खैरागढ़- नगर स्थित ममता परिसर मे श्री गोपाल सिंह दीक्षित एवम समस्त परिवार के द्वारा आयोजित
श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस कथा व्यास आचार्य श्री रामप्रताप शास्त्री जी महाराज ने सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान शास्त्री जी ने जड़ भरत की कथा में कहा – हमें कभी आशक्ति नहीं करना चाहिए आशक्ति ही थी जिसके कारण भरत जी महाराज को हिरण का जन्म मिला
शास्त्री जी ने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की।।।
श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए।।। समस्त नगर वासी अत्यधिक संख्या में उपस्थित होकर पावन कथा का लाभ ले रहे है।।।
परिवार के सभी सदस्य अतिथियों का स्वागत करते हुए भोजन प्रसाद की व्यवस्था किए है। जिसका सभी भक्त बृंद लाभ उठा रहे।
सत्संग में वह शक्ति है जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है, आचार्य श्री शास्त्री
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