Raipur Breaking वन नेशन वन इलेक्शन के क्या फायदे क्या नुकसान, लोगों का क्या है सजेशन

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Raipur Breaking एक देश एक चुनाव एक कानून विषय पर परिचर्चा का आयोजन

 

 

Raipur Breaking रायपुर। एशियन न्यूज़ की ओर शुक्रवार को हर्षित कॉर्पोरेट में “एक देश एक चुनाव एक कानून” विषय पर संतुलन का समीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां लोगों से चर्चा कर बैलेंस इक्वेशन तलाशने की कोशिश की गई।  इस अवसर पर अलग-अलग क्षेत्र के लोग शामिल हुए और अपनी बात रखें। इसमें कानून के जानकार, पूर्व सैनिक, राजनीतिक दलों के नेता, कर्मचारी नेता, छात्र और आम नागरिक भी शामिल हुए। अलग अलग क्षेत्र के लोगों को एक देश एक चुनाव एक कानून पर एशियन न्यूज के माध्यम से सभी ने मुखर होकर अपनी बात रखी।

Raipur Breaking लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराये जाने के मसले पर लंबे समय से बहस चल रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस विचार का समर्थन कर इसे आगे बढ़ाया है। आपको बता दें कि इस मसले पर चुनाव आयोग, नीति आयोग, विधि आयोग और संविधान समीक्षा आयोग विचार कर चुके हैं।

 

अभी हाल ही में विधि आयोग ने देश में एक साथ चुनाव कराये जाने के मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों, क्षेत्रीय पार्टियों और प्रशासनिक अधिकारियों की राय जानने के लिये तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था। इस कॉन्फ्रेंस में कुछ राजनीतिक दलों ने इस विचार से सहमति जताई, जबकि ज्यादातर राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया। उनका कहना है कि यह विचार लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। जाहिर है कि जब तक इस विचार पर आम राय नहीं बनती तब तक इसे धरातल पर उतारना संभव नहीं होगा।

 

इस अवसर पर एशियन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में हमारे देश में कई चीजे घटित हो रही है और हुई है इसमें एक वन नेशन वन इलेक्शन पर भी बात  हो रही है हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद के अध्यक्षता में एक कमेटी बनी थी और उस कमेटी ने वन नेशन वन इलेक्शन की रिपोर्ट सौंपी। चूंकी 2024 का इलेक्शन हो रहा है ऐसे में यह संभव नहीं है लेकिन 2019 में संभवत है यह लागू हो सकता है इसको लेकर लोगों के अलग-अलग राय हो सकती है इसी को देखते हुए आज एक देश एक चुनाव एक कानून पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।

 

उन्होंने कहा कि हमारा संविधान सभी के रहने, सोचने और अपनी निर्णय लेने का हक देता है। यहां  कई धर्म और जाति के लोग रहते हैं। लेकिन एक देश एक चुनाव एक कानून पर लोगों का क्या राय है यह जानना जरूरी है, क्योंकि इस दौर में जब लोग एक देश एक चुनाव की बात कर रहे हैं तो ऐसे में लोगों को क्या सोचना है यह अहम है।

बीजेपी के प्रवक्ता वासू शर्मा ने कहा कि एक देश एक चुनाव और कानून की बात बहुत पहले से चली आ रही है यह कोई नई बात नहीं है उन्होंने कहा कि देशभर में विधानसभा चुनाव एक साथ चार से पांच बार में होते हैं इससे लोगों को काफी परेशानी होती है साथ खर्च भी ज्यादा होता है। ऐसे में एक देश एक चुनाव और कानून की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी ऐसा हुआ है 1952 से लेकर 1967 एक देश एक चुनाव हो चुके हैं। अगर ऐसा फिर होता है तो देश के हित में होगा।

आप के प्रवक्ता सूरज ने कहा कि उन्होंने कहा कि जब देश भर में केवल एक या दो परियां ही थी तब यह संभव नहीं थी लेकिन आज हर चुनाव में या यूं कहे तो चुनाव के समय 700 से 800 पार्टियां रजिस्टर्ड होती है तो ऐसे में एक देश एक चुनाव कैसे संभव होगा उन्होंने कहा कि इस समय कब कौन पार्टी किसके साथ विलय हो जाएगा। यह पता नहीं है, उन्होंने कहा कि इस दौर में जिस तरीके से राजनीतिक हो रही है वह संभव नहीं हो सकता इसमें कई संशोधन की भी जरूरत है क्योंकि इस समय नेता दल बदल कर रहे हैं पहले इसके लिए कड़ी कानून बनी उसके बाद यह संभव हो सकता है।

अशोक चंद्रवंशी ने कहा कि संतुलन का समीकरण एक ज्वलंत मुद्दों पर बात करने का एक बेहतरीन मंच है उन्होंने कहा कि आज एक देश एक चुनाव ऐसा ही मुद्दा है एक देश एक चुनाव की पृष्ठभूमि को बताते हुए कहा कि जब से देश आजाद हुआ 1950 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ ठीक इसके तुरंत बात ही जो ड्राफ्टिंग बनाई जा रही थी उसको 1952 में एक नाम दे दिया गया हिंदू कोर्ट बिल फिर बाद में यह कहा गया कि यह हिंदू समाज के लिए है बाकी समाज के लिए बाद में लेट जाएंगे इसमें जो प्रमुख विषय था वह बहु विवाह को तोड़ना था वहीं अन्य समाज के लोगों के लिए छूट थी।

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उन्होंने कहा कि उस समय भी हम एक  देश एक कानून की ओर बढ़ रहे थे। उन्होंने कहा कि इस समय भी एक देश और एक चुनाव और एक कानून की आवश्यकता है।
वहीं इस अवसर पर एनएसयूआई के करकर्ताओं ने इसका विरोध किया और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने इसका समर्थन किया।

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