के ए स ठाकुर
Rajnandgaon latest news : शिक्षक भर्ती परीक्षा के पात्र अभ्यर्थी एक आदेश से हो गए अपात्र, कब तक होते रहेगा बेरोजगारों के साथ खिलवाड़
Rajnandgaon latest news राजनांदगांव ! एक ओर तो सरकार बेरोजगार युवाओ को रोजगार देने की बात करती है ,बड़े-बड़े विज्ञापन एवं जोर जोर से प्रचार प्रसार करती है । वहीं दूसरी ओर परीक्षा में पात्र अभ्यर्थियों के जीवन से खिलवाड़ भी करती हैं । छत्तीसगढ़ के किसी भी नौकरी के लिए निकलने वाले विज्ञापन या परीक्षा तथा चयन सूची में अनियमिताएं एक आम बात हो गई है ।
या तो विज्ञापन त्रुटि पूर्ण होने की वजह से या फिर चयन सूची में अनिताएं एवं पक्षपात होने की वजह से या परीक्षा पेपर के आंसर ही गलत होने की वजह से पीड़ित अभ्यर्थी के द्वारा न्यायालय की शरण में जाना एक आम बात हो गई है ।जिसकी वजह से परिणाम एवं चयन सूची घोषित होने में काफी वक्त लग जाता है।
कुछ माह पूर्व पीएससी के परीक्षा परिणाम में चयनित अभ्यर्थियों के लिए सूची निकली थी उसको लेकर काफी विवाद हुआ था क्योंकि इसमें उन अभ्यार्थियों के चयन सूची में नाम थे जो किसी बड़े राजनेता किसी बड़े अधिकारी किसी बड़े कारोबार या अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों से संबंधित या रिश्तेदार थे ।जिसकी वजह से पीएससी के एक पदाधिकारी को पद से हटाया भी गया था । जो इस बात संकेत देते हैं कि इसमें कहीं ना कहीं घोर अनियमितता एवं भाई- एवं भाई भतीजाबाद हुई है ।
अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर सूबेदार एवं प्लाटून कमांडर के परीक्षा के परिणाम लेकर भी व्यापम एवं पुलिस विभाग मैं तकरार देखने को मिला। इन पदों के लिए परीक्षा का आयोजन जहां व्यावसायिक परीक्षा मंडल के द्वारा किया गया था वही इनके परिणामों को घोषित न करके सूची पुलिस विभाग मुख्यालय को भेजने के मामले में भी काफी हो हल्ला हुआ था ।
साधारण सी बात है की परीक्षा परिणाम एवं सूची उन्हीं की ओर से घोषित किया जाता है जो परीक्षा का आयोजन करता है। इन परीक्षाका आयोजन व्यापम के द्वारा किया गया था ।जबकि सूची जारी उनके द्वारा नहीं की गई थी ।
यह मामला भी कोर्ट में पहुंचा । ऐसा ही एक ताजा मामला फिर रोजगार हुआ है जहां छत्तीसगढ़ से आदिवासी बाहुल संभाग बस्तर एवं अंबिकापुर के लिए करीबन 12000 शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकला था ।
इसमें पात्रता हेतु निर्धारित मापदंड योग्यता आदि उल्लिखित किए गए थे ।विज्ञापन अनुसार लाखों छात्र परीक्षा दिए थे जिसका आयोजन 10 जून को किया गया था जिसके परिणाम 2 जुलाई को घोषित किए गए थे एवं मेरिट सूची जारी की गई थी। सहायक शिक्षक के लिये परिणाम एवं काउंसलिंग की घोषणा कर गई थी परिणाम एवं काउंसलिंग की घोषणा में पात्र उम्मीदवार काफी खुश एवं अपने भविष्य को लेकर आसान्वित थे ।
किंतु सरकार की एक घोषणा ने इनके उम्मीद पर उनकी खुशियों पर पानी फेर दिया ।उनके भविष्य को गर्त में धकेल दिया । इनमें कई युवक ऐसे भी होंगे जो आने वाले समय में शासकीय नौकरी के लिए सेवा की उम्र पार कर चुके होंगे।
उन्हें अब नौकरी मिलना दूभर हो जाएगा। सरकार की ओर से अचानक घोषणा की गई की सहायक शिक्षक के लिए उन्हें अभ्यर्थियों को काउंसलिंग में बुलाया जाएगा जो योग्यता डीएलएड (डीएड )की योग्यता रखते हैं ।सरकार की इस घोषणा से पूर्व में जारी सूची के पात्र सैकड़ो अभ्यर्थी नौकरी से वंचित हो गया ।
कल्पना कीजिए उस अभ्यर्थी एवं उसके परिवार के ऊपर क्या गुजर रही होंगे जो पहले घोषित सूची में चयनित हेतु पात्र थे और इस घोषणा के पश्चात आपात की श्रेणी में आ गया ।उनके ऊपर दुख का पहाड़ टूट पड़ा वह अपने भविष्य को लेकर चिंतित और परेशान हो गए ।
अपने ऊपर हुए इस वाजपात को लेकर पात्र छात्रों ने रायपुर जाकर विभाग के उच्च अधिकारियों से भेंट करने की कोशिश थी वहां भी उनसे भेट नहीं पाई ।पश्चात शिक्षा मंत्री के बंगले पर उनसे भेंट हेतु गए वहां भी उन्हें मायूस और खाली हाथ लौटना पड़ा ।
इस बात को लेकर भी मामला निश्चित तौर से कोर्ट में जाता हुआ दिखाई दे रहा है । इस पूरे प्रकरण पर यदि गौर किया जाए तो निश्चित तौर से अधिकारियों की गलती पर परिलक्षित होती है।
क्या अधिकारियों को यह भी मालूम नहीं होता कि किस पोस्ट के लिए क्या योग्यता होना आवश्यक है और यदि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती है तो उन्हें ऐसे त्रुटिपूर विज्ञापन निकलने नहीं चाहिए। जिससे अभ्यार्थियों पहले पात्र होते हैं फिर अपात्र हो जाते हैं।
इसमें अभ्यर्थियों का क्या दोष है जिन्होंने विज्ञापन के अनुसार परीक्षा तैयारी की थी और परीक्षा देकर सफल हुए। ऐसे अभ्यर्थी के भविष्य को बर्बाद एवं पूरी तरह तबाह करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई होना चाहिए जिन्होंने अभ्यार्थियों के भविष्य अंधकार मय कर दिया है।