Flagship मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की फ्लैगशिप योजनाओं से ग्रामीणों के जीवन में आ रहा बदलाव

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Flagship मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की फ्लैगशिप योजनाओं से ग्रामीणों के जीवन में आ रहा बदलाव

Flagship  महासमुंद । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने काम का तरीका बदला है। अब वे अपने निवास और दफ्तर के डैश बोर्ड से अपनी सरकार की योजनाओं की ऑनलाइन मानिटरिंग भी करते है। राज्य की फ्लैगशिप योजनाओं नरवा-गरवा-घुरूवा-बाड़ी, मुख्यमंत्री सुपोषण योजना, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना, मुख्यमंत्री शहरी स्लम अस्पताल योजना आदि का कार्यालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन करते है। मुख्यमंत्री पहले अपने स्तर पर प्रदेशव्यापी भेंट मुलाक़ात के दौरान आम जानता से ज़मीनी हक़ीक़त साझा भी की।

जि़ले के महासमुंद सहित सभी विकासखंण्ड के गांवों में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति के अलावा वहां के भूमिहीन एवं गरीब परिवारों की समस्याओं का समाधान, ग्रामीण महिलाओं का सामाजिक, आर्थिक एवं उनकी राजनीतिक क्षेत्र में सहभागिता तथा विभिन्न राज्य स्तरीय योजनाओं तथा पंचायती राज व्यवस्था के तहत ग्रामीणों के जीवन में गुणवत्तापूर्ण सुधार आ रहा है। घर परिवार की स्थिति पहले की अपेक्षा अधिक मज़बूत हुई है। गांव में पहले से अधिक रोजग़ारन्मुखी काम होने से ग्रामीणजन दूसरे राज्यों, नगरों व शहरों में रोजग़ार की तलाश में जाने वालों की संख्या कम हुई है। क्योंकि उन्हें रोजग़ार अपने गांव, गौठान, रिपा में विभिन्न गतिविधियों में मिल रहा है। सरल भाषा में कहे तो सरकारी विभिन्न योजनाओं से ग्रामीणों के जीवन में बदलाव आ रहा है। गांव में रोजग़ार के साधन बढ़े है।

राज्य सरकार ने सहकारी बैंकों और छत्तीसगढ़ ग्रामीण विकास बैंक में सभी किसानों के 30 नवम्बर 2018 तक के अल्पकालीन कृषि ऋणों को माफ करने का आदेश आज जारी किया था। राज्य सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले से छत्तीसगढ़ की सहकारी समितियों के 16 लाख से ज्यादा किसानों को 6100 करोड़ रूपए के ऋणों से मुक्ति मिली। महासमुंद के भी किसान शामिल थे।

शिक्षा के क्षेत्र में भी गांवों में आश्चर्यजनक रूप से प्रगति हुई है। आज जि़ले के ग्रामीण अंचलों में अनेक इंटरमीडिएट और डिग्री कॉलेज मौजूद हैं। इसके अलावा अनेक संस्थाएं एवं ट्रस्ट भी ग्रामीण इलाकों में अंग्रेजी माध्यम वाले पब्लिक स्कूल खोल रहे हैं। ग्रामीण अंचलों में शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन तो अवश्य हुआ है। इसके अलावा स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल भी खोलें गए है। जहाँ बच्चें इंग्लिश मीडियम में नि: शुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे है। पालकों-अविभावकों के पैसे बच रहे है।क्योंकि प्राइवेट अंग्रेजी स्कूल की फ़ीस काफ़ी ज़्यादा होती है। इन स्कूलों में गऱीब परिवार के पालकगण अपने बच्चों को शिक्षा देने में असमर्थ होते है पर अब ऐसा नहीं है। गऱीब परिवार का बच्चा भी स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल में दाख़िला लेकर अंग्रेज़ी में शिक्षा प्राप्त कर रहा है। ऐसी तमाम योजना छत्तीसगढ़ सरकार संचालित कर रही है।

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गौठानों में स्व-सहायता समूह की महिलाओं को बड़ी संख्या में विभिन्न विभागों के समन्वय से मल्टीएक्टीविटी व्यवसायों से जोडक़र आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी के तहत जिले में जल संरक्षण एव संवर्धन के साथ-साथ किसानों के लिए सिंचाई के साधन भी उपलब्ध हो रहे है। आपको गांव में जाकर पता चलेगा कि पालकों से दो रूपये किलो में गोबर खरीदा जा रहा है। जि़ले में अब तक इस योजना में गोबर खऱीदी कर 11 करोड़ 66 लाख 15 हज़ार का भुगतान किया जा चुका। गौठानों में समूह की महिलायें वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन कर रही है। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। साथ ही अब समूह की महिलायें रिपा अन्तर्गत गोबर डिस्टम्पर बना रही है। बिरकोनी गौठान में हाल ही शुरुआत में 1800लीटर डिस्टम्पर पेंट का उत्पादन किया। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से 1000 लीटर डिस्टम्पर का ऑडर मिला है।

जि़ले के विकासखंड बागबाहरा के अंदरूनी गाँव कोमाखान की एकता महिला समूह बिहान दीदीयों के जज़्बे के आगे लोहा ने भी नरमी दिखाई है। यहाँ की बिहान समूह की महिलायें आजीविका के रूप में लोहे की तार फेंसिंग का निर्माण कर अपनी आय में वृद्धि कर रही है। इन महिलाओं ने अब तक 140 क्विंटल माल खऱीदा और बण्डल तार फेंसिंग का निर्माण कर 1.90 लाख रुपए से अधिक का विक्रय किया जा चुका है। सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा माँग की जा रही है। जि़ले के गौठानों में बाड़ के लिए समूह द्वारा निर्मित तार फेंसिंग लगायी जा रही है।

राज्य सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से सरकार द्वारा सभी शासकीय विभागों, निगम-मंडलों, स्थानीय निकायों में रंग-रोगन कार्य के लिए गोबर पेंट का उपयोग पहले ही अनिवार्य किया जा चुका है। गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी करके इससे वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पाद निर्मित किये जा रहे हैं। गोबर से विद्युत उत्पादन और प्राकृतिक डिस्टम्पर पेंट निर्माण की शुरूआत की गई है। गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिली है। गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। ग्रामीणों, पशुपालकों एवं महिला समूहों को आय का अतिरिक्त जरिया मिला है।

पिछले मई माह में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री बिश्व भूषण हरिचन्दन महासमुंद जिले के ग्राम सिरपुर (बांसकुड़ा) में क़मार जनजाति की बिहान समूह की महिलाओं और हितग्राहियों से मुलाक़ात के दौरान उन्हें कार्यक्रम परिसर में आंगनबाड़ी और सरकारी उचित मूल्य की दुकान को गोबर डिस्टम्पर पेंट से रंगाई-पुताई से अवगत कराया, जिसकी सराहना हुई। सभी सरकारी स्कूल, कार्यालयों में आवश्यकता अनुसार रंगाई-पुताई गोबर डिस्टम्पर पेंट से कराने के निर्देश कलेक्टर ने दिए है ।

पिछले नवंबर में सचिवालय प्रशिक्षण प्रबंधन संस्थान (आईएसटीएम) और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) नई दिल्ली के सहयोग से केन्द्रीय सचिवालय भारत सरकार के विभिन्न विभागों के दल के 40 असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर ने महासंमुद और बागबाहरा विकासखंण्ड के 20 गांवों में जाकर गांव की सामाजिक, आर्थिक स्थित का अध्ययन किया। उन्होंने जिले के गौठानों में स्व-सहायता समूह की महिलाओं से भी उनकी आर्थिक बेहतर बनाने किए जा रहे केंद्र और राज्य शासन की योजनाओं की जानकारी भी ली ।

गांव में सरकारी योजनाओं से लाभान्वित हितग्राहियों, गौठानों में चल रही मल्टीएक्टिविटी और बिहान दीदियों द्वारा उत्पादित की जा रही सामग्री गांव से रू-ब-रू- हुए आदि के अनुभव साजा किए। कुछ ऑफिसरों ने गांव के विकास के विचार रखें। उन्हें राज्य सरकार की फ्लैशिप योजनाओं की जानकारी विस्तृत जानकारी दी। जिले के गौठानों में स्व-सहायता समूह की महिलाओं को बड़ी संख्या में विभिन्न विभागों के समन्वय से मल्टीएक्टीविटी व्यवसायों से जोडक़र आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी के तहत जिले में जल संरक्षण एव संवधर्न के साथ-साथ किसानों के लिए सिंचाई के साधन भी उपल्बध हो रहे है।

उन्हें गांव में जाकर पता चला कि पालकों से दो रूपये किलो में गोबर खरीदा जा रहा है। गौठानों में समूह की महिलायें वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन तो कर रही है। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। इसके अलावा समूह की महिलायें रिपा अन्तर्गत गोबर से डिस्टम्पर और कार्ड बोर्ड (थर्माकोल शीट) पर कम्प्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल सिस्टम (सीएनसी) का उपयोग कर विभिन्न डिजाइन के धार्मिक व अन्य सज़ाबटी सामग्री निर्मित कर रही है।

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