Modern medical technology देश में पहली बार ऑपरेट कर निकाला गया 12 किलो का लिवर

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modern medical technology सबसे भारी 12 किलो का लिवर निकाला गया

modern medical technology हैदराबाद ! आधुनिक चिकित्सीय तकनीक कैसे चमत्कार कर सकती है इसका पता उस समय चला जब हैदराबाद के केआईएमएस अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम ने एक ही दिन एक ही मरीज के दो दो ट्रांसप्लांट कर एक अभूतपूर्व उपलब्धि तो हासिल की ही साथ ही देश में अब तक का सबसे भारी 12 किलो का लिवर निकाला गया।


modern medical technology अस्पताल की ओर से गुरुवार को जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि देश में यह पहली बार है जब 12 किलो के लिवर को सफलतापूर्वक निकाला गया है। इतना ही नही एक साथ किड़नी और लिवर दोनों का ट्रांसप्लांट किया गया। पचास साल की पश्चिम बंगाल की एक महिला ऊषा अग्रवाल का यह ऑपरेशन किया गया है । इस तरह न केवल उनका जीवन बचाया गया है बल्कि उन्हें सामान्य जीवन जीने का तोहफा भी दिया गया है।


modern medical technology  डॉ रविचंदा सिद्दाचरी चीफ लिवर ट्रांसप्लांट और कंसल्टेंट और एचपीबी सर्जरी ने कहा “ पॉलीसिस्टिक लिवर और किडनी की बीमारी एक आनुवांशिक स्थिति है जो जीन में उत्परिवर्तन के कारण होती है और इसमें किडनी और लिवर में तरल से भरी कैविटीज़ बन जाती है। पीड़ित मरीज को इस बीमारी के बारे में 30 साल की उम्र तक कुछ भी पता नही चलता है। सिस्ट के बढ़ने के साथ इसके लक्षण दिखायी देते है । जबरदस्त वृद्धि के कारण पेट में पानी भरने लगता है और इससे हर्निया तथा सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है।


डॉ़ उमा महेश्वर राव कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट और रीनल ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ़ उमा महेश्वर राव ने बताया कि ऐसे बढ़े हुए आकार वाले लिवर को काटकर निकालना और ट्रांसप्लांटेशन के लिए जरूरी संरचनाओं को बचा पाना यह दोनों काम बेहद ही जटिल हैं लेकिन हम न केवल बीमार लिवर निकालने बल्कि नया लिवर भी मरीज के भीतर ट्रांसप्लांट करने में कामयाब रहे।


एक ही मरीज के भीतर एक ही दिन यह दुलर्भ ट्रांसप्लांटेशन करने वाले चिकित्सक इस बात से उत्साहित हैं कि मरीज अब पूरी तरह से ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी ले चुका है। यह अब तक के सबसे संतोषप्रद ऑपरेशंस में से एक रहा क्योंकि इसके सफल होने से एक मरीज का न केवल जीवन बचाया गया बल्कि उसको मानसिक रूप से हो रही परेशानियों और दूसरी बड़ी दिक्कतों से भी निजात दिला दी गयी।


modern medical technology  मरीज का जीवन बचाने के लिए लगभग 14 घंटे तक चले इस ऑपरेशन को डॉ़ सिद्दाचरी, डाॅ़ सचिन दागा,डॉ़ के एक परमेशा और डॉ़ उमा राव की टीम ने किया।

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