G7 Summit in Hiroshima 2023 : 43 साल बाद कोई इंडियन प्रधानमंत्री हिरोशिमा पहुंचे, जापान से PM मोदी ने पाक-चीन को लगाई लताड़
G7 Summit in Hiroshima 2023 : नई दिल्ली: pm मोदी, प्रभावशाली देशों के समूह G-7 में शामिल होने के लिए जापान के हिरोशिमा पहुँच गए हैं। वहाँ pm मोदी ने भारतीय समुदाय के लोगों से बात की। बता दें कि, pm मोदी पहले ऐसे भारतीय प्रधानमंत्री हैं,
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G7 Summit in Hiroshima 2023 : जो 1974 में भारत द्वारा किए गए परमाणु परीक्षण के बाद, अमेरिका के एटमी हमलों से कभी तबाह हुए शहर हिरोशिमा पहुंचे हैं। G-7 की मीटिंग हिरोशिमा शहर में ही आयोजित किया जा रहा है।
एयरपोर्ट से उतारकर प्रधानमंत्री मोदी हिरोशिमा के होटेल शेरेटन पहुंचे, जहाँ प्रवासी भारतीयों ने प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया। भारतीयों ने अपने हाथों में तिरंगा ले रखा था और वे ‘मोदी… मोदी…’ के नारे लगा रहे थे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने उन लोगों के साथ बातचीत की।
पीएम मोदी वर्ष 1974 में पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षण के बाद पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो जापान के हिरोशिमा गए हैं। पीएम मोदी से पहले भारत के प्रथम पीएम जवाहरलाल नेहरू साल 1957 में हिरोशिमा का दौरा किया था।
बता दें कि वर्ष 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम से हमला किया था। इसके बाद ये दोनों शहर बुरी तरह तबाह हो गए थे। विध्वंस झेलने के बाद जापान परमाणु अस्त्र के प्रसार के विरुद्ध काम करने लगा।
G7 Summit in Hiroshima 2023
इसी दौरान वर्ष 1974 में इंदिरा गाँधी की सरकार ने पहला परमाणु परीक्षण किया था। भारत द्वारा परमाणु परीक्षण किए जाने का सीधा असर जापान के साथ रिश्तों पर पड़ा। कई पश्चिमी देश भारत के खिलाफ खड़े हो गए थे।
वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने वापस परमाणु परीक्षण किया, तो जापान ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। इस वजह से भारत का कोई प्रधानमंत्री हिरोशिमा नहीं जा सका।
हिरोशिमा पहुँचकर पीएम मोदी ने शुक्रवार को जापान की एक मीडिया हाउस निकेई एशिया को इंटरव्यू दिया। इसमें उन्होंने कहा कि भारत पड़ोसी मुल्कों के साथ मधुर रिश्ते चाहता है। इसमें पड़ोसी देशों की जिम्मेदारी है
कि वे आतंकवाद और दुश्मनी को भुलाकर मिलकर कार्य करें। चीन को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध और तैयार है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, ‘चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति जरूरी है। भारत-चीन संबंधों का भविष्य का विकास सिर्फ आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और हितों पर आधारित हो सकता है।
इससे इस क्षेत्र को ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व को लाभ होगा।’ इस दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के प्रश्न पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यदि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को स्थायी बनने से दूर रखा जाता है तो उसकी विश्वसनीयता और फैसले लेने की क्षमता पर सवाल खड़े करते रहेंगे।