Lifestyle : बेल बजते ही होने लगती घबराहट और चिंता, कहीं आप फोन एंग्जाइटी के शिकार तो नहीं

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Lifestyle :  फोन की बेल बजते ही होने लगती घबराहट और चिंता, कहीं आप फोन एंग्जाइटी के शिकार तो नहीं

आज के दौर में जहां कम्युनिकेशन तकनीक तेजी से विकसित हो रहा है, हर किसी की दुनिया फोन के इर्द-गिर्द घूम रही है.हर काम आप एक फोन कॉल करके आराम से कर सकते हैं. ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए फोन कॉल चिंता का कारण भी बन जाता है. जी हां जब उनके फोन की बेल बजती है तो उन्हें घबराहट और चिंता होने लगती है. फोन उठाने से पहले वो 100 दफा सोचते हैं. अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो ये एक तरह की समस्या है. इसे फोन कॉल एंग्जाइटी के नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से…

फोन कॉल एंग्जाइटी क्या है?

फ़ोन कॉल एंग्जाइटी, जिसे टेलीफ़ोबिया या टेलीफ़ोनिक चिंता के रूप में भी जाना जाता है. एक अजीब तरह की चिंता होती है जिसे व्यक्ति फ़ोन कॉल करते या उठाते समय अनुभव करता हैं.इसमें फोन बजने पर हम सोचने लगते हैं कि फोन उठाना चाहिए या नहीं. ये फ़ोन कॉल एंग्जाइटी नॉर्मल, स्ट्रेस और तनाव का ही एक रूप है. इसमें व्यक्ति को फोन पर किसी से बात करने का मन नहीं करता है. व्यक्ति ये सोचने लगता है कि सामने वाला व्यक्ति फोन पर उससे किस तरह से बात करेगा. फोन पर बात करते वक्त किसी तरह की असुविधा तो नहीं होगी वगैरा-वगैरा…

फ़ोन कॉल एंग्जाइटी कई स्थितियों में पैदा हो सकती है

*जॉब रिलेटेड फोन कॉल या फिर बिजनेस को लेकर क्लाइंट से इंपॉर्टेंट डिस्कशन को लेकर चिंतित महसूस करना
*दोस्तों या परिवार के सदस्यों को मिलने या प्लान बनाने के लिए बुलाने के बारे में चिंतित महसूस करना.
*फ़ोन पर अपॉइंटमेंट लेते समय या सामान ऑर्डर करते समय अत्यधिक घबराहट होना.
फ़ोन कॉल एंग्जाइटी के लक्षण
* फ़ोन कॉल की एंग्जाइटी से ग्रस्त व्यक्ति अक्सर कॉल करते या उठाते समय तेज़ दिल की धडक़न या सीने में तेज़ सनसनी का अनुभव करते हैं.
*अत्यधिक पसीना आना और हाथ या आवाज कांपना फोन कॉल चिंता से जुड़े सामान्य शारीरिक लक्षण हैं.
*जिन लोगों को फोन कॉल एंजाइटी होती है उन्हें इस बात का डर लगा रहता है कि सामने वाला आपको नेगेटिव जज तो नहीं करेगा.

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*फोन कॉल एंग्जाइटी के शिकार लोगों को बातें शुरू करने और खत्म करने में हिचकिचाहट होना भी शमिल है.
*कई बार फोन उठाने के कुछ देर बाद हम खामोश रहते हैं और कुछ भी बोल नहीं पाते हैं. ऐसे में हमें फोन उठाने से पहले इस खामोशी से गुजरने का डर लगा रहता है.

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