kasdol news today : कागजों में ही सीमित फसलों और पशुओं की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार की रोका छेका अभियान

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भुवनेश्वर प्रसाद साहू

 

kasdol news today कागजों में ही सीमित फसलों और पशुओं की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार की रोका छेका अभियान

kasdol news today कसडोल ! फसलों और पशुओं की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार की रोका छेका अभियान कागजों में ही सीमित।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक नरवा गरवा घुरवा बाडी़ योजना शामिल थी।

इस योजना के तहत गरवा यानी गायों के संरक्षण के लिए काम करने की योजना तैयार की गई थी ! सड़कों पर आवारा घूमती मवेशी दुर्घटना का शिकार न हो और वह खेतों में फसलों को नुकसान न पहुंचाए इसके लिए सरकार ने रोका- छेका अभियान शुरू किया ।

रोका- छेका अभियान के तहत सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं को पकड़कर गौठान में रखने और उनके खाने- पीने की व्यवस्था की गई थी। योजना की शुरुआत में यह काम अच्छे से हुआ लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है।

अब इस योजना के तहत न तो मवेशियों को सड़कों से हटाया जा रहा है न ही उन्हें गौठानो में रखा जा रहा है और जो मवेशी गौठानों में हैं उनके खाने की व्यवस्था भी नहीं की जा रही है जिसके कारण अब आवारा मवेशी सड़कों पर झुंड के झुंड दिखाई देने लगे हैं।

सड़कों पर दिखाई दे रहे मवेशियों की झुंड से स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गया है।

प्रदेश में भूपेश बघेल सरकार गौ सेवा के नाम पर करोड़ों रुपए फूंक कर गौठानों का निर्माण कर रही है। किंतु यदि धरातल पर देखा जाए तो गायें आज भी बुनियादी सुविधाओं की मोहताज , भूख प्यास से तड़पती , दाने दाने के लिए दर-दर भटकती , छांव और साफ-सुथरी जमीन पर बैठने को तरसती गायें आज अपनी जान गंवाने के लिए मजबूर हैं।

सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा गरवा घुरुवा बाड़ी योजनाओं में से एक गौठान योजना साढ़े चार साल बाद भी अपने पूर्णत्व को प्राप्त करने के लिए तरस रही है।

पूरे प्रदेश में बनने के लिए गौठान बन चुके हैं पर गौठान में पानी की टंकी बनाई गई है किंतु उसमें पीने के लिए पानी नहीं है। कुछ गौठानों में शेड बनाए गए हैं किंतु वह शेड गायों को तपती झुलसती दोपहर में छांव देने के लिए पर्याप्त नहीं है।

गायों को साफ सुथरी जगह में बैठना पसंद होता है। लेकिन प्रदेश भर के गौठानों में गायों के बैठने के लिए पक्के फर्श का निर्माण आज तक नहीं किया जा सका है। जिसके कारण अधिकांश गौठानों में दलदल और गीली जमीन है। जहां गाय रुकना और बैठना पसंद नहीं करती।

यही कारण है कि पूरे प्रदेश की सड़कों में रात दिन गायों का डेरा जमा रहता है। खासकर रात में नेशनल हाईवे या स्टेट हाईवे या फिर कोई गांव की सड़क, हर जगह सड़कों पर बैठी हुई गायें दिखाई देती हैं । किंतु वर्तमान सरकार सिर्फ वाहवाही लूटने का काम कर रही है। जबकि गायें , आज भी सड़को पर बैठ रही है।

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सड़कों पर मवेशियों के बैठने के कारण आए दिन मवेशी दुर्घटना का शिकार होकर मौत के मुंह में समा रही हैं।
एक ओर लगातार गायों की मृत्यु दर बढ़ रही है, दूसरी ओर सड़क दुर्घटनाएं भी गायों के कारण हो रही है !

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