प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से – रायपुर : सफर महानगर का…

From the pen of editor-in-chief Subhash Mishra – Raipur: Travel of the metropolis…

– सुभाष मिश्र
कलचुरी राजा ब्रह्मदेव राय ने 1402 में खारुन नदी के तट पर इस स्थान पर एक नगर की स्थापना की इसे रायपुर नाम दिया गया. कई सदियों से ये शहर इस इलाके के लिए प्रमुख व्यापारिक और राजनैतिक केन्द्र रहा है. कई राजवंश आए और चले गए, अंग्रेज आए, देश को आजादी मिली ये शहर अपनी अहमियत हर दौर में कायम रखने में कामयाब रहा. अंग्रेजों के समय ये इलाका सीपी बरार का हिस्सा रहा वहीं 1956 से 31 अक्टूबर 2000 तक मध्यप्रदेश का एक प्रमुख संभाग के तौर पर रायपुर रहा.

जानेमाने कवि विनोद कुमार शुक्ल की एक बेहद चर्चित कविता है- ‘रायपुर बिलासपुर संभाग’ इस कविता में विनोदजी राजनांदगांव के ग्रामीण इलाके से पलायन कर जा रहे लोगों की व्यथा को अपने अंदाज में स्थानीयता के आधार पर रेखांकित किया है. इस दौरान उनकी एक लाइन आती है कि नांदगांव से ट्रेन में सवार होकर दूर बसे असम या कलकत्ते जा रहे इन लोगों में बहुतों ने तो पहली बार रायपुर जैसा बड़ा शहर देखा होगा. चलिए इसी बहाने विनोद जी की इस चर्चित कविता की कुछ लाइन पढ़ लेते हैं…

‘कुछ लोगों को छोड़
बहुतों ने देखा होगा
पहली बार आज
रायपुर इतना बड़ा शहर
आज पहली बार रेलगाड़ी, रोड-रोलर , बिजली नल ।
छोड़ कर अपना गाँव
जाने को असम का चाय-बगान, आजमगढ़
कलकता, करनाल, चण्डीगढ़
लगेगा कैसा उनको, कलकत्ता महानगर !! याद आने की होगी
बहुत थोड़ी सीमा
चन्द्रमा को देखेंगे वहाँ
तो याद आएगा शायद
गाँव के छानी-छप्पर का सफ़ेद रखिया
आकाश की लाली से
लाल भाजी की बाड़ी
नहीं होगी ज़मीन
जहाँ जरी खेड़ा भाजी…. ।“

साल 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होता है और इस नए राज्य की राजधानी रायपुर को बनाई जाती है. यहां से रायपुर ने विकास की एक नई रफ्तार पकड़ी, इस दौरान नवा रायपुर नाम से एक और शहर बसाने की कवायद शुरू हुई. हालांकि इसे अभी पूरी तरह आकार लेने में कई साल लगेंगे. शहर में कई बड़ी औद्योगिक ईकाइयां स्थापित हो गई. इसके चलते कई प्रदेशों से लोग रोजी रोटी की तलाश में रायपुर आने लगे. इस तरह हमारा रायपुर ठेठ छत्तीसगढ़िया पन के साथ ही पूरे देश की परंपरा और संस्कृति को खुद में समेटे हुए है. इसी तरह शहर में राष्ट्रीय स्तर कै कई बड़े शैक्षणिक संस्थान और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े अस्पताल खुलने से भी क्षेत्र में अलग पहचान बनाई है.

पुराना रायपुर शहर जिसे तालाबों की नगरी के तौर पर भी जाना जाता है, वो अब बढ़ती आबादी का दबाव झेलने के लिए पर्याप्त नहीं रह गया है. महानगरीय जरूरतों के हिसाब से अब यहां कई कॉलोनियां दूर दूर तक बसाई जा रही हैं. अब शहर का नया मास्टर प्लान 2031 बना है इसके तहत अब रायपुर को एक महानगर की शक्ल देने की तैयारी है. नए प्लान का दायरा 503.67 वर्ग किमी रहेगा। जनसंख्या अभी की तुलना में 5 लाख अधिक होने का अनुमान है, इसलिए 30 से ज्यादा नई एमआर सड़कें नए प्लान में रखी गई हैं।

इस प्लान के तहत शहर का दायरा पूर्व दिशा में मंदिरहसौद तक, पश्चिम में कुम्हारी तक, उत्तर में सिमगा और दक्षिण में पुराना धमतरी रोड में खिलौरा तक होगा. देखा जाए तो उत्तर में सिमगा को छोड़ दिया जाए तो बाकी इलाके शहर से जुड़ गए हैं. उत्तर दिशा में औद्योगिक ईकाइयां होने के कारण कारखाने तो धरसिंवा तक पहुंच गए हैं, लेकिन उस तरह की आवासीय कॉलोनियां विकसित नहीं हुई हैं जैसा कि दूसरे इलाकों में हो चुकी हैं या निर्माणाधीन है. इसके साथ ही 2041 में 50 लाख की आबादी के हिसाब से शहर का मास्टर प्लान बनाने की तैयारी की जा रही है.

प्रसंगवश – अहमद महफूज की ये पंक्तियां
सुना है शहर का नक़्शा बदल गया ‘महफ़ूज़’
तो चल के हम भी ज़रा अपने घर को देखते हैं

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