भुवनेश्वर प्रसाद साहू
Rakhi festival of brother and sister love : बहनों ने भाइयों की कलाइयों में बांधी स्नेह की डोर, प्रेम और उमंग से मना रक्षाबंधन, , भाई- बहन का प्यार राखी का त्यौहार
Rakhi festival of brother and sister love : सोनाखान / कसडोल ! त्यौंहारों का देश है दिवाली , होली , दशहरा और रक्षा-बंधन !इन त्यौंहारों में रक्षाबंधन विशेष रूप से प्रसिद्ध है ! रक्षाबंधन का पर्व भारत के कुछ स्थानों में रक्षा -सूत्र के नाम से भी जाना जाता है ! प्राचीन काल से यह पर्व भाई-बहन के निश्चल स्नेह के प्रतीक के रूप में माना जाता है !
भाई बहन के अटूट प्रेम के त्यौहार के तौर पर जाना जाने वाला रक्षाबंधन सोमवार को कसडोल क्षेत्र में हर्षोल्लास से मनाया गया ! क्षेत्र में भाई-बहन के पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन को लेकर बाजार में पूरे दिन चहल-पहल और रौनक देखने को मिली ! हर दुकानों पर रंग- बिरंगी राखियां खरीदने के लिए कसडोल नगर के साथ ही आसपास के गांवों से भी महिलाएं अपने भाइयों के लिए राखियां खरीदने बाजार में पहुंची थी ! राखी व्यापारियों ने बतलाया कि महिलाओं को गणेश , शिव , स्वास्तिक मोती , रुद्राक्ष , का नाम लिखा हुआ व सोने -चांदी से बनी राखियां पसंद आई !
कसडोल क्षेत्र की बहनों एवं ग्रामीणों ने अपने विचार साझा करते हुए बतलाया कि हमारे पर्व , हमारी लोक परंपराओं को जीवित रखते हैं ! रक्षाबंधन का त्यौहार हमें सिखाता है कि हमें एक दूसरे की सुरक्षा व सम्मान के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए! रक्षाबंधन का त्योहार पारिवारिक एकता को बढ़ावा देता है और भाइयों और बहनों के बीच के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है ! आज के समय में जब समाज में कई बदलाव हो रहे हैं और पारिवारिक ढांचे में भी परिवर्तन हो रहा है ,रक्षाबंधन की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है ! यह त्यौहार हमें अपने मूल्यों और संस्कृतियों की याद दिलाता है ! रक्षाबंधन पर रक्षा सूत्र बांधने की हमारी परंपरा , सदियों से चली आ रही है !
रक्षा-बंधन का पर्व सभी भाइयों और बहनों को समर्पित है ! सभी एक -दूसरे के प्रति प्रेम , कर्तव्य और रक्षा का दायित्व ले और यही सोच के साथ एक दूसरे के हितैषी बनें ! रिश्तों की अहमियत का नया अध्याय शुरू करें और नई पीढ़ी को भावनात्मक पहलूओं से अवगत करायें ताकि समाज में सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण हो ! रक्षाबंधन का इतिहास बहुत पुराना है और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई है !
पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में शिशुपाल का वध करने के बाद जब श्री कृष्ण की उंगली पर सुदर्शन चक्र वापस बैठने के लिए लौटा तो श्री कृष्ण की कलाई पर चोट लग गई ! ऐसे में द्रौपदी ने तुरंत साड़ी का पल्लू फाड़कर श्री कृष्ण जी की कलाई पर बांध दिया ! इस प्रकार रक्षाबंधन की शुरुआत हुई !
इस बार भाई बहन के पवित्र रिश्ते रक्षाबंधन में भद्रा का साया रहने से दोपहर एक बजकर तीस मिनट तक हजारों भाइयों की कलाइयों पर राखियां नहीं बंधी थी ! एक बजकर तीस मिनट के बाद रक्षाबंधन का जैसे ही शुभ- मुहूर्त प्रारंभ हुआ ! शहर में वातावरण पर्व का बन गया …घर -घर बहनों नें अपने -अपने भाइयों की कलाइयों में तरह-तरह रंग-बिरंंगी राखियां लेकर बांधने पहुंचने लगी !
बहनों द्वारा अपने भाइयों की कलाइयों में राखी बांधकर रक्षा करने का वचन लिया गया ! यातायात में अनेक जगहों पर जाम की स्थिति से लोगों को जूझना पड़ा ! रक्षा-बंधन के चलते तमाम छोटे- बड़े मिष्ठान दुकानों में जमकर मिठाइयों की बिक्री हुआ ! लगभग 200 से भी अधिक छोटे -बड़े राखी दुकानों में ग्राहकों का अंतिम समय में ऐसा तूफान आया कि तमाम दुकानदारों के लगभग 90 प्रतिशत राखियों का भंडार खत्म हो गया ! अच्छी ग्राहकी से दुकानदारों के चेहरे पर प्रसन्नता दिखाई !
Rakhi festival of brother and sister love : अंतिम सावन सोमवार होने से दूध की भारी किल्लत हुई! अनेक होटलों में तो मिष्ठान बन जाने के कारण जहां आम ग्राहकों को चाय भी उन्हें नहीं मिला ! वहीं सावन मास का अंतिम सोमवार होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तगण सुबह से ही शिव आराधना में लीन थे !