Protection of Nature and Culture : प्रकृति और संस्कृति की रक्षा के साथ-साथ देश की रक्षा में भी आदिवासी समाज का योगदान अतुलनीय : भावना बोहरा

Protection of Nature and Culture :

Protection of Nature and Culture : राज्य सरकार की कुशल नीतियों एवं कल्याणकारी योजनाओं से विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहें हैं आदिवासी समाज : भावना बोहरा

Protection of Nature and Culture : कवर्धा । विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर श्री बुढ़ादेव राजगोंड समाज सेवा समिति द्वारा शनिवार को ग्राम महिडबरा में विश्व आदिवासी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने सभी को विश्वास आदिवासी दिवस की बधाई व शुभकामनाएं दी और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं प्रकृति के संरक्षण में आदिवासी समाज की अतुलनीय भूमिका के लिए उनका आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर भावना बोहरा ने कहा कि प्रकृति और संस्कृति की रक्षा के साथ-साथ देश की रक्षा में भी आदिवासी समाज का योगदान अतुलनीय है। हमारे जल,जंगल और जमीन की सुरक्षा एवं पर्यावरण के प्रति आदिवासी समाज के अटूट प्रेम की वजह से ही आज हमारे प्राकृतिक धरोहरों की सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है। प्रकृति के साथ-साथ हमारी धार्मिक परम्पराओं, आस्था के केन्द्रों, पौराणिक सभ्यताओं और आने वाली पीढ़ियों को भारत की गौरवशाली धरोहरों से अवगत कराने के लिए आदिवासी समाज के अथक परिश्रम तथा योगदान को हम सभी नमन करते हैं।

 

धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जी की वीरता और भगवान बूढ़ादेव जी की कृपा से आदिवासी समाज की ऐतिहासिक उपलब्धियों, स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी तथा प्रकृति के प्रति उनकी आस्था से ही हमारे समृद्ध भारत की पुरातन संस्कृति जिवंत हो उठती है। भारत का अतीत, भारत का इतिहास, भारत का वर्तमान और भारत का भविष्य आदिवासी समाज के बिना पूरा नहीं होता। हमारी आजादी की लड़ाई का भी पग-पग, इतिहास का पन्ना-पन्ना आदिवासी समाज की वीरता से भरा पड़ा है।

Protection of Nature and Culture :  उन्होंने आगे कहा कि आज छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज का हमारे सांस्कृतिक व पारंपरिक संस्कृति को सहेजने में बहुमूल्य योगदान है। वे देश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के साथ ही प्राकृतिक धरोहर जल, जंगल और जमीन का संरक्षण करने का भी काम कर रहें हैं। यहां की परम्पराएं, रीति-रिवाज और संस्कृति अपने आप में खास है।देश का ऐसा कोई कोना नहीं होगा हमारे छत्तीसगढ़ के हमारे आदिवासी भाइयों-बहनों के वैभव सम्पदा को नहीं जानता होगा।

 

हमारे आदिवासी समाज की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उनकी सामूहिक जीवन, सामूहिक उत्तर दायित्व और भावात्मक संबंध, जो निःस्वार्थ भाव से एक दूसरे की सहायता करने और एकजुट होकर रहने की है।हमें गर्व है कि पुरे विश्व में भारत में सबसे आदिवासी समाज के लोग निवासरत हैं जो पौराणिक काल से ही हमारी सांस्कृतिक व प्राकृतिक धरोहर को सहेजने का अतुलनीय कार्य कर रहें हैं।

भावना बोहरा ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य सरकार आदिवासियों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कार्य कर रही है।आदिवासी समाज के पास घर में बिजली हो, पक्का मकान हो, गैस का कनेक्शन हो, शौचालय हो, घर के पास चिकित्सा का केंद्र हो, कमाने के लिए आजीविका के साधन हो और बालकों के लिए पास में क्रीड़ास्‍थल और स्कूल हो, गांव तक आने वाली सड़क हो, इसके लिए केंद्र सरकार निरंतर अभियान चला रही है।

 

आज इन अभियानों से उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं। आज हमारे छत्तीसगढ़ में भी आदिवासी समाज से आने वाले माननीय विष्णु देव साय जी प्रदेश के मुखिया के रूप में आदिवासी समाज के कल्याण के लिए कार्य कर रहें हैं। हमारे पंडरिया विधानसभा के अंतर्गत भी कुई-कुकदुर जैसे वनांचल क्षेत्र में निवासरत आदिवासी समुदाय को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए भी अथक प्रयास किये जा रहें हैं। पीएम जनमन योजना के माध्यम से लगभग 33 करोड़ की लागत से 16 डामरीकृत सड़कों के निर्माण को स्वीकृति मिली है। यह विकास कार्य हमारे जनजातीय समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का काम करेगी।

आज छत्तीसगढ़ की सरकार द्वारा आदिवासी समाज के कल्याण के लिए इस साल के केन्द्रीय बजट में जनजाति उन्नत ग्राम अभियान योजना शामिल की गई है। इस योजना से राज्य के लगभग 85 विकासखंडों में शामिल गांवों को विभिन्न मूलभूत सुविधाएं मिलेगी। बस्तर के माओवादी आतंक से सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक तरफ सुरक्षा कैंपों की सख्या बढ़ायी जा रही है।

 

वहीं सुरक्षा कैंपों के आसपास 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में केन्द्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए नियद् नेल्लानार जैसी नवाचारी योजनाओं की शुरूआत की गई है। आदिवासियों की आय में वृद्धि और उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार तेजी से काम कर रही है। राज्य सरकार ने तेन्दूपत्ता पारिश्रमिक दर प्रतिमानक बोरा 4000 से बढ़ाकर 5500 रूपए कर दिया है। इससे लगभग 13 लाख जनजाति परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। आज हमारे देश व प्रदेश में निवासरत जनजातीय समुदाय विकास की मुख्यधारा से जुड़कर विकसित भारत के निर्माण में अपना योगदान दे रहा है। मैं आप सभी की इस सहभागिता और प्रकृति के संरक्षण व उसके प्रति प्रेम की भावना हेतु कृतज्ञता व्यक्त करती हूं।

 

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इस अवसर पर उत्तम मसकोले, विदेशी राम धुर्वे, फगनु राम धुर्वे, सालीक राम मरावी, शेरसिंह पन्द्राम, विष्णु सिंह धुर्वे, मोहित मरावी, गणेश देवाम,रमेश मरावी, दीपा पप्पु धुर्वे, सुमीर पुषाम,सुंदर मरावी,कृपा राम धुर्वे,आनंद मरावी,रूपसिंग धुर्वे, भागसिंह मरावी,शोभित मरावी,तिहार सिंह मरावी, रामजी धुर्वे, सत्रुहन मरावी,जयसिंह धुर्वे,पंचराम सिन्द्राम,

 

सुरेश मरकाम, भुवन धुर्वे,राजेश धुर्वे, श्याम सिंह परस्ते,तुलस पन्द्राम, राजकमल सिन्द्राम, पंचराम मरावी, नकुल सिंह परस्ते,तनगुराम अर्मो,बसंत वाटिया, जगतारन सिंह मरकाम, करताल सिंह धुर्वे,कबीर धुर्वे,फूलसिंह धुर्वे, वीरेंद्र धुर्वे, मोहन, तुलस धुर्वे सहित समस्त राजगोंड समाज एवं आदिवासी समाज भोरमदेव के सदस्यगण उपस्थित थे।