Indian government हंगर बनाम हेडलाइन

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Indian government हंगर बनाम हेडलाइन

Indian government भारत सरकार का नजरिया यही रहा है कि आईने खराब हो चुके हैं। उनमें भारत की तस्वीर खराब नजर आती है, तो दोष आईऩों का है- भारत की असली सूरत तो असल में निखरती चली गई है।
भारत ने ताजा ग्लोबल हंगर इंडेक्स पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। उसने ना सिर्फ इसे तैयार करने के तरीके पर सवाल उठाए हैं, बल्कि इसे भारत को बदनाम करने की कोशिशों का हिस्सा बताया है।

Indian government भारत सरकार ने कहा है कि ऐसी रिपोर्टों के जरिए दुनिया में यह धारणा बनाने की कोशिश की जा रही है कि भारत अपनी पूरी आबादी को पोषक भोजन देने में भी नाकाम है। यह बात सच है कि इस इंडेक्स से ऐसी धारणा बनती है। या अगर हाल के वर्षों में इस सूचकांक पर भारत का जो हाल दिखा है, उसके आधार पर यह भी कहा जा सकता है कि इससे यह धारणा और पुख्ता होती गई है। बल्कि न सिर्फ हंगर इंडेक्स, बल्कि विकास के तमाम जारी होने वाले सूचकांकों पर यही तस्वीर दिखती है। उन सबको लेकर मोटे तौर पर भारत सरकार का नजरिया यही रहा कि ऐसे आईने खराब हो चुके हैं। उनमें भारत की तस्वीर खराब नजर आती है, तो दोष आईऩों का है- भारत की असली सूरत तो असल में निखरती गई है। ये वो हेडलाइन है, जिसे अपने घरेलू समर्थक वर्ग में मौजूदा सत्ताधारी समूह ने प्रचारित किया है।

Indian government सत्ताधारी दल को यह मालूम है कि उसकी असली राजनीतिक पूंजी ऐसी ही हेडलाइन्स हैं, जो उसके समर्थक तबकों भारतीय चेहरे को ऐसे मेकअप के साथ पेश करते हैं, जिनसे उनमें यह भरोसा बना हुआ है कि भारत ‘विश्व गुरु’ बनने की राह पर है। इसलिए भारत सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया ना तो अनपेक्षित और ना ही अस्वाभाविक है। बहरहाल, यह सवाल विचारणीय है कि आखिर दुनिया की तमाम संस्थाओं को अब भारत से क्या दुश्मनी हो गई है कि वे भारत को बदनाम करने की किसी साझा कोशिश का हिस्सा बन जाएंगी?

Indian government बहरहाल, जहां तक भूख का सवाल है- जिसका संकेत कुपोषण को माना जात है- तो यह तो खुद भारत सरकार के नवंबर 2020 में पांचवें फैमिली हेल्थ सर्वे की पहली रिपोर्ट से जाहिर हुआ था कि आजादी के बाद पहली बार देश में कुपोषण ग्रस्त बच्चों की संख्या बढ़ी है। इसलिए सरकार को सोचना चाहिए कि मुमकिन है कि आईना खराब ना हुआ- बल्कि खुद देश की सूरत ही बिगड़ रही हो।

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