मकर संक्रांति 2025: सूर्य उपासना और फसल उत्सव का पावन पर्व…

मकर संक्रांति 2025: मकर संक्रांति, एक प्रमुख हिंदू त्योहार, हर साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक बल्कि कृषि और फसल कटाई से जुड़े महत्व के कारण भी विशेष है।

सूर्य की उपासना

इस दिन सूर्य देवता की पूजा का महत्व है, जो सर्दियों के अंत और लंबे दिनों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। लोग प्रार्थना और ध्यान के माध्यम से सूर्य की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

तिल और गुड़ का महत्व

मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां खाने और बांटने की परंपरा है। यह मिठास और सामाजिक एकता का प्रतीक है।

दान-पुण्य की परंपरा

इस पर्व पर गंगा स्नान, पूजा, और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। लोग जरूरतमंदों को कपड़े, अनाज, और धन दान करते हैं।

पतंगबाजी और क्षेत्रीय उत्सव

गुजरात और राजस्थान में पतंग उड़ाने का आयोजन खास आकर्षण होता है। वहीं, इस पर्व को अलग-अलग राज्यों में अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे “पोंगल”, पंजाब में “लोहड़ी”, उत्तर प्रदेश और बिहार में “खिचड़ी”, असम में “माघ बिहू” और गुजरात में “उत्तरायण” के रूप में मनाते हैं।

मकर संक्रांति सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व का पर्व है, जो देशभर में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।