Silger Padyatra सिलगेर पदयात्रा से डरे मंत्री को याद आया नक्सल प्रभावित ग्रामीणों से भेंट मुलाकात

Silger Padyatra

Silger Padyatra सीपीआई और आदिवासी महासभा की पदयात्रा

 

Silger Padyatra सिलगेर पदयात्रा से डरे मंत्री को याद आया नक्सल प्रभावित ग्रामीणों से भेंट मुलाकात का। ये बड़ा हास्यास्पद लगता है जब तीन साल में क्षेत्रीय विधायक और मंत्री कवासी लखमा को अपने विधासभा के लोगों की याद नहीं आई। सीपीआई और आदिवासी महासभा की पदयात्रा के बाद उन्हें अचानक उस क्षेत्र के लोगों की याद आ गई और निकल पड़े भेंट मुलाकात के लिए।

Silger Padyatra दोरनापाल !  सुकमा जिले के सिलगेर पदयात्रा की सफलता के बाद मंत्री कवासी लखमा की कुर्सी का एक टांग जरूर हिल गया है। यही कारण है कि सीपीआई की आमसभा के दूसरे दिन उन्हें सरकारी कार्यक्रम में राजनीतिक बयान बाजी करनी पड़ी।

Silger Padyatra  डेढ़ घंटे के भाषण में मंत्री लखमा ने डेढ़ सौ बार मनीष कुंजाम का नाम लिया। इतना ही नहीं उनके निजी के साथ व्यक्तिगत टिप्पणी तक कर डाली। राजनीति का गिरता स्तर और क्या हो सकता कि कोरोना में मनीष कुंजाम को बचाने की बात तक कह डाली। क्या भूपेश बघेल कांग्रेस के मुख्यमंत्री है। या फिर इस प्रदेश के। मनीष कुंजाम कोरोना पोस्टिव हो गए थे।

Silger Padyatra  गंभीर हालत में उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती किया गया। बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए स्वयं प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने हाल चाल जाना और मनीष कुंजाम को तत्काल रायपुर रिफर करने के निर्देश कलेक्टर सुकमा को दिए।

Silger Padyatra  कोरोना पीड़ित मनीष कुंजाम को इस बीमारी से उभरने में कई महीने लग गए। सीएम भूपेश बघेल की संवेदनशीलता की वजह से एक आदिवासी नेता की जान बच पाई। लेकिन आज सीएम भूपेश बघेल के कैबिनेट में मंत्री कवासी लखमा ने अपने अनपढ़ होने का परिचय दे ही दिया।

कवासी लखमा ने अपने भाषण में विपक्ष में बैठी भाजपा को छोड़ सीपीआई के मनीष कुंजाम पर हमला करते रहे। अगर मंत्री को सीपीआई की पदयात्रा से कोई फर्क नहीं पड़ा है तो राजीव भवन में होने वाले कार्यक्रम को मिनी स्टेडियम में करने की जरूरत क्यों पड़ गई।

भीड़ जुटाने के लिए हर ब्लॉक के 2000 लोगों को लाने का लक्ष्य पंचायत सचिवों को दिया गया। कवासी लखमा की बौखलाहट इससे बात से समझ सकते हैं कि कार्यक्रम के अंत मे उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए सीपीआई को खत्म करने का दावा कर दिया। कवासी लखमा सत्ता के नशे में चूर हो गए हैं। खुलेआम किसी राजनीतिक पार्टी का अस्तित्व खत्म करने की धमकी दे रहे हैं।

आदिवासी हितैषी का दावा करने वाले कवासी लखमा 25 साल से विधायक हैं। आखिर उनकी उपलब्धता क्या है। आदिवासियों के लिए उन्होंने कौन सा उल्लेखनीय काम किया है। निर्दोष आदिवासियों को जेल से छुड़ाने के वादे का क्या हुआ।

आज 1200 आदिवासियों को रिहा करने का झूठा प्रचार किया जा रहा है। बुर्कापाल में 121 आदिवासी 5 साल की सजा काटने के बाद निर्दोष साबित हुए है। तीन महीने पहले उनकी रिहाई हुई थी। आज कवासी लखमा ने उनसे मुलाकात की।

रही बात भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी की वह एक राजनीतिक पार्टी है हमेशा सिद्धांत और विचारों पर चलती है विचार और सिद्धांत को कोई ख़त्म नहीं कर सकता।

सुकमा जिले में जुआ का काला कारोबार कांग्रेस को सरकार में फल फूल रहा है। आदिवासी संस्कृति के नाम पर मुर्गा बाजार चलाया जा रहा है। कांग्रेस के नेताओं का संरक्षण सब चल रहा है। तोंगपाल से कोंटा तक गांव के गली-मोहल्लों में अवैध शराब बिक रहा है। पोलावरम पर कवासी लखमा शांत क्यों है। विपक्ष में बहुत शोर शराबा करते थे।

कवासी लखमा अपने आप को ईमानदार बताते नहीं थकते नही हैं। सुकमा जिला मुख्यालय में डेढ़ करोड़ का घर बन रहा है। वो घर आखिर है किसका है। कवासी लखमा अंदर से डर गए हैं। सिलगेर पदयात्रा को पहले अनुमति देने से मना कर दिया जब पदयात्रा सफल हो गई तो उन्होंने उसे फेल बता रहे है। और बोलते हैं कि केवल 70 लोग ही इस पदयात्रा में शामिल हुए।

मंत्री लखमा को ये क्यों नहीं दिखा रहा है कि 70 लोगो के काफिले के साथ शुरू हुई पदयात्रा का समापन हजारों की उपस्थिति में हुआ। कवासी लखमा लोगों और मीडिया के सामने जिसे फेल बता रहे हैं उन्हें भी पता है। सिलगेर पदयात्रा सफल हो गई।

जुबान से इनकार जरूर कर रहे हैं लेकिन अंदर ही अंदर डरे और सहमे है। सीपीआई की भीड़ ने एक बार फिर उनकी रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा दिया है। बौखलाहट में कुछ भी उल जुलूल बोल रहे हैं। कई सवाल हैं, बस्तर की जनता जानती है, कवासी लखमा की कथनी और करनी में अंतर है क्योकि चुनाव के दौरान जन घोषणा पत्र जारी कर वोट मांगा था आज तक एक भी मांग पूरा नहीं किया।।

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