Rain Water Harvesting: वर्षा के जल को नजरअंदाज करना भविष्य के लिए खतरा – जल बचाएं, जीवन पाएं

Rain Water Harvesting

:दिपेश रोहिला:

“रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली” से क्षेत्र का बढ़ेगा भूजल स्तर

अधिकांश सरकारी भवन और बहुमंजिला इमारत में नहीं है “रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम”

पत्थलगांव। वर्तमान समय में जल लोगों के जीवन में अनमोल है। जल संरक्षण को लेकर कई प्रकार का अभियान चलाया जा रहा है। ग्रामीणों द्वारा आसपास क्षेत्रों में पानी के बचाव को लेकर अनेकों प्रकार के उपाय किए जाते है। मगर अधिकांश नागरिक आने वाले भविष्य में पानी की विकराल स्थिति के मद्देनजर कोशों दूर हैं। अक्सर देखा जा रहा कि आपके आसपास मोहल्लों,घरों या सार्वजनिक स्थानों में लगे नल से बेवजह बहता हुआ पानी,सड़कों में पाइपलाइनों के फटने से बहता पानी,वर्षा के जल का संरक्षण न होना,जंगलों को समतल भूमि और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई जैसे अन्य कारणों से भविष्य संकट की दिशा में जा रहा है। जल संरक्षण का अर्थ पानी का कुशलतापूर्वक उपयोग करना और उसे बर्बादी से बचाना है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हमारे पास भविष्य में पर्याप्त जल हो सके।

दरअसल आज जलस्तर तेजी से गिर रहा है, पत्थलगांव नगर पंचायत क्षेत्र में जल के अंधाधुंध दोहन से दिनों दिन भूजल स्तर नीचे जा रहा है और शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी पानी की किल्लत होती जा रही है। वहीं लगातार पेड़ों और वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, जंगलों में आग लगने से लोगों के जीवन एवं पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। जिससे कि लोगों को शुद्ध हवा,पीने तक का पानी आसानी से उपलब्ध नहीं हो रहा। ग्रामीण इलाके के लोगों को आज भी लंबी दूरी तय करके डभरी या हैंडपंप से जल प्राप्ति के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं पत्थलगांव विधानसभा की बात करें तो यहां आधे दर्जन से अधिक बांध होने के बावजूद भी जल समस्या से आम नागरिक जूझ रहे। यहां वर्षा जल संचय करने के लिए अधिकांश बहुमंजिला इमारतों व सरकारी भवनों में बरसात के पानी संरक्षण करने के कोई उपाय नहीं किए गए है। जिसका खामियाजा पत्थलगांव नगर पंचायत क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

आपको बता दें गर्मियों के दिनों में लगातार भूजल स्तर गिरकर करीब 1000–1200 फीट नीचे चला जाता है। ऐसे में भूमि के जल स्तर को बनाए रखने या फिर ऊपर उठाने के लिए “रेन वाटर हार्वेस्टिंग” जैसी प्रणाली काफी कारगार है। इस प्रणाली को बढ़ावा देने नगरीय प्रशासन द्वारा कोई विशेष पहल किया जाना आवश्यक माना जा रहा है। “रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम” की ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में आम नागरिकों को व्यापक स्तर पर जल समस्या का सामना करना पड़ सकता है। भले ही लोगों द्वारा पानी के संकट से निपटने के लिए जल संचय पर जोर दिया जा रहा हो मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है!

“रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम” और इसके फायदे

“रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम” एक ऐसी प्रणाली है जो बारिश के पानी को एकत्र कर उसे भविष्य में उपयोग करने के लिए जमा करता है। इस तकनीक का उपयोग करके पानी की कमी की समस्या से निपटने में कारगर सिद्ध होती है। इस प्रणाली को छत, सड़क, या मैदान जहां बारिश का पानी एकत्र होता है वहां पाइपलाइन की मदद से भंडारण टैंक या रिसाव वाले जलाशय तक ले जाता है। जिसे पानी को स्टोर करने वाला एक (गड्ढे में बना)कंटेनर कहा जा सकता है। जहां पानी जमीन में रिस जाता है और भूजल स्तर को बढ़ाता है। इसमें पानी साफ करने फ़िल्टर का इस्तेमाल भी किया जाता है, ताकि पानी से गंदगी और कचरा निकल जाए। इस सिस्टम से वर्षा के जल उपयोग बगीचे और खेत सिंचाई व अन्य कार्यों के लिए किया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लगातार जल संरक्षण एवं शुद्ध पेयजल के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। मगर सरकारी भवनों और बहुमंजिला इमारतों में तो बिना वर्षा जल संचय के मकानों का नक्शा भी पास नहीं होता है। लेकिन धड़ल्ले से क्षेत्र में कई अधिकांश सरकारी भवन एवं मकान बनाए गए है। जिनमें “रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम” दिखाई ही नहीं पड़ता। जिससे बरसात के पानी को जमीन में पहुंचाकर जल स्तर को सुधारा जा सके। पक्की सड़कें और पक्के मकान बन जाने से बरसात के पानी का जमीन में रिसाव बहुत कम हो गया है। विधानसभा क्षेत्र में करीब आधे दर्जन से अधिक डेम बने हुए है जो 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। परंतु नगर में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है जिसका मुख्य कारण बिना “रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली” के यहां शहर में बन रहे मकान है। हालांकि नगर पंचायत द्वारा कई मर्तबा जागरूक किया जाता है कि प्रत्येक मकान उक्त परमिशन पर बनाया जाए और वाटर हार्वेस्टिंग लगाया जाए। ताकि बरसात के जल को भूमि सोखे और जल स्तर क्षेत्र में बढ़ सके। लेकिन यह कहना लाज़मी है कि जहां सरकारी भवनों में “रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम” ना के बराबर है तो वहीं निजी मकानों पर भी “रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली” की संख्या बहुत ही कम है। जिसमें कि निर्धारित शुल्क जमा करने का प्रावधान भी रखा गया है मगर बन जाने पर यह शुल्क नगर पंचायत द्वारा वापस कर दिया जाता है। अब देखना होगा कि स्थानीय नगरीय प्रशासन द्वारा जल संरक्षण हेतु लोगों को जागरूक किए जाने रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली पर क्या उपाय किए जाते है।

पत्थलगांव नगर पंचायत के सीएमओ जावेद खान ने कहा कि नवीन भवन निर्माण की अनुमति के साथ “रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम” के नियम पर शर्तों का पालन किया जा रहा, पुराने भवनों और इमारतों में वर्षा जल को संचय करने इस प्रणाली को बनाने हेतु जागरूक किया जा रहा, इसके निर्माण के बाद जांच कर लागत राशि नगर पंचायत द्वारा लौटा दी जाती है.