Gariaband Health Breaking News भीषण गर्मी में लू से बचाव एवं उसके उपाय के लिए आवश्यक सुझाव

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Gariaband Health Breaking News लू में क्या करें और क्या ना करें

Gariaband Health Breaking News गरियाबंद। ग्रीष्म ऋतु के मौसम में तापमान में वृद्वि के चलते भीषण गर्मी पडऩे तथा नागरिकों को लू लगने की संभावना है। जिससे आम जन जीवन व स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। जिसे देखते हुए कलेक्टर श्री दीपक अग्रवाल ने जिले वासियों से आवश्यक सुरक्षात्मक उपाय करने की अपील की है।

Gariaband Health Breaking News  जिले में लगातार मौसम परिवर्तन के बाद अब तेज धूप एवं गर्मी प्रारंभ हो गया है जिसके कारण लू लगने की संभावना बढ़ गई है। सूर्य की तेज गर्मी के दूष्प्रभाव से शरीर के तापमान में विपरीत प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण शरीर का तापमान अनियंत्रित होकर अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे शरीर में पानी और खनिज लवण नमक की कमी हो जाती है, इस स्थिति को लू लगना या हीट-स्ट्रोक कहा जाता है। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जंगलों में जाकर महुआ संकलन का कार्य कर रहे हैं। लोग अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पानी एवं पेय पदार्थ लेकर नहीं लेते इस कारण निर्जलीकरण के शिकार भी हो जाते हैं। जिससे समय पर उपचार न मिलने के कारण मरीज की हालात गंभीर हो जाती है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गार्गी यदु पाल ने बताया कि जिला अस्पताल सहित समस्त सामुदायिक, प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों के संस्था प्रभारियों को लू से बचाव एवं उपचार हेतु पर्याप्त मात्रा में आवश्यक जीवन रक्षक दवाईयां एवं ओ. आर. एस. की उपलब्धता सुनिश्चित कर मरीजों का उपचार करने को कहा गया है और मैदानी स्वास्थ्य अमलों और मितानिनों के माध्यम से लू लगने के लक्षण, कारण और बचाव के उपायों के संबंध में स्वास्थ्य जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

Gariaband Health Breaking News उन्होंने बताया कि अगर ओ.आर.एस. न हो तो घर पर ही एक गिलास पानी में एक चम्मच शक्कर व एक चुटकी नमक मिलाकर जीवन रक्षक घोल तैयार किया जा सकता है। गांव में मितानिनों या डिपो होल्डर के पास ओ.आर.एस. और दवाईयां लेकर प्राथमिक उपचार के पश्चात् निकट के स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सक के पास जाकर मरीज को भर्ती कर उपचार कराना चाहिए। लू लगना या हीट-स्ट्रोक, खतरनाक एवं जानलेवा भी हो सकता है।

लू के लक्षण – सिर में भारीपन और दर्द, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीने का न आना, अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना, भूख न लगना व बेहोश होना।
लू से बचाव के उपाय- इसके लिए बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर ना जाये। धूप में निकलने से पहले सर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह से बांध ले। पानी अधिक मात्रा में पिये। अधिक समय तक धूप में न रहे। गर्मी के दौरान मुलायम सूती कपड़े पहने ताकि हवा और कपड़े पसीने को सोखते रहे। अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस. घोल पिये। चक्कर, उल्टी आने पर छायादार स्थान पर विश्राम करें। शीतल पेय जल पिये, फल का रस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें। प्रारंभिक सलाह के लिए 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से नि:शुल्क परामर्श ले। उल्टी, सर दर्द, तेज बुखार की दशा में निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र से जरूरी सलाह ले।

Gariaband Health Breaking News लू लगने पर किया जाने वाला प्रारंभिक उपचार – बुखार से पीडि़त व्यक्ति के सर पर ठंडे पानी की पट्टी लगायें, कच्चे आम का पना, जलजीरा आदि, पीडि़त व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लेटायें, शरीर पर ठंडे पानी का छिडक़ाव करते रहें, पीडि़त व्यक्ति को शीघ्र ही किसी नजदीकी चिकित्सा केन्द्र में उपचार हेतु ले जायें, आंगनबाड़ी मितानिन तथा ए.एन.एम. से ओ.आर.एस. की पैकेट के लिए संपर्क करें।

क्या करें – भीषण गर्मी में लू से बचाव हेतु पर्याप्त पानी पीये भले ही प्यास न लगे, मिर्गी या हृदय, गुर्दे या लीवर से संभावित रोग वाले जो तरल प्रतिबंधित आहार लेते हो या जिनको द्रव्य प्रतिधारण की समस्या है, उनको तरल सेवन बढ़ाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। अपने आप को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस घोल, घर के बने पेय जैसे- लस्सी, नींबू का पानी, छाछ आदि का सेवन करें।
क्या न करें- धूप में बाहर जाने से बचे, नंगे पाँव बाहर न जाए, दोपहर के समय खाना पकाने से बचे, शराब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड शीतल पेय से बचे, ये शरीर को निर्जलित करते हैं। अधिक प्रोटीन वाले भोजन से बचे।

सावधानियां– जितना हो सके घर के अंदर रहे, नमक, जीरा, प्याज का सलाद और कच्चे आम जैसे पारंपरिक उपचार हीट स्ट्रोक को रोक सकते हैं। बंद वाहन में बच्चे और पालतू जानवरों को अकेला न छोडे, पंखे और नम कपड़े का प्रयोग करे। डंडे पानी में स्नान करे। अपने घर या कार्यालय में आने वाले विक्रेताओं तथा सामान पहुंचाने वाले लोगों को पानी पिलाये और पेड़ लगाये, सूखी पत्तियों, कृषि अवशेषो तथा कचरें को न जलायें।

चिकित्सालयों में ’’लू’’ हिट स्ट्रोक के प्रबंधन एवं बचाव:

बाह्य रोगी विभाग में आने वाले सभी मरीज़ों में लू के लक्षण की अवश्य जांच करें। प्रत्येक अस्पतालों में कम से कम दो बिस्तर इन मरीजों के लिए आरक्षित किया जाये। वार्ड में शीतलता हेतु कूलर अथवा अन्य उपाय किया जाये। बाह्य रोगी कक्ष में बैठने की उचित प्रबंध के साथ ठंडे पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाये। प्रत्येक मरीज को ’’लू’’ से बचाव की जानकारी अनिवार्य रूप से दी जाये, कि पर्याप्त मात्रा में पानी अवश्य पिये, छोटे बच्चों को कपड़े से ढक़कर छाया वाले स्थान पर रखें।

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बाह्य रोगी विभाग में आने वाले सभी मरीजों का ’’लू’’ के लक्षण की जॉच अवश्य करें। प्राथमिक उपचार कक्ष में ओ.आर.एस. कार्नर बनाया जाये। बाह्य रोगी के ऐसे मरीज जिन्हें उपचार पश्चात् वापसी हेतु अधिक दूरी जाना है, को आवश्यकतानुसार ठहरने की व्यवस्था किया जाये। पर्याप्त मात्रा में इन्ट्रावेनस फ्लूड, ओ.आर.एस. पैकेट, बुखार की दवा की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये। अत्यधिक गर्मी से पीडि़त बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं एवं गंभीर रुप से बीमार व्यक्तियों के ईलाज हेतु अस्पताल में पर्याप्त व्यवस्था की जाये। सभी जिला तथा ब्लाक मुख्यालयों में कण्ट्रोल रुम स्थापित किये जाये। अत्यधिक प्रभावित स्थानों को चिन्हांकित किया जावे तथा उनके प्रबंधन हेतु मोबाईल चिकित्सा दल की व्यवस्था की जाये।

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