Parthenium Grass : सेहत के लिए बेहद खतरनाक पार्थेनियम ग्रास दिखाई देता है धनिया पत्ती की तरह

Parthenium Grass :

राजकुमार मल

 

Parthenium Grass : धनिया पत्ती में पार्थेनियम ग्रास, अब सब्जियों में भी मिलावट

 

Parthenium Grass : भाटापारा– नाम है पार्थेनियम। दिखाई देता है धनिया पत्ती की तरह। सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। इसलिए धनिया पत्ती की खरीदी के दौरान सतर्कता बरतें क्योंकि इसे धनिया पत्ती के बीच रखकर बेचा जा रहा है।

खाद्य एवं पेय पदार्थ में मिलावट आम है। कल्पना भी नहीं थी लेकिन अब सब्जी में भी यह किया जाने लगा है। शुरुआत उस धनिया पत्ती से हो चुकी है, जिसमें पार्थेनियम की पत्तियां मिलाई जा रही हैं। सब्जी वैज्ञानिकों ने पार्थेनियम के बारे में बताते हुए स्पष्ट किया है कि सेवन से सेहत को गंभीर हानि हो सकती है। इसलिए खरीदी करते समय सावधानी बरतें।

Parthenium Grass : आसान है पहचान

 

 

पार्थेनियम, पत्तियां और फूल बिल्कुल धनिया पत्ती जैसे ही होते हैं लेकिन धनिया की सुगंध नहीं होती। इसके अलावा पौधे अपेक्षाकृत थोड़ा नर्म होते हैं। इसलिए इन दोनों लक्षणों के जरिए आसानी से पहचान की जा सकती है।

Parthenium Grass : सेवन से यह बीमारी

 

 

पार्थेनियम को पादप प्रजाति में सबसे खतरनाक सदस्य माना गया है। पत्तियां तो बीमारियों का कारक हैं हीं लेकिन फूल को बेहद खतरनाक माना गया है। शोध में यह दोनों, अस्थमा और गुर्दा रोग जैसी गंभीर बीमारियों के वाहक माने गए हैं। गले में नियमित दर्द और त्वचा की बीमारी भी होती है।

Parthenium Grass : आ रही मध्य प्रदेश से

 

 

छत्तीसगढ़ में जैसा मौसम बना हुआ है, उसमें सब्जी फसलों में खासकर धनिया जैसी संवेदनशील फसल की खेती नहीं की जा सकती। इसलिए डिमांड पूरी करने के लिए मध्य प्रदेश से धनिया पत्ती मंगाई जा रही है। इसमें छिंदवाड़ा से हो रही आवक में ही पार्थेनियम ग्रास खूब देखी जा रही है।

जानिए पार्थेनियम को

 

 

एक वर्षीय शाकीय पौधा होता है। रेगिस्तान को छोड़कर शेष सभी भूमि में यह आसानी से फैलता है। पौधों की लंबाई एक से डेढ़ सेंटीमीटर तक हो सकती है। पत्तियां, धनिया पत्ती, गाजर और गुलदाउदी जैसी होती हैं। पूरे साल उगते हैं। फूलों का रंग सफेद होता है। यह भी साल भर खिलता है।

सेवन योग्य नहीं

 

पार्थेनियम ग्रास का सेवन हर स्थिति में बेहद घातक है। इसे एलर्जी, दमा, हैफीवर जैसी गंभीर बीमारियों का वाहक माना जाता है। यह नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है।

– डॉ. जितेंद्र सिंह, निदेशक शिक्षण, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, रायपुर

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