Rural drinking water ग्रामीण पेयजल के लिए समय अनुरूप बदलते संसाधन

Rural drinking water

Rural drinking water बृजेन्द्र सिंह यादव

Rural drinking water देश की आजादी और फिर राज्य का गठन जैसी घटनाओं का साक्ष्य इतिहास के रूप में हमारे सामने उपस्थित रहा है। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। कल, आज और कल के पूरे परिदृश्य में जल प्रत्येक जीव की पहली जरूरत रही है। कालांतर में ग्रामीण आबादी की पेयजल व्यवस्था के स्रोत कुआँ, बाबड़ी, तालाब, पोखर और नदियाँ जरूर रहे हैं, लेकिन परिवार की जल व्यवस्था की जिम्मेदारी हमारी आधी आबादी (महिलाओं) पर ही रही है। पानी के स्त्रोत कितनी भी दूर हों और मौसम कैसा भी दुष्कर, पर पानी लाने का काम माँ, बहन, बहू और बेटियों को ही करना होता था।

मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना (एक नवंबर 1956) के बाद लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का गठन वर्ष 1969 में हुआ। विभाग द्वारा प्रदेश के नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल प्रदाय की योजनाएँ तैयार कर क्रियान्वयन प्रारंभ किया गया। दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में जहाँ पेयजल के स्त्रोत नहीं थे, वहाँ पर केलिक्स-रिंग मशीन द्वारा हैण्डपंप स्थापित कर आम जनता को शीघ्र पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाती रही है। इस व्यवस्था के लिए करीब 5 लाख 55 हजार हैण्डपंप की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में की गई थी, जो लगातार क्रियाशील है।

Rural drinking water  पेयजल गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों में शुद्ध और सुरक्षित पेयजल प्रदाय के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन सहित पेयजल स्त्रोतों की जल-गुणवत्ता की निगरानी और अनुश्रवण सहित सहायक गतिविधियों का संचालन भी निरंतर हो रहा है। केन्द्र सरकार से शत-प्रतिशत अनुदान आधारित गतिवर्धित ग्रामीण जल-प्रदाय कार्यक्रम पर वर्ष 1972 से अमल शुरू हुआ। इसमें 40 लीटर प्रति व्यक्ति, प्रति दिन के मान से सभी ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था के कार्य किए गए।

Rural drinking water त्रि-स्तरीय पंचायत राज व्यवस्था के बाद वर्ष 1995 में नगरीय क्षेत्रों में पेयजल प्रदाय के संचालन और संधारण का कार्य संबंधित नगरीय निकायों को सौंपा गया। इसके बाद से ही पीएचई विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धारित मापदंड और गुणवत्ता पूर्ण पेयजल उपलब्ध कराने के दायित्व का निर्वहन कर रहा है।

Rural drinking water समय के अनुरुप होते परिवर्तन:प्रदेश के विकास और जन-कल्याण के लिए समय के अनुरूप बदलाव की आवश्यकता और सुगमता को देखते हुए प्रदेश में मुख्यमंत्री पेयजल योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के कार्य प्रारंभ किये गये। इनमें ग्रामीण आबादी के घरों में नल कनेक्श्न से पेयजल उपलब्ध करवाने का कार्य हुआ। केंद्र, राज्य और वित्तीय संस्थाओं के सहयोग से अप्रैल 2020 तक 17 लाख 72 हजार ग्रामीण परिवारों तक नल कनेक्शन से जल पहुँचाया गया।

Rural drinking water मिशन ने दी ग्रामीण पेयजल व्यवस्था को नई दिशा:प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का देश की ग्रामीण आबादी के लिए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ऐसा वरदान है जो उनकी पेयजल की कठिनाइयों को पूरी तरह दूर कर देगा। आजादी के बाद श्री मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने ग्रामीण परिवारों की पेयजल व्यवस्था की बड़ी कठिनाई को समझा, उस पर गंभीरता से चिंतन किया और निदान के लिये जल जीवन मिशन की घोषणा कर उसे मूर्तरूप दिया।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की करीब सवा पांच करोड़ ग्रामीण आबादी के लिए जल जीवन मिशन में तत्काल कार्य प्रारंभ करवाये। मिशन को सरकार की प्राथमिकता में रख कर निरंतर प्रगति की समीक्षा करते हुए जल प्रदाय योजनाओं के कार्य गुणवत्तापूर्ण और जल्दी पूरा करने के लिए विभागीय अमले से संवाद कर उन्हें प्रेरित किया। जून 2020 में मिशन के कार्य जब प्रारंभ हुए तो देश के साथ मध्यप्रदेश भी कोविड-19 के लॉकडाउन से गुजर रहा था। कोविड-19 और दो वर्षा काल के बाबजूद 20 लाख से अधिक वार्षिक लक्ष्य वाले 12 बड़े राज्यों में मध्यप्रदेश ने अपना अच्छा स्थान लगातार बनाये रखा है।

मिशन में मध्यप्रदेश के बुरहानपुर को देश का शत-प्रतिशत हर घर जल सर्टिफाइड जिला होने का प्रथम पुरस्कार राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु से प्राप्त हुआ है। अब तक प्रदेश के 6 हजार 783 ग्राम शत-प्रतिशत हर घर जल युक्त हो चुके हैं, इनमें से केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा सर्वाधिक सर्टिफाइड घोषित ग्रामों की संख्या मध्यप्रदेश की ही है। अब तक प्रदेश के 53 लाख 97 हजार 911 ग्रामीण परिवारों तक नल से जल पहुँचाया जा चुका है। इसी श्रंखला में ग्रामीण क्षेत्र में संचालित 41 हजार 271 आँगनवाडिय़ों और 71 हजार 92 शालाओं में नल कनेक्शन से जल उपलब्ध करवाने की व्यवस्था भी की गई है। शेष शालाओं एवं आँगनवाडिय़ों में भी नल कनेक्शन के कार्य निरंतर जारी हैं।

हमारा प्रदेश 12 बड़े राज्यों में सर्वाधिक ग्रामों को शत-प्रतिशत हर घर जल उपलब्ध करवाने में दूसरे पायदान पर है।
विभाग की मिशन की व्यूह-रचना में प्रदेश के करीब एक करोड़ 20 लाख लक्षित ग्रामीण परिवारों में से शेष रहे परिवारों को केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित वर्ष 2024 की समय-सीमा में नल कनेक्शन से जल पहुँचाना है। विभागीय सर्वेक्षण में 10 हजार 409 ग्राम स्त्रोत विहीन पाये गये हैं। राज्य शासन ने इन ग्रामों की जल-प्रदाय योजनाओं के लिए जल-स्त्रोत आकलन समिति गठित की है, जो वैकल्पिक स्त्रोत के संबंध में सूक्ष्म परीक्षण कर रिपोर्ट देगी जिसके आधार पर जल-संरचनाओं के निर्माण के कार्य प्रारंभ किए जा सकेंगे।

आने वाला कल-हर घर होगा जल
केन्द्र और राज्य सरकार के 50-50 प्रतिशत व्यय भार से संचालित जल जीवन मिशन में अब तक 49 हजार 776 करोड़ रूपये लागत की जल-प्रदाय योजनाएँ स्वीकृत की जा चुकी हैं। इनमें 36 हजार 464 करोड़ की समूह और 13 हजार 312 करोड़ की एकल जल-प्रदाय योजनाएँ शामिल है। मिशन में प्रदेश के लक्षित 51 हजार 548 ग्रामों में से 41 हजार 139 में जल-प्रदाय योजनाओं के कार्य प्रारंभ किए जा चुके हैं। शेष जल-स्त्रोत विहीन ग्रामों के संबंध में राज्य स्तरीय समिति आकलन का कार्य कर रही है।

प्रदेश के 23 हजार से अधिक ग्रामों की जल-प्रदाय योजनाओं के कार्य 60 से 90 प्रतिशत प्रगतिरत हैं। जल-स्त्रोत विहीन ग्रामों का सर्वे कार्य शुरू किया जा चुका है। मिशन में लक्ष्य से भी बड़े अपने हौंसले के साथ हम निश्चित ही अपेक्षित और सकारात्मक परिणाम हासिल करेंगे। आने वाला कल प्रदेश के हर ग्रामीण परिवार तक नल से जल पहुँचाने के उद्देश्य की पूर्ति का साक्षी होगा।
0-लेखक, राज्य मंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग है।

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