Freedom of expression अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करे पाकिस्तानः अमेरिका
Freedom of expression वाशिंगटन/इस्लामाबाद ! अमेरिका ने पाकिस्तान से “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करने और एक्स सहित किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक पहुंच बहाल करने” का आह्वान किया है।
अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हम पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और इंटरनेट पर आंशिक या पूर्ण पाबंदी, जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी शामिल हैं, की रिपोर्ट से चिंतित हैं।हम पाकिस्तान से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करने और प्रतिबंधित किए गए किसी भी सोशल मीडिया तक लोगों की पहुंच बहाल करने का आह्वान करते हैं। ”
उन्होंने कहा कि अमेरिका पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान इन मौलिक स्वतंत्रताओं का सम्मान करने के महत्व पर जोर देता रहेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने आधिकारिक चैनलों के माध्यम से पाकिस्तान को अपनी स्थिति बता दी है।
Freedom of expression उधर, वैश्विक मोबाइल ऑपरेटरों का संगठन पाकिस्तान में इंटरनेट पर लगे प्रतिबंधों से चिंतित है
‘द न्यूज’ की गुरुवार की रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल पारिस्थितिकी तंत्र को एकीकृत करने वाले एक वैश्विक संगठन वैश्विक मोबाइल संचार प्रणाली (जीएसएमए) ने चुनाव के दिन पाकिस्तान में कनेक्टिविटी और इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने पर चिंता व्यक्त की है और इसे मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है।
जीएसएमए के एक प्रतिनिधि ने चुनाव के दिन ही, 2024 के आम चुनावों के दौरान पाकिस्तान में कनेक्टिविटी और इंटरनेट सेवाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों और उसके बाद सेवा गुणवत्ता जारी गिरावट के बारे में संगठन की चिंताओं को व्यक्त करने के लिए पाकिस्तान के कार्यवाहक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री उमर सैफ से संपर्क किया।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय निकाय ने कहा कि ये प्रतिबंध व्यक्तियों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, जैसा कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सम्मेलनों में उल्लिखित है।
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उन्होंने कहा, “लंबे समय तक प्रतिबंध नागरिकों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक और आर्थिक कल्याण पर दूरगामी नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं और विश्वास को नुकसान पहुंचा सकते हैं। व्यवसायों पर नुकसान के अलावा, प्रतिबंध क्रेडिट और निवेश योजनाओं को बाधित कर सकते हैं, अंततः अर्थव्यवस्था और विदेशी निवेश के प्रबंधन के लिए देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।”