबाजी के क़िस्से मशहूर थे और आज दोनों इससे उभर कर अपने-अपने क्षैत्र के लेजेंड हैं । आलोक चटर्जी पीयूष भाई का NSD के सेकंड ईयर का क़िस्सा बताने लगे । आलोक हुबहू पीयूष भाई की आवाज़ ,स्टाइल में सारा क़िस्सा सुनाया । वैसे आलोक चटर्जी और इरफ़ान खान बैचमेट और रूम पार्टनर रहे । अपने थियेटर प्रेम के चलते वे मुम्बई नहीं गये पर आजकल OTT प्लेटफ़ार्म के कुछ रोल में जरूर कभी-कभी दिखाई देते है ।

आलोक चटर्जी बताने लगे की महेश महर्षि NSD के डायरेक्टर थे । सेकंड ईयर के बैच ने हेमलेट नाटक तैयार किया । उसके तयशुदा चार शो हुए । पीयूष मिश्रा मैनरोल में थे । शो की सफलता को देखते हुए हेमलेट के चार नये शो और तय कर दिये गये । जब यह बात पीयूष भाई को पता चली तो वे सीधे NSD डायरेक्टर मोहन महर्षि के कमरे जाकर कहने लगे की आपने हमसे बिना पूछे शो कैसे रख दिये । मोहन महर्षि को पीयूष मिश्रा की बात सुनकर ग़ुस्सा आया उन्होंने उन्हें NSD से निकालने की धमकी दी । पीयूष मिश्रा ने कहा की आप मुझे लैटर दो मै संसद के बाहर जाकर प्रदर्शन करूँगा । शाम को पीयूष मिश्रा NSD के चर्चित नीम के पास रखी सायकल लेकर सायकल से ही अपने घर ग्वालियर चले गये और वहाँ के डॉक्टरों से मिलकर बहुत सारी बीमारियों के प्रमाणपत्र भेज दिये ।
बहरहाल अपने तमाम क़िस्सों कहानियों के बावजूद पीयूष मिश्रा NSD की शान रहे और है ।मुझे लगता यदि पीयूष मिश्रा और आलोक चटर्जी मंच पर किस्सागोई करें तो यह अद्भुत होगा ।
मैंने पीयूष भाई से साहिर लुधियानवी की रचनाओं की प्रस्तुति करने का सुझाव दिया तो कहने लगे मेरा भी मन है । पीयूष के बल्लीमारन बैंड को ग़ालिब , मीर , फ़ैज़ के साथ साथ साहिर के रचनाओं को भी अपने अंदाज में प्रस्तुत करना चाहिए ।

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