Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – सियासत में सफाई की कोशिश !

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

दुश्मनी जमकर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों ।।

मशहूर शायर बशीर बद्र की इस शेर को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव तारीखों का ऐलान करते हुए किया। लगातार नेताओं के एक दल से दूसरे दल में जाने का सिलसिला चल पड़ा, उस पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि राजनेताओं को नफरत भरे बयानों से बचना होगा। उन्होंने कहा है कि हमने राजनीतिक दलों से कहा है कि वे चुनाव आयोग की गाइडलाइन को अपने स्टार कैम्पेनर के संज्ञान में लाएं। पिछली बार नैतिक सेंसर था, लेकिन अब हम अतीत भी देखेंगे। अगर किसी ने नफरत भरे भाषण दिए, निजी जिंदगी से जुड़े पहलुओं पर गलत बयान दिए, धार्मिक नफरत फैलाने की बात कही तो कार्रवाई होगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव में हिंसा कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इसे रोकने के लिए आयोग की ओर से कई जरूरी कदम उठाए गए हैं। अक्सर हम देखते हैं कि लोग अपनी लाइन बड़ी करने के लिए दूसरों की लाइन छोटी करने की कोशिश करते हैं। लोग राजनीति में भी खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए विरोधी के खिलाफ बोलते हुए सारी मर्यादा खो देते हैं। इसे ही मर्यादित करने के लिए एक प्रयास इस बार निर्वाचन आयोग की तरफ से किया जा रहा है। राजीव कुमार ने कहा कि भौगोलिक, सांस्कृतिक रूप से विविध इस देश के सबसे बड़े चुनाव के लिए हमने दो वर्ष तक तैयारी की है। हमारे पास 97 करोड़ मतदाता हैं। यह संख्या अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया के कुल मतदाताओं से कहीं ज्यादा है। हमारे पास 10.5 लाख मतदान केंद्र हैं, जिनकी जिम्मेदारी डेढ़ करोड़ लोगों के पास होती है। 55 लाख ईवीएम हैं। चुनाव आयोग अब तक 17 आम चुनाव और 400 से ज्यादा विधानसभा चुनाव करा चुका है। पिछले 11 चुनाव शांतिपूर्ण रहे हैं। अदालती मुकदमे कम हुए हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल किया गया है, ताकि बाद में कोई यह नहीं कहे कि हमें नहीं बताया गया। जिलाधिकारियों ने हर जिले में राजनीतिक दलों के साथ बैठकें की हैं। उनकी आपत्तियों का निराकरण किया गया है।
राजीव कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग समेत किसी की भी आलोचना करने की पूर्ण स्वतंत्रता है, लेकिन फेक न्यूज, अफवाहें फैलाने की आजादी नहीं है। ये बेहद महत्वपूर्ण बात है। राजनीति में एक दूसरे की नीतिगत आलोचना करने की छूट है, ऐसा होना भी चाहिए तभी आम जनता को जनप्रतिनिधियों की मंशा के बारे में पता चलता है, लेकिन आलोचना के नाम पर किसी का चीर हरण की आजादी नहीं दी जा सकती। सोशल मीडिया के इस दौर में बेहद आसानी से किसी का भी मीम बनाकर या दूसरे तरीके अपनाकर उसका मान मर्दन कर दिया जाता है। लोग किसी को भी इस तरह मूर्ख या महाबलि साबित कर देते हैं। इस तरह फेक कंटेंट को लेकर निर्वाचन आयोग काफी गंभीर है। उसने साफ किया है कि अगर कोई झूठा नरैटिव फैला रहा है तो हम उसका पुरजोर मुकाबला करेंगे।
झूठा के कारोबार पर काबू पाने के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट पर झूठ बनाम हकीकत नाम से शृंखला शुरू की जाएगी। मतदाताओं से भी अनुरोध है कि सोशल मीडिया पर जो भी आए, उसे आंख बंदकर आगे न बढ़ाएं। झूठ के बाजार में रौनक बहुत होती है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि हमने राजनीतिक दलों से कहा है कि वे चुनाव आयोग की गाइडलाइन को अपने स्टार कैम्पेनर के संज्ञान में लाएं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि राजनीतिक दलों को निजी टिप्पणियों-हमलों से बचना चाहिए। हम उनसे कहना चाहेंगे कि दुश्मनी जमकर करें, लेकिन यह गुंजाइश रहे कि जब कभी दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों। आजकल जल्दी-जल्दी दोस्त बनने और जल्दी-जल्दी दुश्मन बनने की प्रक्रिया ज्यादा चल रही है।
लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही पूरे देश भर में आचार संहिता 16 मार्च से प्रभावित हो गई है। इसके तहत भारत निर्वाचन आयोग ने कई दिशा निर्देश जारी किए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बहुत से राज्यो में चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर कैश बरामद होते रहे हैं। ऐसे में इस बार के चुनाव में भी भारत निर्वाचन आयोग की पैनी नजर इसको लेकर रहेगी। यदि आप बगैर कोई प्रमाण के 50,000 से अधिक कैश लेकर निकल रहे हैं तो आप चुनाव आयोग के जांच के दायरे में आ जायेंगे। इसी तरह 10 लाख से अधिक के कैश आपके पास से बरामद होता है तो चुनाव आयोग की टीम तत्काल आयकर विभाग से इसकी जांच कराएगी।
आदर्श आचार संहिता को लेकर चुनाव के दरम्यान आयोग की नजर राजनीतिक दलों के साथ-साथ प्रत्याशियों के ऊपर रहेगी। इसके लिए भारत निर्वाचन आयोग ने आदर्श आचार संहिता से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। जारी दिशा-निर्देश के अनुसार जब राजनीतिक दलों की आलोचना की जाएगी तो उसे उनकी नीतियों और कार्यक्रम, विगत रिकॉर्ड और कार्य तक ही सीमित रखा जाएगा। दल और अभ्यर्थी दूसरे दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना करने से अलग रहेंगे जो उनकी सार्वजनिक गतिविधियों से नहीं जुड़ी हुई है। इतना ही नहीं वोट हासिल करने के लिए जाति या संप्रदाय की भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी। मस्जिदों, चर्चो, मंदिरों और पूजा के अन्य स्थानों का चुनाव प्रचार के मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं कोई भी राजनीतिक दल या प्रत्याशी अपने अनुयायियों को किसी भी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी भूमि, भवन परिसर की दीवारों इत्यादि पर झंडा लगाने, बैनर लटकाने, सूचना चिपकाने, नारा लिखने इत्यादि की अनुमति नहीं देगा।
चुनाव आयोग ने इसके साथ ही इस चुनाव में ‘चार एमÓ पर कड़ी नजर रखने की बात कही है। ये चार रू मनी, मिस इंफॉर्मेशन, मसल पावर और एमसीसी वॉयलेशंस हैं। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर भी पैनी नजर रखने की बात कही है। ईसीआई ने लोगों से भी फेक न्यूज पर नजर रखने की अपील की है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि फेक न्यूज पर आयोग की नजर के साथ ही आम मतदाता को भी अलर्ट रहना होगा। ताकि लोगों को गलत जानकारी देने से बचाया जा सके। राजीव कुमार ने बिना सत्यता की जांच किए किसी भी मैसेज को फॉरवर्ड न करने की अपील की है। निर्वाचन आयोग ने इस तरह चुनाव में और राजनीति में एक साफ-सुथरा माहौल बनाने की कोशिश है। उम्मीद है कि उनकी ये कोशिश हमारी राजनीति में स्थाई अनुशासन बन जाए।

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