No money for terror देसी श्रोताओं के लिए?

No money for terror

No money for terror देसी श्रोताओं के लिए?

No money for terror क्या भारत आतंकवाद पर दुनिया को अपनी बात समझा पा रहा है? शायद नहीं। हाल ही में पश्चिमी देशों के वर्चस्व वाले एफएटीएफ के ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान को मुक्त कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित ‘नो मनी फॉर टेरर’ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस पर जमकर हमला बोला। कहा कि कुछ देश आतंकवाद का समर्थन करते हैं। ये उनकी विदेश नीति का हिस्सा है। ये देश आतंकवादी संगठनों को राजनीतिक, वैचारिक और आर्थिक मदद भी करते हैं।

No money for terror प्रधानमंत्री ने कहा- कुछ देश अच्छे और बुरे आतंकवाद की बात करके परोक्ष रूप से इसका समर्थन करते हैं जो पूरी तरह अनुचित है। इन बातों से शायद ही कोई असहमत होगा। लेकिन मुद्दा यह है कि क्या बात आज भारत दुनिया को समझा पा रहा है? अभी हाल ही में पश्चिमी देशों के वर्चस्व वाले फाइनेंशियल एक्शन टाक्स फोर्स (एफएटीएफ) के ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान पर मुक्त कर दिया गया।

यानी इस एजेंसी ने यह सर्टिफिकेट दे दिया कि अब पाकिस्तान पर निगरानी की जरूरत नहीं है। उधर अमेरिका ने फिर से पाकिस्तान के साथ रक्षा सहयोग शुरू कर दिया है। इस तरह एक समय पाकिस्तान का दुनिया से जो अलगाव होता दिख रहा था, वो दौर गुजर चुका है।

पाकिस्तान में अड्डा बनाए बैठे कई आतंकवादियों को जब संयुक्त राष्ट्र की लिस्ट में डालने की बात आई, तो चीन उनका संरक्षक बन कर सामने आ गया। तो यह सवाल जरूर पूछा जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की बातों पर क्यों गौर नहीं किया जा रहा है? और अगर ऐसा हो रहा है, तो भारत सरकार की क्या रणनीति है? प्रधानमंत्री खुद शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में समरकंद गए थे। वहां भारतीय कूटनीति के इस पहलू का कोई असर हुआ, इसके कोई संकेत नहीं हैं।

No money for terror इंडोनेशिया के बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान तो एक वीडियो में प्रधानमंत्री अपनी पहल पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलते नजर आए। अन्य देशों के साथ संवाद बनाए रखने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन संवाद से अपने हितों को आगे बढ़ाने में मदद ना मिल रही हो, तो विदेश नीति और कूटनीति पर पुनर्विचार की जरूरत होती है। यह बात अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय पहलू वाले मुद्दों पर देश के श्रोताओं के सामने अपना नैरेटिव रखने से असल में सूरत नहीं बदलती है।

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