kasdol Special news : पवनी के युवा की कहानी : खुद का खर्च निकालने ड्रॉपर बैच को पढ़ाया

kasdol Special news : पवनी के युवा की कहानी : खुद का खर्च निकालने ड्रॉपर बैच को पढ़ाया

kasdol Special news : पवनी के युवा की कहानी : खुद का खर्च निकालने ड्रॉपर बैच को पढ़ाया

पार्ट टाइम जॉब के साथ
, की नीट की तैयारी…
आर्थिक तंगी के बीच होनहार छात्र ने पाई मंजिल !

भुवनेश्वर प्रसाद साहू

कसडोल समाचार
आठवीं पास किसान पिता का सपना था कि घर में कोई एक डॉक्टर होना चाहिए ! वह खुद की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण ठीक से पढ़ नहीं पाए लेकिन फैसला किया कि चाहे कुछ भी हो जाए बेटे को डॉक्टर बनानी है ! एक पिता के सपने को बेटे फिरेंद्र साहू ने भी गले से लगा लिया और कूद गए कंपीटीशन की दौड़ में !

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साल दर साल मिलती असफलताओं के साथ पैसे की तंगी ने भी फिरेंद्र साहू की खूब परीक्षा ली !
पर कहते हैं ना कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती , और किनारे में बैठने वालों की नैया , कभी पार नहीं होती !

कुछ ऐसा ही हुआ सारंगगढ़ -बिलाईगढ़ जिले के एक छोटे से गांव पवनी के रहने वाले फिरेंद्र साहू के साथ !
12वीं के बाद नीट की तैयारी करते हुए फिरेंद्र साहू ने न सिर्फ अपनी पढ़ाई की बल्कि ड्रॉपर बैच की कोचिंग पढ़ाते हुए खुद अपने खर्च की जिम्मेदारी भी उठाई !
कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत तीन साल के ड्रॉप के बाद आखिरकर नीट क्वालीफाई करने में सफल रहे !

चंदूलाल चंद्राकार मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिलते ही फिरेंद्र साहू के पिता खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं !
फिरेंद्र कहते हैं कि अगर सही तरीके से मेहनत की जाए तो एक ना एक दिन सफलता जरूर मिलती है बस जरूरत है थोड़े से धैर्य की !

फिरेंद्र साहू ने आगे बताया कि हिंदी मीडियम और गांव से पढ़ाई होने के कारण मेडिकल एंट्रेंस की ज्यादा जानकारी नहीं थी ! बस इतना पता था कि नीट नाम की कोई परीक्षा होती है , जिसे पास करने के बाद ही डॉक्टर बनते हैं !

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किसी तरह परिवार ने पैसे जुटाकर मुझे कोचिंग के लिए भेजा , तब यहां आकर पता चला कि नीट आखिर होता क्या है ! शुरुआत के दिन तो काफी मुश्किल भरे रहे …कुछ भी समझ में नहीं आता था ! लगता था कि सब कुछ नया है ! स्कूल में मैंने कुछ पढ़ा ही नहीं , ऐसा ख्याल बार-बार मन में आता था !

कोचिंग में आकर पता चला कि अगर बेसिक ठीक से नहीं पढा़ तो आगे कुछ नहीं हो पाएगा ! इसलिए जीरो से शुरुआत करके पढ़ाई शुरू की !
पहला ड्रॉप बेसिक स्ट्रांग करने में निकल गया , दूसरे ग्राफ में तैयारी करके उतरा तो असफलता मिली इसलिए मैंने बीएएमएस में एडमिशन ले लिया !

यहां पढ़ाई करते हुए मैंने ड्रॉपर बैच को कोचिंग पढ़ाना शुरू किया साथ-साथ नीट की तैयारी भी करता रहा !
तीसरे ड्रॉप में आखिरकर सफलता मिली , उन्होंने नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट से कहा कि आपका हर सपना पूरा होगा अगर आप सोचते रहेंगे तो कुछ नहीं होगा !

एनसीईआरटी की किताबों को शुरू से पढ़ना चाहिए ! आजकल आधे से ज्यादा सवाल तो वहीं से आते हैं , अपने आप पर भरोसा करें तभी सफलता मिलेगी

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