राजकुमार मल
Plastic gunny : 600 से 1000 रुपए सैकड़ा,फिर भी मांग नहीं
Plastic gunny : भाटापारा- लगता नहीं कि बारदाने के दिन बहुरेंगे। आशंका इसलिए जताई जा रही है क्योंकि प्लास्टिक बैग में मांग तो दूर, पूछ-परख तक नहीं है। ऐसा तब हो रहा है, जब धान की खरीदी के लिए चंद दिन ही शेष रह गए हैं।
जूट के बाद, अब प्लास्टिक के बारदाने संकट में आ चुके हैं। बेहद कमजोर स्थिति में चल रहा यह कारोबार, फिलहाल कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है क्योंकि स्थिति अब तक साफ नहीं हो पाई है कि बारदानों में सरकार और किसानों का हिस्सा कैसा रहेगा ? ऐसी स्थिति में अनिश्चितता के घेरे में है, प्लास्टिक बारदाने का बाजार।
Plastic gunny : संकट पहली बार
सरकार कितनी मात्रा में बारदाना देगी ? किसानों को कितने बारदाने अपने पास से देना है ? यह अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है। ऐसे में बारदाना बाजार संशय में है। इसलिए इसने प्लास्टिक के बारदाने में उपर से खरीदी पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है, जबकि तैयार हो चुके बारदाने के उठाव के लिए लगातार दबाव बना हुआ है।
Plastic gunny : इसलिए भी रोक
प्लास्टिक की प्रकृति होती है जल्द गर्म होना। इसकी वजह से इसमें भरे गए धान का रंग तो खराब होता है, साथ ही चावल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। जबकि जूट की बोरियों में ऐसी परेशानी नहीं आती। बीते बरस मिली ऐसी ही जानकारी को ध्यान में रखते हुए इस साल प्लास्टिक के बारदाने की खरीदी और भंडारण बेहद कम रखी गई है।
Plastic gunny : अब पूंजी की समस्या
सरकार की तैयारी को देखते हुए इस क्षेत्र ने जूट के बारदाने की खरीदी और भंडारण में बड़ी रकम लगा डाली है। अच्छी मांग की उम्मीद में प्लास्टिक बारदाने में भी ऐसी ही व्यवस्था बनाई गई लेकिन ताजा परिस्थितियों को देखते हुए, दोनों पर लगाई गई पूंजी की वापसी पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं।
इस दर पर भी मांग नहीं
पूछ-परख और खरीदी के लिए जो कीमत तय की गई है उसके अनुसार प्लास्टिक के बारदाने 600 से 800 रुपए प्रति सैकड़ा और थोड़ी ठीक गुणवत्ता वाले बारदाने 800 से 1000 रुपए प्रति सैकड़ा है लेकिन इस कीमत पर भी, न पूछ-परख है ना खरीदी। लिहाजा बेहतरी की प्रतीक्षा में है यह कारोबार।