(Shrimad Bhagwat) आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री ने सुनाई श्रीमद् भागवत में कृष्ण जन्म उत्सव की कथा

(Shrimad Bhagwat)

(Shrimad Bhagwat) आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री ने सुनाई श्रीमद् भागवत में कृष्ण जन्म उत्सव की कथा


(Shrimad Bhagwat)  सक्ती ! ग्राम पंचायत सकर्रा में चंद्रा परिवार द्वारा में श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव के आयोजन के चौथे दिन व्यासपीठ से आचार्य पंडित नरेंद्र नयन शास्त्री द्वारा भगवान श्री कृष्ण के प्राकट्य उत्सव की कथा का सरस वर्णन विस्तार पूर्वक किया गया ।

(Shrimad Bhagwat) आचार्य ने बताया कि श्री कृष्ण लीला पुरुषोत्तम है जिनकी समस्त लीलाओं में अद्भुत और चमत्कारिक घटनाक्रम के साथ सारे विश्व के लिए संदेश भी प्रेरणास्पद स्वरूप है । भागवत की कथा हमारे पौराणिक काल की दिव्य संस्कृति , परंपराएं और सनातन धर्म के प्रति गौरव का भाव प्रकट करती है तो यही वर्तमान का शोध भी और भविष्य की योजनाएं भी बताती है ।

(Shrimad Bhagwat)  पुराणों की कथाएं केवल सुनने के लिए ही नहीं होती बल्कि इन्हें अपने जीवन में आत्मसात कर उतारने की आवश्यकता होती है , केवल सुनने के लिए सुनने से जीवन में कोई अंतर आता नहीं है । कथाओं के माध्यम से मनुष्य भागवत परायण बनते हैं और जीवन का लक्ष्य भी प्राप्त होता है ।

आचार्य पंडित नरेंद्र नयन शास्त्री द्वारा समुद्र मंथन , वामन अवतार , श्री राम चरित्र और भगवान श्री कृष्ण के प्राकृतिक की कथा सुनाई गई , उन्होंने बताया कि संसार के समस्त प्राणी अपने कर्मों के कारण ही जन्म प्राप्त करते हैं किंतु भगवान का जन्म करुणा और कृपा करने के लिए होता है ।

(Shrimad Bhagwat) राजा बलि ने तीन पग में बामन भगवान को अपना सर्वस्व दान दे दिया। सर्वस्व समर्पण की भावना रखने पर भगवान स्वयं दानदाता के कर्जदार बन जाते हैं , और उन पर कृपा करते ही रहते हैं । राजा बली को भगवान ने रसातल का राज्य ही नहीं दिया बल्कि उसे हमेशा के लिए चिरंजीवी बना दिया और स्वयं उसके द्वारपाल बन गए ।

(Shrimad Bhagwat)  नवम स्कंध में श्री राम की कथा का वर्णन करते हुए आचार्य नयन शास्त्री ने बताया कि श्री राम तो साक्षात धर्म की मूर्ति के रूप में त्रेता युग में अवतार लिए थे और धर्म तथा मर्यादा का पालन करना सिखाया । श्री राम के जीवन चरित्र को आदर्श मानकर सभी को पालन करने की आवश्यकता है ,। अपने घर के बच्चों को दिव्य संस्कार देकर राम जैसा ही चरित्रवान बनाया जा सकता है , सभी मां यही चाहती हैं कि मेरा बेटा राम जैसा बने और सभी बेटियां चाहती हैं की मेरे पिता राम जैसे हो ।

(Shrimad Bhagwat) प्रत्येक वर्ष दशहरा उत्सव मनाते हुए रावण दहन की प्रथा चली आ रही है , रावण का वध तो हर साल होते रहता है किंतु मनुष्य के अंदर छिपे रावण का अंत नहीं हो पाता । इसलिए जरूरी यह है कि अपने अंदर की बुराई को समाप्त कर श्रीराम के आदर्शों को जीवित रखे ।

(Shrimad Bhagwat) चौथे दिन की कथा में ग्राम पंचायत सकर्रा सहित आसपास के दूरदराज से ग्रामों के सैकड़ों श्रोताओं ने कथा श्रवण सहित मधुर संगीत एवं जीवंत झांकियों का दर्शन लाभ प्राप्त किया । भागवत ज्ञान यज्ञ के आयोजक चंद्रा परिवार द्वारा कथा श्रवण कर पुण्य लाभ प्राप्त करने आग्रह किया गया

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