Poha processing
:राजकुमार मल:
भाटापारा: जिले के पोहा मिल अब महामाया धान की खरीदी से हाथ खींच रहे हैं. जिसका कारण महामाया धान में बदरा और नमी की मात्रा मानक से ज्यादा होना बताया गया है.
पोहा मिल के संचालकों को का कहना है कि परिपक्वता अवधि के दौरान पर्याप्त सिंचाई पानी का नहीं मिलने का परिणाम देखने को मिल रहा है. किसान और पोहा उत्पादन करने वाली ईकाइयों को इसका खामियाजा कमजोर उत्पादन और खराब गुणवत्ता के रूप में उठाना पड़ रहा है. परिपक्वता अवधि के दौरान पर्याप्त सिंचाई पानी का नहीं मिलना अब परिणाम दिखाने लगा है। मौसम परिवर्तन और आंधी बारिश से फसलों को हर हाल में बचाने की कोशिश महंगी पड़ने लगी है. कटाई के दौरान होने वाली बारिश ने, दानों में नमी की मानक मात्रा बढ़ा दी है. यह दोनों स्थितियां पोहा प्रसंस्करण ईकाइयों को नुकसान पहुंचा रहीं हैं.
किसान और पोहा उत्पादन करने वाली ईकाइयों को इसका खामियाजा कमजोर उत्पादन और खराब गुणवत्ता के रूप में उठाना पड़ रहा है. इसलिए ईकाइयों ने रबी फसल की खरीदी से खुद को दूर रखा हुआ है.
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प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए पोहा मिलें अब भंडारित धान का उपयोग कर रहीं हैं. इधर नई फसल में 5 महीने का लंबा समय है इसलिए संचालन की अवधि कम करने तथा उत्पादन की मात्रा घटाने जैसे उपाय भी किए जाने लगे हैं। रही बात तैयार पोहा के बाजार की, तो अपेक्षित और संतोषजनक मांग की कमी का भी सामना कर रहीं हैं पोहा मिलें.
विष्णुभोग धान 6000 से 6400 रुपए क्विंटल, एचएमटी 2800 से 3000 रुपए क्विंटल और श्री राम 3000 से 3500 रुपए बनी हुई है. जो आगे भी आगे भी तेजी की है क्योंकि चावल की मांग निकली हुई है. खास तौर पर विष्णुभोग में सबसे ज्यादा। इसलिए अरसे बाद चावल मिलों का संचालन पूरी गति से किया जा रहा है.