Ratlam Ramcharitmanas : यहां 7 साल से रामचरितमानस का हो रहा है अखंड पाठ…
Ratlam Ramcharitmanas : रतलाम: रामचरितमानस को लेकर पूरे देश में जंग छिड़ी हुई है. एक तरफ जहां नेता राजनीतिक पैसा पाने के लिए बेतुकी बयानबाजी करते हैं। वहीं मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के एक छोटे से गांव में पिछले 7 सालों से रामचरितमानस का पाठ 24 घंटे किया जा रहा है. इसके लिए 130 लोगों का समूह पाली में पाठ करता है।
Ratlam Ramcharitmanas : मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रतलाम जिले के पंचेड़ गांव में रामचरितमानस पढ़ने की परंपरा 1985 से चली आ रही है. लेकिन 2016 में इस परंपरा में बड़ा बदलाव आया। दरअसल, 2016 में महाकाल की नगरी उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ मेले का आयोजन हुआ था। यहां स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे जातिवादी दोषी नहीं हैं क्योंकि सभी वर्गों के लोग

अपनी साझी आस्था और विरासत को कायम रखते हैं और इस पर गर्व करते हैं। इस घटना का पंचेड़ गांव के लोगों पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि गांव के लोगों ने साल भर रामचरितमानस का पाठ करने का निश्चय किया। हालांकि, ग्रामीणों के लिए यह फैसला मुश्किल था। सबसे बड़ा सवाल था कि साल के 365 दिन और 24 घंटे अखंड रामचरितमानस का पाठ कैसे होगा?
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लेकिन फिर गांव वालों ने 130 लोगों का ग्रुप बना लिया. यह समूह 4-4 सदस्यों में बंटा हुआ था। इसके साथ ही सभी को एक घंटे तक रामचरितमानस का पाठ करने का काम सौंपा गया। लोगों ने पुण्य के इस कार्य को सहर्ष स्वीकार कर लिया। तब से पिछले 7 सालों से पंचेड़ गांव के महादेव और हनुमान जी के मंदिर में प्रतिदिन 24 घंटे
रामचरितमानस के दोहे का जाप किया जा रहा है. गांव में पिछले 7 साल से हो रहे अखंड रामचरितमानस का पाठ भी स्थानीय युवाओं को प्रभावित कर रहा है। गांव में ऐसे कई युवा हैं, जिन्हें रामचरितमानस के दोहे और दोहे कंठस्थ हैं। साथ ही भगवान श्रीराम के चरित्र का गुणगान सुनने से गांव के लोगों का धार्मिक व सांस्कृतिक विकास भी हो

रहा है। रामचरितमानस के पाठ को लेकर पंचेड़ गांव के सरपंच ने कहा कि गांव के लोग पिछले 7 साल से इस परंपरा का पालन कर रहे हैं. गांव के लोगों ने एक टीम बनाई। यह दल अपने-अपने समय पर आकर रामचरितमानस का पाठ करता है। ऐसे में पढ़ाई लगातार चलती रहती है और एक व्यक्ति पर कोई बोझ नहीं पड़ता। सरपंच ने यह भी कहा कि रामचरितमानस के प्रभाव से गांव में जातिवाद नहीं है। रामचरितमानस के पाठ में सभी जाति के लोग अपना योगदान देते हैं।