Health News- Colon Cancer पुरुषों को ज्यादा चपेट में लेता है , जानिए इसके कारण और बचाव

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कोलन कैंसर (Colon Cancer )का खतरा लोगों में लगातार बढ़ रहा है। कई कारणों से इस जानलेवा बीमारी का जोखिम बढ़ता है। पुणे के पिंपरी में डीपीयू सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (DPU Super Specialty Hospital ) में सलाहकार ऑन्कोसर्जन डॉ. पंकज क्षीरसागर (Dr. Pankaj Kshirsagar) ने इस बारे में विस्तार से बताया है।

कोलन कैंसर का इस वजह से बढ़ता है खतरा

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, खासकर उन लोगों में जिन्हें अंतों में सूजन की समस्या जैसे क्रोहन रोग या अल्सरेटिव कोलाइटिस (Crohn’s disease or ulcerative colitis) की परेशानी होती है। इसके अलावा अगर किसे के परिवार में कोलोरेक्टल कैंसर का इतिहास रहा है या लिंच सिंड्रोम ( एक तरह का अनुवांंशिक रोग है। इसमें व्यक्ति को पेट से संबंधित कैंसर का जोखिम ज्यादा होता है) वो इस बीमारी की चपेट में आ सकता है। इसके अलावा अनहेल्दी लाइफस्टाइल जैसे शारीरिक गतिविधि की कमी, जंक फूड खाने की आदत, मोटापा, शराब या तम्बाकू का सेवन भी इसका खतरा बढ़ता है।

कोलन कैंसर होने पर शरीर देता है ये संकेत

कोलन कैंसर बहुत तेजी से पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित करता है। हालांकि महिलाओं की तुलना में इसका जोखिम पुरुषों का ज्यादा होता है। इसके लक्षण शुरू में नजर नहीं आते हैं, लेकिन जब ये कैंसर का ट्यूमर बड़ी आंत के अंदर का जाता है तो फिर शरीर से कई सारे संकेत मिलते हैं जैसे मल में खून आना, पेट संबंधती परेशानी, कमजोरी, थकान और अचानक वजन कम होना आदि।

कोलन कैंसर से बचाव मुमकिन

स्क्रीनिंग और निदान विधियां (Diagnosis) , जैसे एफओबीटी (फेकल गुप्त रक्त परीक्षण), एफआईटी (फेकल इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री), सीईए ट्यूमर मार्कर और कोलोनोस्कोपी जैसे टेस्ट से कैंसर से काफी हद तक बचाव मुमकिन है। 50 साल की उम्र के बाद से कैंसर के लिए नियमित रूप से जांच करवानी चाहिए। वहीं जिन लोगों में कोलन कैंसर का पारिवारिक इतिहास है, उन्हें तो 30 साल की उम्र के बाद से ही रेगुलर स्क्रीनिंग करवानी चाहिए।

कोलन कैंसर की रोकथाम के लिए जरूर करें ये काम

कोलन कैंसर से बचने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज , वेट कंट्रोल और हाई फाइबर, कम फैट वाले डाइट के साथ हेल्दी लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए। रेगुलर स्क्रीनिंग न केवल कैंसर की रोकथाम में सहायक होती है, बल्कि इससे सफलतापूर्वक मरीज का इलाज करके उसकी जान बचाई जा सकती है।

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