Indian democracy will get more strength from RVM प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से – आरवीएम से मिलेगी भारतीय लोकतंत्र को और मजबूती 

From the pen of Editor-in-Chief Subhash Mishra – Indian democracy will get more strength from RVM

प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से – आरवीएम से मिलेगी भारतीय लोकतंत्र को और मजबूती

– सुभाष मिश्र

हमारे देश में लोकतांत्रिक मुल्यों की जड़ें काफी मजबूत है, हम इसको सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयोग भी कर रहे हैं। भारतीय चुनाव आयोग ने रिमोट वोटिंग व्यवस्था करने की पहल की है। जबकि दुनिया में कई बड़े औऱ विकसित देश अपने यहां ईवीएम जैसी प्रणाली भी लागू नहीं कराई है, ऐसे में तकनीक के इस्तेमाल और उस पर भरोसे के मामले में हम भारतीय दुनिया के कई देशों से काफी आगे चल रहे हैं।
भारत जैसे विशाल देश में करीब 45 करोड़ लोग अपने घर से दूर काम काज या अन्य कारणों से रहते हैं। पिछले आम चुनाव में करीब 30 करोड़ लोग इसके चलते वोट नहीं डाल पाए थे। ऐसे में रिमोट वोटिंग सिस्टम के माध्यम से वे अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर पाएंगे। भारत में बहुत साल तक चुनाव मतदान पत्र की मदद से कराये जाते रहे हैं लेकिन यह प्रक्रिया काफी महँगी, धीमी और पर्यावरण विरुद्ध थी। इस कारण देश में प्रयोग के तौर पर पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग 1982 में केरल के ‘पारुर विधानसभाÓ क्षेत्र में किया गया था। इसके बाद 1999 के लोकसभा चुनावों में भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में किया गया था। जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद से भारत में प्रत्येक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन द्वारा ही संपन्न करायी जा रही है।
भारत सहित दुनिया के कई देशों में ईवीएम की मदद से चुनाव कराये जाते हैं और भारत भूटान, नेपाल, जॉर्डन, मालदीव, नामीबिया, और इजिप्ट को ईवीएम से सम्बंधित तकनीकी सहायता उपलब्ध कराता है। हालाँकि इंग्लैंड, फ्ऱांस, जर्मनी, नीदरलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों ने ईवीएम के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। कुल मिलाकर 31 देशों में ईवीएम को इस्तेमाल किया गया है जिनमें से केवल 4 देशों में इसे पूरे देश में इस्तेमाल किया जाता है, 11 देशों में इसे देश के कुछ हिस्सों या कम महत्वपूर्ण चुनावों में इस्तेमाल किया जाता है, 3 देशों जर्मनी, नीदरलैंड और पुर्तगाल ने ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया है जबकि 11 देशों ने इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया है और बंद करने का फैसला कर लिया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा युवाओं और शहरी वोटर्स की वोटिंग में इनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए आरवीएम क्रांतिकारी बदलाव होगा। मल्टी कॉन्स्टीटुएंसी रिमोट ईवीएम एक रिमोट पोलिंग बूथ से 72 निर्वाचन क्षेत्रों को संभाल सकती है। अगर सब कुछ ठीक तरह से चला तो अगले साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है उनमें छत्तीसगढ़ भी शामिल हैं, उनमें इसे कुछ स्थानों पर मॉडल के तौर पर इन्ट्रोड्यूस किया जा सकता है। इसे हम साल 2023 में होने वाले सकारात्मक बदलाव के तौर पर देख सकते हैं। बहरहाल साल 2023 सभी के जीवन में मंगल लेकर आए। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की इस कविता के माध्यम से सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं
नए साल की शुभकामनाएँ!

खेतों की मेड़ों पर धूल भरे पाँव को
कुहरे में लिपटे उस छोटे से गाँव को
नए साल की शुभकामनाएं!
जाँते के गीतों को बैलों की चाल को
करघे को कोल्हू को मछुओं के जाल को
नए साल की शुभकामनाएँ!
इस पकती रोटी को बच्चों के शोर को
चौंके की गुनगुन को चूल्हे की भोर को
नए साल की शुभकामनाएँ!
उनको जिनने चुन-चुनकर ग्रीटिंग कार्ड लिखे
उनको जो अपने गमले में चुपचाप दिखे
नए साल की शुभकामनाएँ!
साल का पहला दिन वैसे बहुत खास इसलिए भी होता है क्योंकि इस दिन हम सब के प्रिय कवि और आज के दौर के सबसे जरूरी कवि विनोद कुमार शुक्ल का जन्मदिन है। ऐसे में जो अपने घर लौटकर नहीं आ पा रहे हैं उनके लिए जो लोग घर से दूर रहते हैं उन्हें उनका मताधिकार दिलाने के लिए हमारा निर्वाचन आयोग आरवीएम के माध्यम से बड़ा कदम उठाने जा रहा है। लेकिन जो हमारे घर नहीं आ सकते उनके लिए विनोद जी की ये कविता समर्पित है।

जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे
मैं उनसे मिलने
उनके पास चला जाऊँगा।
एक उफनती नदी कभी नहीं आएगी मेरे घर
नदी जैसे लोगों से मिलने
नदी किनारे जाऊँगा
कुछ तैरूँगा और डूब जाऊँगा
पहाड़, टीले, चट्टानें, तालाब
असंख्य पेड़ खेत
कभी नहीं आएँगे मेरे घर
खेत-खलिहानों जैसे लोगों से मिलने
गाँव-गाँव, जंगल-गलियाँ जाऊँगा।
जो लगातार काम में लगे हैं
मैं फुरसत से नहीं
उनसे एक ज़रूरी काम की तरह
मिलता रहूँगा—
इसे मैं अकेली आखरी इच्छा की तरह
सबसे पहली इच्छा रखना चाहूँगा।

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