अब नहीं होगा एकलव्य स्पोर्ट्स मीट का आयोजन, राज्य इकाई हटे पीछे,आयोजन रद्द की ये बड़ी वजह!

हिमांशु/ राजधानी raipur में आयोजित होने वाले आदिम जाति विकास विभाग द्वारा 14 से 20 दिसंबर तक प्रस्तावित एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल नेशनल स्पोर्ट्स मीट को रद्द कर दिया गया है। केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय से संबद्ध संस्था राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति के जॉइंट कमिश्नर ने राज्य के ईएमआरएस सोसायटी के नोडल अधिकारी को पत्र लिखकर स्थगित होने की सूचना दी है। इस चिट्ठी में खुलासा हुआ है कि एकलव्य स्कूल की राज्य इकाई ने आयोजन कर पाने में असमर्थता जता दी थी, जिसकी वजह से आयोजन स्थगित करने का फैसला करना पड़ा। ये खेल राज्य को आवंटित करने का फैसला इसी साल 17 सितंबर को हुआ था। इवेंट में पूरे देश के एकलव्य स्कूलों के करीब सात हजार खिलाड़ी हिस्सा लेते।

 

रद्द करने की ये वज़ह…

ईएमआरएस की राष्ट्रीय इकाई ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ से मिली सूचना और प्रतियोगिता की तारीख में बहुत कम दिनों का अंतर देखते हुए इस प्रतियोगिता को तुरंत किसी और जगह आयोजन करना संभव नहीं दिख रहा। इस वजह से 14 दिसंबर से होने वाले आयोजन को रद्द करने का फैसला किया गया…

 

मनमाना सालाना टर्नओवर की मांग….

इवेंट के लिए 15 करोड़ रुपए और आवासीय व्यवस्था के लिए 25 करोड़ रुपए का न्यूनतम सालाना टर्नओवर मांग किया गया। जिससे अन्य फर्म को मौका मिलने की गुंजाइश खत्म हो गई।

सूत्रों का कहना है कि इस आयोजन के लिए केंद्र सरकार मेजबान राज्य को 25 करोड़ रुपए देती है। पिछले साल जनवरी में ये खेल मैसूर, कर्नाटक में हुए थे।आयोजन रद्द होने की सूचना और नेशनल बॉडी का पत्र लीक हो जाने के बाद खलबली मची हुई है। इवेंट के दस दिन पहले अचानक यह आयोजन रद्द होने की वजहों को लेकर चर्चा है। इस आयोजन से पहले ही इसमें आवासीय और इवेंट व्यवस्था के टेंडर को लेकर गंभीर शिकायतें सामने आई थी। इसमें सीमित निविदा जारी कर किसी व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने और राज्य शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के भी आरोप लगे थे।

लगे थे ये आरोप…..

सूत्रों के मुताबिक इस आयोजन में इवेंट एवं चहेतो को उपकृत करने की राज्यपाल और मुख्यमंत्री तक शिकायत की गई थी। शिकायतों में कहा गया था कि आदिम जाति कल्याण विभाग ने ओपन टेंडर और आम इश्तेहार जारी नहीं किया। बल्कि सीमित निविदा जारी कर दी गई। इसमें केवल पीडब्ल्यूडी, सीएसआईडीसी और साई में इम्पैनल्ड एजेंसी ही भाग ले सकती है। सीमित निविदा में सिर्फ कंपनी या पार्टनरशिप फर्म ही भाग ले सकते थे। जबकि प्रोपराइटरशिप या एचयूएफ जैसे फर्म को पात्रता ही नहीं दी गई। यह भी आरोप लगाए गए थे कि फाइनेंशियल बिड का वेटेज 20 फीसदी और तकनीकी बिड का 80 फीसदी होने से टेक्निकल पाइंट सिस्टम भी व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने के हिसाब से सेट किया गया था। इससे न्यूनतम दर में भी काम मिलने की संभावना नहीं थी। बल्कि टेक्निकल पाइंट ज्यादा होने पर ही काम मिलने की संभावना थी….!