0 प्रभावी निराकरण के मामले में कई विभाग साबित हो रहे फिसड्डी
(विशेष संवाददाता- संजय दुबे)
रायपुर। लोक अर्जियों का प्रभावी और न्यायपूर्ण ढंग से तत्काल निराकरण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। बाबजूद इसके अधिकांश विभाग इस मामले में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। आलम यह है कि मंत्रालय स्तर पर विभागों का रवैया पूरी तरह उदासीनता भरा है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक जनशिकायत निवारण विभाग द्वारा हाल ही में की गई समीक्षा बैठक में लोक अर्जियों के निराकरण को लेकर कई खामियाँ देखने को मिलीं। इसके पश्चात विभाग ने विभिन्न विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और स्वतंत्र प्रभार वाले विशेष सचिवों को परिपत्र भेजकर दिशा-निर्देशों के संबंध में प्रभावी कदम उठाने को कहा। इनमें नोडल अधिकारियों की नियुक्ति, अर्जियों का सुव्यवस्थित संधारण, प्रकरण के संबंध में की गई कार्रवाई से आवेदक को सूचित करने, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आदि से संबंधित बातें कहीं गईं हैं।
बढ़ रही है लंबित मामलों की संख्या
सूत्रों के अनुसार लोक अर्जियों के मामले में लंबित प्रकरणों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। इसकी मूल वजह कुछ विभागों द्वारा निराकरण से संबंधित मामलों को ज्यों का त्यों अपने अधीनस्थ कार्यालयों को भेज देना है। इनमें काफी मामले ऐसे भी रहते हैं जिनका समाधान शासन स्तर पर ही तत्काल किया जा सकता है।
नोडल अधिकारियों का उदासीन रवैया
अर्जियों के समाधान में देरी की एक वजह नोडल अधिकारियों की बेरुखी भी बताई जाती है। अमूमन सभी विभागों में इस कार्य के लिए नोडल अधिकारी नामित किये गए हैं। इन अधिकारियों का दायित्व है कि वे विभाग में लंबित मामलों में की गई कार्रवाई के संबंध में हर महीने के प्रथम सप्ताह में जनशिकायत निवारण विभाग को अवगत कराएं। इस बाबत विभागों के लिए अलग अलग दिन भी तय किये गए हैं। फिर भी कई विभागों की कार्यप्रणाली अव्यवस्थित है और शिकायतों के खो जाने आदि की स्तिथि में जवाबदेही भी तय नहीं है।
अर्जियों के निराकरण के लिए सुव्यवस्थित और सुचारु तंत्र विकसित करने हेतु विभाग द्वारा सतत आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये जाते हैं। लेकिन यह पाया गया है कि कतिपय विभागों में दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्यप्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है। प्रमुख अधिकारियों से निराकरण की मॉनिटरिंग के लिए अपने स्तर पर पहल करने का आग्रह भी किया गया है।
– नीलम नामदेव एक्का,
सचिव, जनशिकायत निवारण विभाग