राजकुमार मल
Name big, philosophy small विशेषज्ञ चिकित्सक और जरूरी सुविधाएं नहीं सिविल हॉस्पिटल में
Name big, philosophy small भाटापारा- सिविल अस्पताल। यहां सुविधा खोजना मना है। शिशु रोग विशेषज्ञ की जरूरत है, तो आप समय गंवा रहें हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों से सहायता की खोज नहीं करें, तो सही होगा। ऐसी प्रतिकूल स्थितियों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक की खोज बेमानी ही होगी।
Name big, philosophy small जिले का पहला बड़ा शहर। केवल नाम ही बड़ा है क्योंकि चिकित्सा सुविधा इस शहर में दोयम दर्जे से भी नीचे की है। बात करें अधिकारियों की, तो फुर्सत नहीं है। अब रह गए जनप्रतिनिधि, तो उनसे उम्मीद करना व्यर्थ ही है क्योंकि सिविल अस्पताल की याद केवल चुनाव के समय ही आएगी। इसलिए सुरक्षित इलाज करवाने की इच्छा है, तो निजी अस्पतालों में ही जाना श्रेयस्कर होगा। यही वजह है कि निजी क्षेत्र तेजी से तरक्की कर रहा है क्योंकि अवसर ढेर सारे हैं।
हैं लेकिन नहीं
एक्स-रे यूनिट। सिविल अस्पताल में यह है, लेकिन एक्सपर्ट ऑपरेटर नहीं है। जो था, वह रिटायर हो चुका है। नई नियुक्ति कब होगी या कब की जाएगी ? जैसे सवाल मत कीजिए क्योंकि यह अस्पताल, जरूरत पड़ने पर उसी रिटायर्ड कर्मी की मदद लेता है। समय पर नहीं मिला, तो बाहर की अस्पतालें तो हैं हीं। कहीं यह निजी क्षेत्र को लाभ पहुंचाने की कोशिश तो नहीं ?
रोज जरूरत, फिर भी ध्यान नहीं
बेहद कम कीमत पर सरकारी अस्पतालों में सोनोग्राफी करवाने की सुविधा दी गई है लेकिन अपने यहां के सिविल अस्पताल में यह है ही नहीं। पूछने पर बताया जाता है कि मांग की गई है। जवाब नहीं मिला है। लिहाजा जरूरतमंद मरीजों को दोगुनी कीमत देकर निजी क्षेत्र के अस्पतालों से यह सुविधा लेनी पड़ती है। इसे भी निजी क्षेत्र को लाभ पहुंचाने के प्रयासों में जोड़ लीजिए।
विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं
शिशु रोग सहित अन्य बीमारियों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक की नितांत आवश्यकता है लेकिन बेहद अहम जगह रिक्त हैं। यह क्यों ? पूछने पर रटा-रटाया जवाब- शासन स्तर पर मांग पत्र भेजा गया है। मंजूरी मिलते ही जरूरी सभी विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात कर दिए जाएंगे। जिम्मेदारों का यह जवाब, तब और भी ज्यादा पीड़ा पहुंचाता है, जब जरूरत के वक्त जरूरी सुविधाएं नहीं मिलती।
हद है भाई…
100 बिस्तर अस्पताल। साफ- सफाई, बिजली और पानी। यह यदि समय पर मिल जाए,तो अपने आप को भाग्यशाली मानिए क्योंकि इसे लेकर अस्पताल प्रबंधन कभी भी गंभीर नजर नहीं आता। दर्जनों अव्यवस्था के बीच परिसर की दीवारों से सटी जगह पर अतिक्रमण दिखाई दे रहे हैं, तो व्यक्त करने के लिए एक ही वाक्य काफी होगा ‘हद है भाई…’। यह इसलिए क्योंकि अस्पताल प्रबंधन इस समस्या को भी शासन स्तर पर हल करवाने की बात कहता है।
जानकारी भेजी गई है
सोनोग्राफी और एक्सरे मशीन के लिए जो दिक्कत आ रही है, उसकी जानकारी मुख्यालय भेजी गई है। रही बात विशेषज्ञ चिकित्सकों की, तो यह काम शासन स्तर पर ही होगा। हमने सूचित कर दिया है।
– डॉ राजेंद्र माहेश्वरी, खंड चिकित्सा अधिकारी, भाटापारा