2 करोड़ों की ‘म्याऊं-म्याऊं’ ड्रग्स बरामद

2 करोड़ों की 'म्याऊं-म्याऊं' ड्रग्स बरामद

वाराणसी/ठाणे। देश में ड्रग्स का अवैध कारोबार जोरों पर है. पुलिस और नारकोटिक्स विभाग के लगातार कोशिशों की वजह से बड़ी संख्या में ड्रग्स बरामद किए जा रहे हैं. ताजा मामला उत्तर प्रदेश के वाराणसी का है. यहां यूपी एसटीएफ और महाराष्ट्र पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन के दौरान एक बड़ी ड्रग्स फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ है. यहां से करीब 2.64 करोड़ रुपए ‘म्याऊं-म्याऊं’ ड्रग्स मेफेड्रोन जब्त की गई है, जो कि प्रति किलो 2 करोड़ रुपए में बिकती है. बरामद किए गए केमिकल और ड्रग्स की कुल कीमत करीब 30 करोड़ रुपए बताई जा रही है.

महाराष्ट्र के ठाणे के पुलिस उपायुक्त (अपराध) शिवराज पाटिल ने बताया कि पुलिस की अपराध शाखा की एक टीम ने उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के साथ वाराणसी के भगवतीपुर के पिंडरा गांव में चल रही एक फैक्ट्री पर छापा मारा है. यहां से करोड़ों रुपए की कीमत की मेफेड्रोन (2.6 किलोग्राम) जब्त की गई है. इसे इंटरनेशनल मार्केट में ‘म्याऊं-म्याऊं’ ड्रग्स के नाम से जाना जाता है. पुलिस ने इस फैक्ट्री से कुल 27.8 करोड़ रुपए की कीमत की सामाग्री जब्त की है. यहां से दो ड्रग्स तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस उपायुक्त ने कहा कि ठाणे पुलिस नशीली दवाओं की तस्करी और बिक्री में शामिल एक रैकेट की जांच कर रही थी. जनवरी और फरवरी में कासरवादावली इलाके में चार लोगों को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने आरोपियों के पास से 14 लाख रुपए मूल्य का 4.81 ग्राम मेफेड्रोन जब्त किया था, जो वसई और आसपास के इलाकों के निवासी थे. पूछताछ के दौरान गिरफ्तार आरोपी ने पुलिस को ओम गुप्ता उर्फ मोनू के बारे में बताया, जो अपने साथियों के साथ ड्रग्स फैक्ट्री चला रहा था.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर वरिष्ठ निरीक्षक दिलीप पाटिल और यूपी एसटीएफ के नेतृत्व में एक टीम ने वाराणसी के भगवतीपुर के पिंडरा में कारखाने पर छापा मारा और अतुल अशोककुमार सिंह (26) और संतोष हडबाड़ी गुप्ता (38) को गिरफ्तार कर लिया. इस ऑपरेशन के साथ पुलिस उस स्रोत तक पहुंचने में कामयाब रही, जहां से प्रतिबंधित सामग्री का निर्माण और आपूर्ति की जाती थी. यहां से ड्रग्स को ले जाकर इंटरनेशनल मार्केट में बेचा जाता था. मेफेड्रोन एक प्रतिबंधित ड्रग्स है.

मेफेड्रोन ड्रग्स का कोड नेम है ‘म्याऊं-म्याऊं’

बताते चलें कि ‘म्याऊं-म्याऊं’ मेफेड्रोन का कोड नेम है, जो तस्कर इस्तेमाल करते हैं. इसको ड्रोन, एम-कैट, वाइट मैजिक और बबल जैसे नामों से भी जाना जाता है. भारत और चीन में इसे पौधों के लिए सिंथेटिक खाद के तौर पर बनाया जाता है. लेकिन बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल नशे के तौर पर भी किया जाता है. साल 2010 तक ‘म्याऊं-म्याऊं’ एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में शामिल नहीं था. लेकिन साल 2015 में केंद्र सरकार ने इसे प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में शामिल कर दिया.

एक किलोग्राम की कीमत दो करोड़ रुपए

मेफेड्रोन दुनिया के 53 देशों में बैन है. सबसे पहले साल 2008 में इजरायल ने बैन किया था. इसके बाद साल 2010 में ब्रिटेन और साल 2011 में अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया था. पिछले कुछ वर्षों में मेफेड्रोन के प्रति ग्राम की कीमत में तेजी से बढ़ी है. साल 2021 में इसकी कीमत 9 हजार रुपए प्रतिग्राम थी, जो साल 2022 में बढ़कर 15 हजार रुपए तक पहुंच गई. इस वक्त कीमत 20 हजार रुपए प्रतिग्राम यानी करीब 2 करोड़ रुपए प्रति किलोग्राम बताई जा रही है. इस ड्रग की मांग तेजी से बढ़ रही है.

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