Jai Jagannath कसडोल नगर से जगन्नाथ पुरी की यात्रा
Jai Jagannath बलौदाबाजार ! जिला के कसडोल नगर से जगन्नाथ पुरी की यात्रा दिसंबर 2022 के प्रथम सप्ताह में प्रस्तावित है! 3 रातें 4 दिन के इस यात्रा का किराया प्रति व्यक्ति ₹6201 है ! इस किराया में आना-जाना घूमना और रहना भोजन सभी शामिल है ! ( चिल्का झील में डॉल्फिन देखने / घूमने का अलग से चार्ज है जो भी इच्छुक व्यक्ति होगा उसे यह राशि देना होगा ! यह राशि इसमें शामिल नहीं है ! )
Jai Jagannath कसडोल से पुरी की यात्रा के लिए बुकिंग ₹3000 देकर कराया जा सकता है और ₹3201 बस में चढ़ने से पूर्व देना होगा ! बुकिंग कैंसिल करने पर बुकिंग के समय दी गई राशि वापस नहीं होगी !
Jai Jagannath अपने स्वयं के रिस्क पर यात्रा करें क्योंकि आपके स्वास्थ्य के बारे में आप बेहतर जानते हैं !
2×2 स्लीपर कोच बस से यात्रा होगी जिसमें प्रत्येक स्लीपर सीट की लंबाई 5.5 फीट और चौड़ाई 3.5 फीट होती ! प्रत्येक सीट में दो व्यक्ति बैठकर या सोकर सफर कर सकता है !! अधिक जानकारी के लिए इस मोबाइल नंबर पर संपर्क कर सकते हैं ( 77719 62500 ) !
Jai Jagannath पुरी और भुवनेश्वर के निकट, पर्यटन स्थलों का सुहाना सफर
भुवनेश्वर के आसपास पर्यटन जब आप पुरी दर्शन का प्लान बनाए तो कम से कम 3 दिन का समय अवश्य निकालिए ! पहले दिन जगन्नाथ मंदिर, बीच और अन्य प्रमुख मंदिर के दर्शन कीजिएगा !
दूसरे दिन पर्यटन बस से मन को लुभाने वाला चंद्रभागा , कोणार्क का अद्भुत सूर्य मंदिर , भगवान शिव का लिंगराज मंदिर , भगवान बुद्ध का धौलगिरी , जैन मुनियों की उदयगिरि -खंडगिरि की गुफाएं और सफेद शेर व दुर्लभ वन्यजीवों का नंदन कानन अभयारण्य देखिएगा ! तीसरे दिन चिल्का लेक और समुद्र का संगम एवं डालफिन देखने का मौका नहीं गवांए क्योंकि अगली बार पता नहीं कब आना होगा ?
Jai Jagannath मन को लुभाने वाला चंद्रभागा समुद्र तट
रास्ते में बस की खिड़की से बाहर रबड़ के पेड़, नदी – नाले को देखते-देखते आपकी बस चंद्रभागा बीच पर पहुंच जाएगी ! यहां के समुद्र की दूधिया लहरें , ठंडी ठंडी हवा और मनोरम प्राकृतिक सुंदरता देखकर आपका मन आनंदित हो उठेगा ! इस मनमोहक समुद्री बीच पर घूमने के साथ-साथ आप तैराकी , नौका -विहार और मोटर राईड का मजा भी ले सकते हैं ! मोटर राईड का किराया ₹100 है !
कहते हैं कि श्रीकृष्ण के पुत्र सांबा को कोढ़ का रोग हो गया था , जिसे ठीक करने के लिए उन्होंने चंद्रभागा नदी के किनारे सूर्य देवता की आराधना की थी ! यहां से 2 किलोमीटर दूर चंद्रभागा नदी में साल में एक बार कुछ घंटों के लिए पानी आता है ! तब हजारों श्रद्धालु इस नदी में स्नान कर पुण्य कमाते हैं !
कोणार्क का अद्भुत सूर्य मंदिर
भगवान सूर्य को समर्पित इस मंदिर की आश्चर्यचकित कर देने वाली संरचना इस प्रकार की गई है जैसे 12 विशाल पहियों पर आधारित एक विशाल रथ को 7 ताकतवर बड़े घोड़े खींच रहे हों !
पौराणिक कथा के अनुसार श्रीकृष्ण के पुत्र सांबा ने कोढ़ के उपचार के लिए चंद्रभागा नदी के सागर संगम पर बारह वर्ष तपस्या करके सूर्य देव को प्रसन्न किया ! जब सूर्य देव ने उनके रोग का अंत किया ! तब सांबा ने कोणार्क में सूर्य भगवान का एक मंदिर निर्माण का संकल्प लिया ! उन्हें चंद्रभागा नदी में देव शिल्पी श्री विश्वकर्मा जी की बनाई हुई सूर्य देव की एक मूर्ति मिली ! जिसे सांबा ने अपने बनवाए मित्रवन के एक मंदिर में इस मूर्ति को स्थापित कर दिया !
भगवान शिव का लिंगराज मंदिर
अब हम पहुंचेंगे , भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर में ! जहां आधा श्री विष्णु और आधे भगवान शिव का त्रिभुवनेश्वर रूप है ! उनका यह रूप हरि-हर नाम से भी प्रसिद्ध है ! आपको सबसे पहले भगवान गणेश जी के दर्शन , फिर गोपालनीदेवी , फिर शिवजी के वाहन नंदी की दर्शन तत्पश्चात लिंगराज के दर्शन के लिए गर्भगृह में प्रवेश करना है ! गर्भवती में 8 फीट मोटे तथा करीब 1 फीट ऊंचा ग्रेनाइट पत्थर का स्वयंभू शिवलिंग को ध्यान पूर्वक निहारते रहे! मन ही मन भगवान की स्तुति करते रहे और भगवान की इस अद्भुत शिवलिंग को अपने हृदय में बसा लें !
पुराणों के अनुसार देवी पार्वती ने यहीं पर लिट्टी व वसा नाम के दो राक्षसों का वध किया था ! राक्षसों का वध करने के बाद देवी पार्वती को जब प्यास लगी तो भगवान शिव ने एक सरोवर बनवाया और उसमें सभी पवित्र नदियों का आह्वान किया ! यही बिंदुसागर सरोवर लिंगराज मंदिर के निकट स्थित है !
भगवान बुद्ध का धौलिगिरी हिल्स
धौलीगिरी हिल्स , भुवनेश्वर से लगभग 8 किलोमीटर दूर एक शांति स्थल है ! इसी धौली पहाड़ी पर कलिंग साम्राज्य और मौर्य साम्राज्य का विशाल युद्ध हुआ था ! जिससे भीषण रक्तपात से आहत होकर सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया था ! अब यहां गुंबद के आकार वाले शांति पैगोडा या धौली शांति स्तूप स्थित है ! इस धौली शांति स्तूप में भगवान बुद्ध के पैरों के निशान वाले पत्थर और बोधि वृक्ष मौजूद है ! इसके निकट एक पहाड़ी के शिखर पर एक बड़े चट्टान में अशोक के शिलालेख भी उत्कीर्ण है !
जैन मुनियों की उदयगिरि- खंडगिरि की गुफाएं
लिंगराज मंदिर के दर्शन के बाद अगला पड़ाव _उदयगिरि और खंडगिरि , भुवनेश्वर से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ! इस दोनों पहाड़ियों में कई गुफाएं हैं जिनमें से अधिकांश गुफाएं जैन भिक्षुओंऔर राजा खारवेल के कारीगरों ने बनाई है !
उदयगिरि में 18 गुफाएं और खंडगिरि में 15 गुफाएं हैं ! इन गुफाओं के अलावा अनंत गुफा , व्याघ्र गुफा , सर्प गुफा , जैन गुफा भी है ! ये गुफाएं एक दूसरे के साथ सीढिय़ों से जुड़ी हुई है ! इन गुफाओं को देखते समय वानर सेना से सावधान रहें और खाने-पीने की वस्तुएं ना निकाले !
सफेद शेर व दुर्लभ वन्यजीवों का नंदनकानन
बस का अंतिम स्टाप , हरे-भरे जंगलों के बीच 400 हेक्टेयर में फैला नंदनकानन जू के साथ-साथ बॉटनिकल गार्डन भी है !
नंदनकानन विशेष रूप से सफेद बाघों के लिए प्रसिद्ध है ! यहां सफेद बाघों के अलावा कई दुर्लभ जीव भी देख सकते हैं ! यहां पर झील में घड़ियाल , हिप्पो और अलग-अलग प्रजाति के हजारों पक्षी प्राकृतिक निवास में आपके स्वागत के लिए तैयार मिलते हैं !
नंदनकानन सोमवार को बंद रहता है ! दूसरे दिन इसका समय सुबह 8:00 से शाम 5:00 बजे तक है !
सोमवार को छोड़कर बाकी अन्य दिनों में यह सालभर खुला रहता है !
अविस्मर्णीय यादों का सफर – चिल्का झील
सफर के तीसरे दिन आप देख सकते हैं – भारत की सबसे बड़ी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील , चिल्का झील है !
चिल्का झील देखने के लिए आपको पर्सनल बोट किराए पर लेना होगा !
15 से 20 लोगों के लिए इसका किराया ₹7500 तक हो सकता है !
चिल्का झील की लंबाई 70 किलोमीटर और चौड़ाई 15 किलोमीटर है !
कुछ देर बाद बोट आपको एक आईलैंड पर उतार देगी ! इस आईलैंड पर 40 मिनट का स्टाप होगा ! यहां पर आपको चिल्का झील और समुद्र के संगम का अविस्मरणीय दृश्य दिखाई देगा ! इस दृश्य को देखकर आपको ऐसा लगेगा जैसे स्वयं प्रकृति ने यहां का श्रृंगार किया हो ! यहां कुछ मछुआरे आपको मोती बेचने की कोशिश करेंगे ! आपको उनका सीप में से मोती निकालना बिल्कुल असली प्रतीत होगा पर आप सावधान रहें , यह नकली मोती है !
अब आपका वापसी का काफी लंबा सफर शुरू होता है ! सफर के दौरान बीच में कई टापू के साथ-साथ समुद्र का मुहाना भी दिखाई देता है ! इस झील में सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा आपको एक अलग ही अनुभव देता है ! लगभग 2 घंटे के सफर में अपने मन में इस विशाल चिल्का लेक की यादों को समेटे हुए आप वापस पुरी पहुंच जाएंगे !
समलेश्वरी मंदिर संबलपुर उड़ीसा