Online gaming : ऑनलाइन गेमिंग पर जीएसटी टैक्स लगाने के फैसले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने का अनुरोध

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Online gaming ऑनलाइन गेमिंग पर जीएसटी टैक्स लगाने के फैसले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने का अनुरोध

 

Online gaming नयी दिल्ली !  कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के ऑनलाइन गेमिंग को जुए से जोड़कर इस पर जीएसटी टैक्स लगाने के फैसले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।


आठ करोड़ व्यापारियों और 40,000 से अधिक व्यापार संघों का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यापार महासंघ और संघों के शीर्ष निकाय कैट ने श्री मोदी से अनुरोध किया है कि वे जीएसटी कॉउन्सिल के ऑनलाइन गेमिंग को जुए से जोड़कर इस पर जीएसटी लगाने के फैसले में हस्तक्षेप करे एवं इस पर पुनर्मूल्यांकन कर इस फैसले को रद्द करे।


कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि जीएसटी परिषद का यह निर्णय उद्योग जगत के लिए विनाशकारी है। यह फैसला इसको अव्यवहार्य बना देगा। इससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ेगी। कैट महामंत्री ने कहा कि परिषद के अनुसार यह गेमिंग उपयोगकर्ताओं को अवैध ऑफशोर वेबसाइट की ओर भी ले जाएगा, जिससे डिजिटल नागरिकों के लिए इंटरनेट कम सुरक्षित हो जाएगा।


श्री खंडेलवाल ने कहा कि यह सुरक्षित ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने और इसको बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि बार-बार न्यायालयों ने भी गेमिंग और जुए को एक समान मानने के फैसले को असंवैधानिक बताया है। इसलिए, प्रधानमंत्री से अनुरोध किया गया है कि भारतीय उद्योग को बर्बाद होने से बचाएं और जीएसटी काउंसिल इस फैसले का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए समीक्षा करें।

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कैट महामंत्री ने कहा कि यह निर्णय डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया की योजना के भी खिलाफ है। तेजी से बढ़ते इस क्षेत्र को नियमित करने और विकसित करने की जरूरत है, क्योंकि यह उद्योग को अस्थिर बना देगा और व्यवसाय को ऑफशोर जुआ प्लेटफार्मों तक ले जाएगा तथा एक उभरती हुई तकनीक को खत्म कर देगा।

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