Forest rights letter वन अधिकार पत्र बना हितग्राहियों का साहारा
बेदखल के भय से हुए चिंतामुक्त
Forest rights letter दंतेवाड़ा । राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप पात्र हितग्राहियों को व्यक्तिगत वन अधिकार, सामुदायिक वन अधिकार एवं वन संसाधन अधिकार मान्यता पत्र से उनका मालिकाना हक मिल रहा है। इससे वनवासियों के अधिकारों की रक्षा होने के साथ एवं वनों का उचित प्रबंधन भी हो रहा है।
मुख्यमंत्री बघेल के लिए गए निर्णयों से इसी ग्रामीणों को भूमि से बेदखली का डर खत्म हो गया है। राज्य सरकार की योजना के तहत उनके द्वारा काबिज भूमि का वन अधिकार पट्टा मिल गया है। वर्षों से काबिज जमीन पर अब मालिकाना हक मिलने से उनके परिवार में खुशी का माहौल है। अब वे बेफिक्र होकर अपने जीवन यापन के लिए अपनी भूमि में खेती कर उपयोग में ले सकते हैं।
जिले में कलेक्टर विनीत नंदनवार के मार्गदर्शन में आदिवासी विकास विभाग के द्वारा अब तक व्यक्तिगत वन अधिकार (ग्रामीण) के तहत 10088 दावाकर्ताओं को 14056.496 हेक्टेयर वन अधिकार मान्यता पत्र वितरण किया गया है। नगरीय निकाय अतंर्गत 38 दावाकर्ताओं को रकबा 0.010 हेक्टेयर वन अधिकार मान्यता पत्रक प्रदान किया गया।
सामुदायिक वन अधिकार (ग्रामीण) को धारा 3 (1) 1150 रकबा 22722.060 हेक्टेयर, धार 3 (2)504 रकबा 244.110 हेक्टेयर कुल 1654 कुल रकबा 22966.170 हेक्टयर भूमि का वन अधिकार दिया गया। सामुदायिक वन अधिकार (नगरीय निकाय) अंतर्गत मान्यता पत्र कुल संख्या 2 रकबा 16.293 हेक्टयर भूमि का वन अधिकार प्रदान किया गया है।
सामुदायिक वन संसाधन अतंर्गत जिले में कुल 80 रकबा 33366.089 हेक्टयर प्रकरण स्वीकृत किये गये। सामुदायिक उपयोग के लिए वन भूमि पर आवश्यकतानुसार वनोपज संग्रहण अन्य जीविकोपार्जन की वस्तुएं प्राप्त तथा संग्रहण कर जीवन स्तर उठाने में सहयोग मिल रहा है। इन हितग्राहियों को वनाधिकार पट्टे प्रदाय सहित भूमि समतलीकरण एवं मेड़ बंधान के लिए सहायता प्रदान करने के फलस्वरूप खेती-किसानी को बढ़ावा मिला है। वहीं डबरी निर्माण के जरिये हितग्राही मछली पालन एवं साग-सब्जी उत्पादन कर आय संवृद्धि कर रहे हैं।
वन अधिकार मान्यता अधिनियम से जहां वनवासियों जो वनों में निवास कर रहे है, चाहे वह जनजाति कोई भी हो, को भूमि स्वामी का हक मिल रहा है, वही जमीन का पट्टा मिलने से शासन की योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
व्यक्तिगत वन अधिकार मिलने से ग्रामीणों के जीवन में भी बदलाव आया है। व्यक्तिगत वन अधिकार मिलने से स्वयं की जमीन पर ग्रामीण खेती-किसानी करके अपना और अपने पूरे परिवार का जीवनयापन अच्छे ढंग से करा पा रहा है। राज्य शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है।
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जिसके तहत मूल निवासियों को जल, जंगल एवं जमीन के संपूर्ण प्रबंधन उपयोग सहित संरक्षण एवं पुनर्जीवन हेतु संपूर्ण अधिकार पहली बार प्रदान किया गया है।