Manipur incident : मणीपुर घटना को लेकर बस्तर बंद चारामा नगर में पूर्णतः रहा सफल
Manipur incident : चारामा ! सर्व आदिवासी समाज के द्वारा मणीपुर घटना को लेकर बुलाए गए बस्तर बंद नगर में पूर्णतःसफल रहा। नगर चारामा सहित आसपास के सभी गांव में भी बंद का असर साफ दिखा एवं सभी प्रतिष्ठा ने पूर्णता बंद रहे और सभी ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा भी की। भोई समाज के लोगों ने अपने अपने गांव से लेकर शहरों नगर सभी जगह घूम घूम कर लोगों को अपनी प्रतिष्ठानों को बंद रखकर बंद को सफल बनाने में सहयोग प्रदान करने की बात भी कही और सभी ने आदिवासी समाज के अपील को स्वीकार कर अपनी दुकानों को स्वयं ही बंद रखा।
वही सर्व आदिवासी समाज के द्वारा राज्य में अनुसूचित जनजातियों पर हो रहे कत्लेआम हत्या को बंद करने में नाकाम वहा की सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू करने और बलात्कार और हिंसा के सभी आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग को लेकर राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। सर्व आदिवासी समाज के द्वारा नगर के कोरर चौक में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की एवं दोनों का पुतला फूंका गया।मणिपुर राज्य में हो रहे हिंसा के संबंध में निंदा की है और अपील किया है देश के जितने भी मानवाअधिकार संगठन, महिला संगठन, जनवादी संगठन, बुद्धिजीवी पत्रकार, अधिवक्ता गण, शिक्षक शिक्षिकाएं, सामाजिक संगठन, छात्र संगठन सभी इस घटना का पूरजोर तरीके विरोध करें। और दोषी व्यक्तियों के ऊपर कठोर कानूनी कार्यवाही की मांग करे।
गौतम कुंजाम ब्लॉक अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज चारामा, ब्लॉक प्रवक्ता रोहित नेताम, उपाध्यक्ष घनश्याम जुर्री, शिशुपाल कोरेटी, सुरेंद्र जुर्री, असवन कुंजाम ने कहा कि मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के ऊपर शर्मनाक घटना कों अंजाम दिया गया हैं ।
4 मई से मणीपुर में हो रही हृदय विदारक घटना से आदिवासी समाज दहशत में है केन्द्र में व राज्य की सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनता की गाढ़ी कमाई से विभिन्न प्रकार से टेक्स लेकर जनता को सुविधा देने के बजाय हर वस्तु की कीमत बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था को चौपट करते हुए कुछ पुजीपतियों को लाभ पहुंचा रही है, इससे देश में बेरोजगारी महगाई, भुखमरी अपनी- चरम सीमा पर पहुंच चुकी है, जिसका समाधान केन्द्र सरकार कर नहीं रही उपर से देश को जातिवाद, क्षेत्रवाद, वंशवाद करके जनता को आपस में लड़ाने में लगी हैं !
देश में विभिन्न टेक्स से प्राप्त राशि को सरकार कहां खर्च कर रही है, आदिवासी क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण के उद्देश्य से रोज नए नियम कानून लाने के प्रयास में लगी है, संविधान में प्राप्त 5 वीं,6 वीं अनुसूची को समाप्त करने व इतिहास से आदिवासी शब्द को मिटाने के लिए रोज नए नए कानून लाकर यू एन ओ में कहे अनुसार, भारत में आदिवासी नहीं होने का प्रमाण देना चाहते हैं । शायद इसी उद्देश्य को लेकर भारत से आदिवासियों का समूल नष्ट करना चाहते हैं।
मई महीने के प्रथम सप्ताह से मणिपुर राज्य में हिंसा फैली हुई है। जब से केंद्र में बीजेपी की सरकार सत्ता में काबीज हुई, तभी से देश के महिलाओं से लेकर आदिवासियों दलितों अल्पसंख्यकाे के ऊपर अत्याचार और हिंसा बढ़ गयी हैँ।
जिस समुदाय ने मणिपुर में घटना को अंजाम दिया है। मेंथेंई हिंदू समाज है। जिसका रूलिंग पार्टी बीजेपी समर्थन कर रही हैँ। इसी कारण 78 दिन बीत जाने के बाद भी देश के प्रधानमंत्री से लेकर मणिपुर के मुख्यमंत्री तक मैथेई उग्रवादियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं किए हैं ना एक शब्द भी नहीं बोले हैं।
राज्य भर में फैली इस हिंसा से कई आदिवासी पुरुष, महिलाओं एवं बच्चों की जान चली गई है जबकि हजारों आदिवासियों को बेघर होकर शरणार्थी शिविरों में रहना पड़ रहा है। हाल ही में सोशल मीडिया में फैले एक वीडियो को देखकर देश में आदिवासियों की दयनीय स्थिति को आसानी से समझा जा सकता है। इस वीडियो में भीड़ द्वारा दो आदिवासी युवतियों को नग्न कर उनका परेड कराया जा रहा है और उनके शरीर के साथ गलत हरकतें की जा रही है।
अब सवाल यह उठता है कि दो आदिवासी युवतियों को नंगा किया गया या संविधान एवं भारतीय लोकतंत्र को नंगा किया गया है। देश में कई जगह हिंसा होती है लेकिन क्या किसी हिंसा में किसी ऊंची जाति की महिलाओं को नंगा करके परेड कराया जाता है। हिंसा किसी भी रूप में और किसी के साथ भी स्वीकार्य नहीं है, लेकिन यह हिंसा और नग्नता सिर्फ आदिवासियों के साथ ही क्यों होती है। इस पूरे घटनाक्रम में कानून द्वारा दोषियों को सजा तो दी जाएगी लेकिन समाज एवं सरकार की सड़ी हुई मानसिकता की जिम्मेदारी कौन लेगा।
देश दुनिया में घूम घूम कर सद्बुद्धि का प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री की बुद्धि मणिपुर के मामले में शून्य क्यों हो जाती है, और अब मणिपुर में शांति ला पाना कहीं ना कहीं देश के प्रधानमंत्री राज्य के मुख्यमंत्री के बस की बात नहीं रह गई है, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस पूरे मामले में स्वयं ही कार्रवाई करने की चेतावनी देना केंद्र एवं मणिपुर राज्य सरकार के लिए शर्म का विषय है। यदि सर्वोच्च न्यायालय स्वयं ही कानून व्यवस्था सुधारने लगे तो चुनी हुई सरकारों की जरूरत ही क्या है।
Manipur मणिपुर : आदिवासी महिलाओं के साथ अत्याचार को लेकर बचेली के महिलाओं ने किया विरोध प्रदर्शन
मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ हुए इस दर्दनाक घटना से बस्तर क्षेत्र के प्रत्येक आदिवासी भाई बहनों को गहरा आघात लगा है। इसीलिए घटना के विरोध में पूरे बस्तर संभाग को बंद रखा गया एवं राष्ट्रपति से मांग की जाती है कि मणीपुर में जल्दी से जल्दी शांति बहाल कर दोषियों को फांसी दी जाए , मणीपुर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।पीडित परिवारों को तत्काल सुरक्षा व प्रतिपूर्ती 1 करोड़ मुआवजा दी जाए ।
वही पुतला दहन एवं ज्ञापन सौंपने के दौरान हेमलाल जुर्री, लखेश्वर नेताम, देवप्रसाद जुर्री, सुबोध कोर्राम, नवीन मंडावी, लोकेंद्र कचलाम, कामेश्वर नेताम, देवेंद्र मंडावी, रविन्द्र नेताम, लोकेश नागवंशी, बोधी मंडावी, देवेंद्र पोया, जय गावड़े, जगमोहन दर्रो, अमित पोटाई, पप्पू दुग्गा, दीपक जुर्री,चंद्रभान जुर्री, घासी जुर्री, पप्पू नेताम, विजय गावड़े, चीकू मंडावी, जितेंद्र सोम, नीरज साहू, रिकेन्द्र जुर्री, मेजर मंडावी, उत्तम जुर्री, सौरभ जुर्री सहित बड़ी संख्या में सर्वाधिक सी समाज के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता व समाज के लोग उपस्थित रहे ।