Politics केजरीवाल से विपक्ष को फायदा या नुकसान?

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Politics हरिशंकर व्यास

Politics अरविंद केजरीवाल की राजनीति पर भाजपा के बाद सबसे ज्यादा जिसकी नजर है वह कांग्रेस पार्टी है। देश की बाकी पार्टियों को उनकी राजनीति से खास मतलब नहीं है। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी देश के उन राज्यों में राजनीति नहीं कर रही है, जहां गैर कांग्रेस और गैर-भाजपा दलों की सरकार है।

Politics जहां कोई दूसरी प्रादेशिक पार्टी मजबूत है। उत्तर प्रदेश, बिहार से लेकर झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के पांचों राज्यों में, जहां भी प्रादेशिक पार्टियां मजबूत हैं और कांग्रेस हाशिए पर है तो वहां केजरीवाल राजनीति नहीं करते हैं। इसलिए उन राज्यों के नेता केजरीवाल की चिंता नहीं करते हैं। उलटे वे भाजपा के खिलाफ विपक्ष की साझा राजनीति में उनकी भूमिका मानते है।

तभी चंद्रशेखर राव से लेकर ममता बनर्जी और नीतीश कुमार दिल्ली में उनसे मिलते थे। मगर अब इन नेताओं का क्या रूख होगा? यह देखना है। रुपए पर लक्ष्मी और गणेश की फोटो लगाने के केजरीवाल के सुझाव के बाद प्रदेशों के क्षत्रप उनके प्रति नजरिया बदल सकते हैं।

तथ्य है कि केजरीवाल पहले भी कांग्रेस के लिए सिरदर्द थे और अब भी कांग्रेस की मुश्किले बढ़ा रहे हैं। केजरीवाल का सारा फोकस उन राज्यों पर है, जहां कांग्रेस मजबूत है। जिस तरह से भाजपा ने कांग्रेस को आसान टारगेट माना हुआ है उसी तरह केजरीवाल ने भी कांग्रेस को निशाना बना रखा है। उनको लगता है कि भाजपा जो भी कांग्रेस के खिलाफ करती है कांग्रेस के खिलाफ जो भी नैरेटिव बनता है तो उसका फायदा आप पार्टी कोभी मिल सकता है। केजरीवाल भाजपा की मुहिम और प्रचार के दम पर ही कांग्रेस को निपटा कर उसकी जगह लेने की राजनीति कर रहे हैं।

इसी में धीरे धीरे केजरीवाल की हिंदू राजनीति का चेहरा उभरता हुआ है। अगर बारीकी से देखें तो कांग्रेस जिन राज्यों में मजबूत है, उनमें से दो-तीन राज्यों को छोड़ दें तो बाकी जगह मुस्लिम आबादी औसत से बहुत कम है। ऐसे राज्यों में केजरीवाल के लिए हिंदू राजनीति करना आसान है। इन राज्यों में भाजपा के साथ साथ एक और हिंदू पार्टी की गुंजाइश है।

इसके उलट जिन राज्यों में क्षत्रप पार्टियां मजबूत हैं वहां मुस्लिम आबादी बहुत बड़ी है। वहां हिंदू राजनीति करने वाली दूसरी पार्टी के लिए गुंजाइश कम है। यही कारण है कि केजरीवाल बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम आदि राज्यों में राजनीति करने नहीं जा रहे हैं।

वे दिल्ली के बाद गुजरात पर ध्यान लगाए हुए हैं। उसके बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश आदि राज्य उनके निशाने पर हैं। कांग्रेस इन राज्यों में सरकार में है या फिर मुख्य विपक्षी पार्टी है।

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