Shrimad Bhagwat Mahapuran भव्य कलश यात्रा के साथ किया गया श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का शुभारंभ

Shrimad Bhagwat Mahapuran

Shrimad Bhagwat Mahapuran भव्य कलश यात्रा के साथ किया गया श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का शुभारंभ


Shrimad Bhagwat Mahapuran सक्ती ! ग्राम पंचायत टेमर में सात दिन तक चलने वाले श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का शुभारंभ भव्य कलश यात्रा के साथ किया गया ।

श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस ग्राम के श्रद्धालु महिला पुरुष युवाओं द्वारा ध्वजा एवं किशोरियों ने बड़े उत्साह के साथ कलश धारण कर एवं ध्वज हाथ में थाम कर कलश यात्रा में सहभागी लेते हुए ग्राम देवताओं एवं जलाशय में जाकर वरुण भगवान का आवाह्न एवं पूजन किया गया आचार्यों के द्वारा वेद मंत्रोच्चार के साथ वैदियों की प्रतिष्ठा एवं पुराण की प्रतिष्ठा व्यास पीठ पर की गई ।

Shrimad Bhagwat Mahapuran भागवताचार्य मनोज कृष्ण शास्त्री जी महाराज द्वारा प्रथम दिन भागवत महात्म्य का विस्तार से वर्णन कर बताया गया कि श्रीमद् भागवत एक अध्यात्म दीप है जो भाग्योदय होने पर ही किसी मनुष्य को प्राप्त होता है , यह व्यक्ति के धनवान होने अथवा केवल पुरुषार्थी होने के कारण नहीं होता , बल्कि मन को संकल्पित कर पिछले जन्मों के पुण्य अर्जित होने पर भागवत मिलता है ।

Shrimad Bhagwat Mahapuran  श्रीमद्भागवत रूपी सत्कर्म के पुण्य लाभ से सद्गति और मोक्ष की प्राप्ति होती है , इसी सत्कर्म को नारद जी के द्वारा करने पर भक्ति देवी के दोनों पुत्रों ज्ञान और वैराग्य को तरुण अवस्था मिली थी ।

भयानक प्रेत योनि में पड़ा हुआ धुंधकारी नाम का युवा जो अपने माता पिता को अपमानित कर दुख दिया जिसके कारण पिता घर छोड़कर चले गए और मां धुंधली कुएं में कूदकर प्राण दे दी ।

धुंधकारी यह कुसंस्कार का प्रतीक था इसकी हत्या वेश्याओं ने कर दिया , अकाल मृत्यु होने के कारण यह भयानक प्रेत बन गया जिसकी सद्गति के लिए गोकर्ण जी महाराज ने श्रीमद् भागवत रूपी सत्कर्म ही किया था और धुंधकारी को सद्गति मिली ।

Shrimad Bhagwat Mahapuran  भागवत की कथा केवल कथा ही नहीं है इसे आत्मसात कर मनुष्य अपने जीवन में नई उमंग के साथ भक्ति का आश्रय लेकर अपने जीवन को कृतकृत्य कर सकता है ।

आचार्य मनोज कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने बताया कि भागवत रूपी सत्कर्म यह देवताओं के लिए भी दुर्लभ है , आज तक किसी भी देवलोक में भागवत की कथा हुई नहीं है यह तो प्रथम बार हमारे भारत देश की पुण्य धरा पर भगवान श्री कृष्ण के स्व लोक गमन उपरांत 30 वर्ष बीतने पर हुई थी जिसे आज हम सब शुक्रताल के नाम से जानते हैं l

भागवत गृहस्थ मैं रहने वाले परिवार और युवाओं की कथा है , इसके प्रथम वक्ता भी 16 साल के हैं । कथा हमारे जीवन की व्यथा को हर लेती है , इसलिए वेद रूपी कल्पवृक्ष पर लगे हुए श्रीमद्भागवत रूपी फल का रसपान बार बार करना चाहिए ।

Shrimad Bhagwat Mahapuran प्रथम दिवस के पूरे कार्यक्रम में सैकड़ों श्रोताओं ने बड़े उत्साह से भाग लिया इस अवसर पर करुणा राजेंद्र शर्मा पुनम देवेन्द्र शर्मा डॉक्टर हीरालाल श्रीदेवी शर्मा दीनदयाल गबेल पूर्णा गबेल रश्मि तिवारी दीपक तिवारी लक्की राठौर हुलेश राठौर पी टी उपाध्याय सहित अनेक श्रोता गण उपस्थित थे ।

श्रीमद्भागवत यज्ञ महोत्सव के आयोजक श्रीमती करुणा राजेंद्र शर्मा ने अधिकाधिक संख्या में कथा श्रवण करने का आग्रह किया गया है कथावाचन के बाद महाआरती महा प्रसाद वितरण किया गया`

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