Editor in chief सुभाष मिश्र की कलम से-धान के कटोरे में चावल पर राजनीति

From the pen of Editor in Chief Subhash Mishra - Politics on rice in the paddy bowl

सुभाष मिश्र

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां के किसान और कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से 23250 किस्मों के धान की प्रजाति को संचित करके रखा गया है। छत्तीसगढ़ के किसानों का एक बड़ा वर्ग एक फसली धान की फसल पर आश्रित है। धान के कुल रकबे 32 लाख 19 हजार में से 32 प्रतिशत रकबा ही सिंचित है। बाकी बरसात पर निर्भर करता है। इसके बावजूद यहां धान की भरपूर पैदावार होती है। यदि हम पिछले कुछ सालों के धान की खरीदी के आंकड़ों पर गौर करें तो हमें पता चलता है कि धान का रकबा और उपार्जन हर साल बढ़ रहा है।

पिछले पांच सालों में छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के आंकड़ों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि 2018-19- 80 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी, 2019-20- 84 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी, 2020-21-93 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी, 2021-22 – 98 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी, 2022-23-107 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई। इस वर्ष एक नवंबर से 120 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य है। अभी हाल ही में केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने छत्तीसगढ़ सरकार पर चांवल खरीदी में घोटाले का आरोप लगाया है। इस साल प्रदेश में चुनाव है। चुनाव नजदीक आने के साथ ही प्रदेश में धान को लेकर एक बार फिर घमासान होता नजर आ रहा है। एक तरफ जहां राज्य सरकार धान खरीदने का दावा करती है तो दूसरी ओर भाजपा केंद्र सरकार द्वारा धान खरीदने की बात कहती है। इन सबके बीच धान में भ्रष्टाचार करने का आरोप राज्य सरकार पर लगने लगा है। बीते दिनों केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल अचानक चावल की जांच करने के लिए राजधानी रायपुर पहुंचते हैं। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य सरकार पर धान खरीदी में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया।

वहीं एफसीआई का निरीक्षण करने के बाद दावा किया कि प्रदेश में बड़ा घोटाला किया गया है। केंद्र सरकार ने गरीबों के लिए जो चावल भेजा है, उसमें बड़ी गड़बड़ी है। कांग्रेस सरकार ने पिछली बार का ही 61 लाख मीट्रिक टन चावल पूरा नहीं दिया। इसका उत्पाद तक ही इतना नहीं है तो यह 86.5 लाख मीट्रिक टन चावल कहां से देंगे। इसमें घोटाला होने की पूरी आशंका है। ईमानदारी से अगर यह 100 लाख मीट्रिक टन चावल भी देंगे तो केंद्र सरकार लेनी को तैयार है। इसके जवाब में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि हमें केन्द्र सरकार से 6 हजार करोड़ रुपए पीडीएस का लेना है वह तो दे नहीं रहे हैं उल्टे हमारे द्वारा 2500 रुपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदने के कारण चांवल नहीं खरीदा। केन्द्र सरकार चांवल का कोटा भी नहीं बढ़ा रही है। हमारा 86 लाख मीट्रिक टन का कोटा घटाकर 61 लाख कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ में पिछले खरीफ सीजन में सरकार ने 110 लाख टन धान समर्थन मूल्य पर खरीदने का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य के विरुद्घ 107 लाख टन से ज्यादा की खरीदी हुई। इस बार जब धान खरीदी शुरू होगी (नवंबर) तब राज्य में विधानसभा चुनाव का माहौल रहेगा। ऐसे में सरकार किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने की कोशिश करेगी। सरकार इस बार 125 लाख टन धान खरीदी का लक्ष्य रख सकती है। इस खरीदी के लिए सरकार करीब 32 हजार करोड़ का कर्ज लेगी।

छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने घोषणा की है कि छत्तीसगढ़ के किसान इस बार प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान बेच सकेंगे। सरकार ने इस बार यह लक्ष्य बढ़ा दिया है। अभी तक किसानों से 15 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान खरीदी की जा रही थी। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में धान खरीदी के लिए खरीदी केन्द्रों की संख्या में वृद्धि के साथ ही पंजीकृत किसानों से धान खरीदी के लिए मैन्युअल टोकन के साथ-साथ ऑनलाईन टोकन जारी करने की व्यवस्था टोकन तुंहर हाथ एप के माध्यम से की गई है। जिसके चलते राज्य में धान खरीदी शुरुआती दिन 01 नवम्बर से लेकर आखिरी दिन 31 जनवरी तक धान खरीदी राज्य में निर्बाध रूप से जारी रही। राज्य में 24.98 लाख पंजीकृत किसानों और 32.19 लाख हेक्टेयर रकबा को देखते हुए इस साल 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का अनुमान था।

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