Record paddy production : धान भूसा में टूट की आशंका को देखते हुए अंतरप्रांतीय कारोबार पर रोक हटाने की जरूरत

Record paddy production :

राजकुमार मल

 

Record paddy production : सीजन ऑफ, धान भूसा का भाव लगा रहा गोता

 

 

Record paddy production : बलौदाबाजार –भाटापारा-सीजन ऑन धान का। सीजन ऑफ धान भूंसे का। ऐसे में 1000 रुपए की रिकॉर्ड टूट आ चुकी है धान भूसा में। आने वाले दिनों में और टूट की आशंका को देखते हुए बंद अंतरप्रांतीय कारोबार के द्वार खोले जाने की जरूरत बताई जा रही है।

रिकॉर्ड धान उत्पादन को देखते हुए जिले की राइस मिलें पूरी क्षमता के साथ संचालन में हैं। घरेलू और उपभोक्ता राज्यों की मांग, चावल में है, तो कस्टम मिलिंग के जरिए सरकार के गोदामों में चावल जा रहा है। बड़ी समस्या राइस मिलों के सामने इस समय, यह है कि निकल रहे धान भूसा का प्रबंधन कैसे किया जाए ? क्योंकि इसका सीजन अब ऑफ हो चुका है। जो मांग है, उसकी मात्रा और कीमत पर्याप्त नहीं है।

Record paddy production :  दौर ऑफ सीजन का

 

नवंबर से लेकर मार्च के अंतिम सप्ताह तक के महीने धान भूसा के लिए ऑफ सीजन माने जाते हैं। बाद के महीने उठाव वाले होते हैं लेकिन इस बरस ऑफ सीजन का दौर लंबा हो सकता है क्योंकि धान उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि देखी जा रही है। लिहाजा उपलब्धता दीर्घकाल तक बने रहने की संभावना है, ऐसे में मंदी भी बनी रहेगी और प्रबंधन पर व्यय भार भी बढ़ेगा।

Record paddy production :  अंतरप्रांतीय कारोबार पर रोक

 

अहम स्थान रखतीं हैं, जिले की राईस मिलें लेकिन यह ईकाइयां धान भूसा के अंतरप्रांतीय कारोबार पर प्रतिबंध से बेहद परेशान हैं। प्रबंधन तो चुनौती है ही, साथ ही टूटती कीमत भी हताश कर रही है। मिलों का मानना है कि धान भूसा के अंतरप्रांतीय कारोबार पर लगा प्रतिबंध खत्म किया जाना चाहिए। इससे प्रबंधन पर होने वाला व्यय बचाया जा सकेगा, साथ ही कीमत भी मजबूत बनी रहेगी।

Record paddy production :  संतोषजनक नहीं स्थानीय मांग

 

 

छत्तीसगढ़ में ईंट भट्ठा और सीमेंट उत्पादन करने वाली ईकाइयां, धान भूसे के लिए बड़े उपभोक्ता मांग वाले क्षेत्र माने जाते हैं। सीमित मात्रा में खाद्य प्रसंस्करण ईकाइयां भी इसकी खरीदी करतीं हैं लेकिन उपलब्धता के हिसाब से इनकी मांग को संतोषप्रद नहीं माना जा रहा है। ऐसे में ऑफ सीजन का दौर संकट को और बढ़ा रहा है।

भाव, लगा रहा गोता

 

जिले में इस समय 75 राइस मिलें संचालन में हैं। पूरी क्षमता के साथ चल रहीं इन मिलों से प्रतिदिन 700 से 800 टन धान भूसा निकल रहा है। समुचित मांग के अभाव में इसकी कीमत 2400 से 2500 रुपए टन पर आ चुकी है। सीजन के दिनों में यह 3500 से 3800 टन तक जा चुका था। प्रति टन 1000 रुपए की यह टूट संकेत दे रही है, आगे और मंदी की।

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धान भूसा के अंतरप्रांतीय कारोबार पर लगाया गया प्रतिबंध खत्म किया जाना चाहिए। इस सुविधा के मिलने से रोजगार और आय के नए अवसर मिलेंगे।

– देवेंद्र भृगु, अध्यक्ष, जिला राइस मिल एसोसिएशन, बलौदा बाजार

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