(Reservation) आरक्षण की समाप्ति पर आक्रोशित सर्व आदिवासी समाज

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(Reservation) छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आरक्षण को लेकर दिए गए निर्णय

(Reservation) चारामा . छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आरक्षण को लेकर दिए गए निर्णय और वर्तमान प्रदेश सरकार और पूर्व की सरकारों के द्वारा आरक्षण पर किसी भी प्रकार का जवाब नहीं दिये जाने से आरक्षण की समाप्ति पर आक्रोशित सर्व आदिवासी समाज के द्वारा निर्णय और सरकार के खिलाफ 10 अक्टूबर सोमवार को एक दिवसीय महा बंद का ऐलान किया , जिसके तहत पूरा नगर और आसपास का ग्राम पूरी तरह से बंद रहा। प्रतिष्ठा भी पुणता बंद रही !

(Reservation) वही आदिवासी समाज के द्वारा ग्राम जैसाकर्रा धाम में पूजा अर्चना के बाद नेशनल हाईवे से एक रैली निकाली, जो कोरर चौक पहुंची, चौक में रामप्रसाद जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद रैली हाईवे से बस स्टैंड और आगे सदर बाजार से होते हुए कोरर चौक पहुंची, जहां कोरर चौक मैदान में संबोधन का कार्यक्रम किया जाना सुनिश्चित किया गया था ,शासन से अनुमति अनुसार रैली के बाद सभा के संबोधन का कार्यक्रम होना था, लेकिन आदिवासी समाज की संख्या इतनी अधिक थी कि नेशनल हाईवे में रैली के दौरान ही चक्का जाम लग गया, और आक्रोशित भीड़ ने इस चक्का जाम को और बढ़ा दिया। जहां रैली चौक में समाप्त होकर सभा में तब्दील होनी थी !

(Reservation) इसके लिए अलग से मंच मैदान में सजाया गया था ,लेकिन लगभग 5000 से अधिक की भीड़ मैदान में ना रुक कर नेशनल हाईवे पर कोरर चौक में ही रुक गई और पूरे हाईवे को जाम कर दिया गया,प्रशासन से एस डी एम ,तहसीलदार एवं थाना और समाज के कुछ लोगों ने भी समाज के लोगों को समझाने का प्रयास किया कि अनुमति रैली का है ,चक्का जाम की अनुमति नहीं है। फिर भी आक्रोशित भीड़ ने प्रशासन एवं समाज के पदाधिकारियों की एक भी ना सुनी और वहीं धरने पर बैठ गए नेशनल हाईवे 2 घंटे तक जाम रहा !

(Reservation) इस दौरान हाई कोर्ट के द्वारा वर्तमान में आरक्षण की समाप्ति पर दिए गए निर्णय और साथ ही साथ छत्तीसगढ़ में वर्तमान और पूर्व की सरकारों के द्वारा समय पर जवाब नही दिए जाने और सरकारों के द्वारा किस तरह की लापरवाही की गई, जिससे आज सभी समाज का आरक्षण समाप्ति की ओर जा रहा है,समाज के लोगों को जानकारी दी गई। 32% आरक्षण के लिए आदिवासी समाज ने किया प्रांतव्यापी संघर्ष का आगाज़

(Reservation) उच्च न्यायालय बिलासपुर के द्वारा दिनांक 19.09.2022 को दिये गये फैसले के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य आरक्षण अधिनयम 2012 अमान्य हो गया है। इस फैसले से छत्तीसगढ़ राज्य में आज छ ग सर्व आदिवासी समाज के आह्वान पर पूरे छत्तीसगढ़ प्रान्त के सभी विकासखंडो को बंद कर रैली आंदोलन, धरना प्रदर्शन कर महामहिम राष्ट्रपति महोदया, महामहिम राज्यपाल महोदया , मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़, मुख्य सचिव, अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति आयोग , अपने अपने क्षेत्र के सांसद व विधायक के नाम ज्ञापन सौपा गया।


(Reservation) छत्तीसगढ़ प्रदेश में हाईकोर्ट के फैसले से आदिवासी समाज के 32% आरक्षण कम होकर 20% हो गया इस फैसले से प्रदेश में शैक्षणिक (मेडिकल, इंजीनिरिंग, लॉ, उच्च शिक्षा) एवं नए भर्तियों में आदिवासियों को 12% का नुकसान हो रहा है। राज्य बनने के साथ ही 2001 से आदिवासियों को 32% आरक्षण मिलना था परंतु नहीं मिला।

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(Reservation) केंद्र के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के द्वारा जारी 5 जुलाई 2005 के निर्देश अनुसार जनसंख्या अनुरूप आदिवासी 32%, एससी 12%, और ओबीसी के लिए 6% को c और d ग्रुप के पदों के लिए जारी किया गया था | छत्तीसगढ़ शासन को बारंबार निवेदन आवेदन और आंदोलनों के बाद आरक्षण अध्यादेश 2012 के अनुसार आदिवासियों को 32%, एस सी 12% एवं ओबीसी को 14% दिया गया !

(Reservation) अधिनियम को हाई कोर्ट में गुरू घासीदास दास साहित्य अकादमी रायपुर द्वारा हाइकोर्ट बिलासपुर में अपील किया गया छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जनजाति समुदाय की सामाजिक आर्थिक शैक्षणिक स्तर की संख्यातमक डेटा एवम् विधिक सही तथ्य नहीं रखने से हाईकोर्ट ने आरक्षण अध्यादेश 2012 को अमान्य कर दिया। अभी तक छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कोई ठोस पहल आदिवासियों के लिए नहीं किया गया इसके विपरीत छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सभी भर्तियों एवं शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश एवम भर्ती के लिए हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार आदेश जारी करने लगा ।

(Reservation) छतीसगढ़ में 60% क्षेत्रफल पांचवी अनुसूचित क्षेत्र के तहत अधिसूचित है, जहां प्रशासन और नियंत्रण अलग होगा । अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जनसंख्या 70% से लेकर 90% से ज्यादा है और बहुत ग्रामो में 100% आदिवासियों की जनसंख्या है। अनुसूचित क्षेत्रो में ही पूरी संपदा ( वन, खनिज और बौद्धिक) है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से पिछड़ा हुआ है। संवैधानिक प्रावधान के बाद भी आदिवासी बाहुल्य पिछड़े प्रदेश में आदिवासियों को आरक्षण से वंचित करना प्रशासन की विफलता और षड्यंत्र है।
सर्व आदिवासी समाज कांकेर जिला के युवा प्रभाग अध्यक्ष योगेश नरेटी ने कोया टूडे को बताया कि छत्तीसगढ़ में आरक्षण के लिए आवेदन के साथ लोकतान्त्रिक तरीके से आंदोलन करने के लिए समाज बाध्य होगा।

साथ ही आदिवासी समाज कि आवश्यक मांगे है –

01 पेशा कानून नियम में ग्राम सभा का अधिकार कम न किया जाये ।
02 बस्तर एवं सरगुजा में तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की भर्ती 100 प्रतिशत स्थानीय किया जाये ।
03 केंद्र के द्वारा वन अधिकार संरक्षण अधिनियम 2022 को लागू न किया जाये ।
04 हसदेव आरण्य क्षेत्र में आदिवासी एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु कोल खनन बंद किया जाये ।
05 प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में आपसे आग्रह है छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए अतिशीघ्र 32%
आरक्षण लागू किया जाए ताकि आदिवासियों का शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक विकास हो सके ।

 

सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग के संभाग अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने बताया कि राज्य में जनजाति समुदाय आरक्षण 32% से 20% करने तथा अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रुप सी एवं डी के पदों पर स्थानीय भर्ती को भी अपास्त किया गया है । हाईकोर्ट के फैसले को सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग द्वारा सुप्रीम कोर्ट में स्टे लेने हेतु याचिका दायर कर दी गई है ठाकुर ने आगे बताया कि उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में केस डायरी में दर्ज हो गई है आगामी दिनों में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई करेगा।

(Reservation) छत्तीसगढ़ प्रांत के सभी विकासखंडों में आज आंदोलन किया गया जिसमे समाज प्रमुखों, जन प्रतिनिधियों, आदिवासी समुदाय के महिला पुरूष व युवा- युवतियों, अधिकारियों एवं कर्मचारी आरक्षण बचाओ आंदोलन में अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित हुए । ख़बर है कि आज का आंदोलन पूरे राज्य के साथ ही बस्तर संभाग के कांकेर कोंडागांव सुकमा दंतेवाड़ा नारायणपुर बीजापुर बस्तर जिले के सभी ब्लॉक में भी व्यापक जन आक्रोश के साथ प्रदर्शन किया गया है।

(Reservation) वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों के साथ चर्चा के दौरान समाज को आश्वस्त किया है कि आगामी 17 अक्टूबर की मंत्रिमंडल की बैठक में अनुसूचित जनजाति समुदाय के आरक्षण को लेकर समाज हित में फैसला लिया जाएगा अब देखने वाली बात यह है कि 17 तारीख को राज्य सरकार द्वारा क्या फैसला लिया जाता है और राज्य में आरक्षण का आंदोलन सर्व आदिवासी समाज किस ओर ले जाती है विदित हो कि छत्तीसगढ़ राज्य में विधानसभा चुनाव होने के लिए मात्र 1 वर्ष है और राज्य में सरकार बनाने हेतु आदिवासी समाज की 29 विधानसभा क्षेत्र आरक्षित हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में सरकार बनाने में आदिवासी समाज की हमेशा से निर्णायक भूमिका रही।

(Reservation) संबोधन का कार्यक्रम पूरा चलता रहा,सरकार के खिलाफ जमकर नारे बाजी हुई अंत में समाज के पदाधिकारियों के द्वारा एसडीएम और तहसीलदार को महामहिम राष्ट्रपति, महामहिम राज्यपाल ,मुख्यमंत्री मुख्य सचिव, अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति आयोग ,सांसद और विधायक के नाम ज्ञापन सौंपा, इस ज्ञापन में वर्तमान में हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए आदेश को सुप्रीम कोर्ट में जल्द से जल्द चुनौती दिए जाने की मांग के साथ आरक्षण को यथावत रखे जाने ,पांचवी अनुसूची क्षेत्र में आदिवासियों को मूल अधिकार नहीं मिलने के कारण पृथक बस्तर राज्य का बनाने, पेसा कानून नियम में ग्राम सभा का अधिकार कम ना किया जाए !

(Reservation) बस्तर एवं सरगुजा में तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की भर्ती 100 पदों पर किया जाए, केंद्र के द्वारा वन अधिकार संरक्षण अधिनियम 2022 को लागू न किया जाए, हसदेव आरण्य क्षेत्र में आदिवासियों एवं पर्यावरण संरक्षण क्षेत्र हेतु कोल खनन बंद किया जाए, कमलप्रीत सिंह सचिव सामान्य प्रशासन विभाग छत्तीसगढ़ को बर्खास्त किया जाए, साथ ही संविधान के भाग 10 के अनुच्छेद 244( 1) पांचवी अनुचित के अधिकारों का हनन पर रोक एवं अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा की मांग रखी गई।

(Public rights march) अपने राजा से मिलने आतुर दिखे पतेरापाली कंचनपुर बगबुड़वा डोड़की जांजग बैलाचुआ जगदल्ला जगदल्ली के लोग

(Reservation)  ज्ञापन सौंपने के दौरान अकबर कोर्राम प्रांत अध्यक्ष गोड़वाना समाज, विजय ठाकुर संरक्षक, जीवन ठाकुर जिला अध्यक्ष, गौतम ठाकुर सर्व आदिवासी समाज ब्लॉक अध्यक्ष, लक्ष्मीकांत गावडे सर्व आदिवासी समाज महासचिव,रैनसिंह कांगे ब्लॉक अध्यक्ष गोंडवाना समाज, श्याम सिंह तारम प्रांत महासचिव, महेंद्र गावडे सचिव सर्व आदिवासी समाज जिला, रवि नायक ,राजेंद्र सलाम,कमल तारम,देवानंद कुरैटी, अश्वन कुंजाम, हितेश शोरी,हरिश्चंद कांगे,बलराम त्रेता,रोहित नेताम,हेम मंडावी,आनंद मरकाम,ललित गोटी,उषा वट्टी,सहित बड़ी संख्या में लगभग 5000 से अधिक की संख्या में आदिवासी समाज के पदाधिकारी युवक युवतियां महिला पुरुष अधिकारी कर्मचारी हर वर्ग के लोग धरने में सम्मिलित हुए और आगे सरकार के द्वारा इस पर किसी भी प्रकार का निर्णय जल्द नहीं ले जाने पर आगे और उग्र आंदोलन वृहद रूप से करने की चेतावनी भी दी।

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