exclusive- 13 साल की नियमित सेवा, 32 साल का खा रहे मेवा

exclusive- 13 साल की नियमित सेवा, 32 साल का खा रहे मेवा
0 समाज कल्याण विभाग का कारनामा
संजय दुबे, विशेष संवाददाता

रायपुर। समाज कल्याण विभाग ने एक हैरतअंगेज कारनामा किया है। विभाग के एक संयुक्त संचालक ने 13 वर्ष नियमित शासकीय सेवा की और 32 वर्ष की नियमित सेवा अवधि बताकर पेंशन का लाभ ले रहे हैं। उक्त अधिकारी के खिलाफ करोड़ों रूपये के वित्तीय अनियमितताओं के मामले विभागीय जाँच में लंबित हैं। इतना ही नहीं भ्रष्टाचार के कुछ मामले वर्ष 2018 से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय में चल रहे हैं, इन सबके बाबजूद उनके आधे-अधूरे दस्तावेजों के आधार पर बिना कुछ जांचे-परखे पेंशन स्वीकृत कर दी गई।

exclusive- 13 साल की नियमित सेवा, 32 साल का खा रहे मेवा
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आधिकारिक सूत्रों व उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार, समाज कल्याण विभाग के एक संयुक्त संचालक राजेश कुमार तिवारी एक जनवरी 2020 से प्रतिनियुक्ति पर अपने सेवानिवृति के दिन 30 जून 2022 तक इसी विभाग के उप सचिव पद पर पदस्थ रहे। उनका मूल पद संयुक्त संचालक, समाज कल्याण विभाग का था लेकिन आरोप है कि उन्होंने प्रतिनियुक्ति अवधि को अपना पूरा सेवाकाल बताकर सामान्य प्रशासन विभाग से पेंशन प्रकरण तैयार करवाया।

संविदा नियुक्ति को बता दिया नियमित सेवा
जानकारी के मुताबिक राजेश कुमार तिवारी की पहली तदर्थ नियुक्ति 2 फरवरी 1990 में छह माह के लिए बिलासपुर स्थित पुनर्वास केंद्र में अर्थोटिक इंजिनियर के रूप में हुई थी। इसके बाद तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने उनकी सेवा 6 महीने और बढ़ा दी। तदर्थ नियुक्ति में रहते हुए मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित नहीं किये जाने पर सरकार ने उनकी तदर्थ नियुक्ति समाप्त कर दी। बाद में समाज कल्याण विभाग भोपाल ने 31 मार्च 1993 को उसी पद पर श्री तिवारी को एक साल की संविदा नियुक्ति दी। इस संविदा नियुक्ति की अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें किसी भी तरह की नियुक्ति नहीं दी गई। इसी विभाग के एक पूर्व कर्मचारी कुंदन सिंह ठाकुर ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को शिकायत भेजकर आरोप लगाया है कि समाज कल्याण विभाग के कुछ अधिकारियों से मिलीभगत कर श्री तिवारी बिना नियुक्ति आदेश पत्र के ही बिलासपुर के पुनर्वास केंद्र में काम करते रहे।
किसी भी तरह का विधिवत नियुक्ति आदेश पत्र नहीं होने के बाद भी छत्तीसगढ़ राज्य गठन के उपरांत विभागीय अधिकारियों ने उन्हें बिलासपुर से हटाकर रायपुर स्थित समाज कल्याण विभाग के मुख्यालय में संलग्न कर दिया। यह भी आरोप है कि समाज कल्याण विभाग ने वर्षों पहले समाप्त हो चुकी श्री तिवारी की संविदा नियुक्ति की जानकारी छुपाकर और उनकी नियुक्ति को तदर्थ बताकर मंत्रिपरिषद से मंजूरी लेकर 25 जून 2009 से नियमितीकरण का आदेश जारी कर दिया। वे 30 जून 2022 को सेवानिवृत हो गए। शासकीय सेवक के रूप में उनकी कुल नियमित सेवा अवधि 13 वर्ष की है। इसी आधार पर उन्हें तृतीय समयमान वेतनमान की पात्रता नहीं होने का आदेश भी जारी किया गया था। लेकिन पेंशन प्रकरण में उन्होंने इन तथ्यों को छुपाते हुए सन 1990 में हुई पहली तदर्थ नियुक्ति को नियमित शासकीय सेवा बताकर अपनी सेवा अवधि 32 वर्ष 4 माह 17 दिन करवा डाली। पिछले एक वर्ष से अधिक समय से वे इसी आधार पर पेंशन भी प्राप्त कर रहे हैं।

लोकसेवा आयोग से परामर्श नहीं
लेखापरीक्षा विभाग ने भी अपने जांच प्रतिवेदन में श्री तिवारी की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े किये थे। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियमों के अनुसार किसी भी सेवा या पद पर नियुक्त करने के पहले लोकसेवा आयोग (कृत्यों की परिसीमा) विनियम 1957 के अधीन लोकसेवा आयोग से परामर्श किया जाना आवश्यक है। लेखापरीक्षा की नमूना जाँच में पाया गया कि वर्ष 2009 में उनकी नियुक्ति के पूर्व लोकसेवा आयोग से परामर्श नहीं लिया गया था।

14 साल का एक साथ कराया ऑडिट
मई 2018 में समाज कल्याण विभाग के विशेष सचिव आर प्रसन्ना ने श्री तिवारी की कार्यप्रणाली को लेकर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसमें कहा गया था कि राज्य श्रोत संस्थान माना कैम्प में कार्यकारी निदेशक के पद पर रहने के दौरान उन्होंने 14 वर्षों का ऑडिट एक साथ एक बार में कराया था, जबकि ऑडिट प्रतिवर्ष होना चाहिए था। श्री प्रसन्ना ने इसे घोर वित्तीय अनियमितता मानते हुए इसके लिए श्री तिवारी को जिम्मेदार ठहराया था। साथ ही विभागीय जाँच कराने की बात भी कही थी।

क्या कहते हैं वरिष्ठ अधिकारी
समाज कल्याण विभाग के अपर संचालक पंकज वर्मा के मुताबिक उनके विभाग द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं बनती है। इसकी वजह है रिटायरमेंट के पहले राजेश तिवारी को प्रतिनियुक्ति पर उपसचिव बना दिया गया था और उनकी सेवा सामान्य प्रशासन विभाग के अधीन हो गई थी, भले ही वे समाज कल्याण विभाग के उप-सचिव थे। वे इसी पद पर रहते हुए सेवानिवृत हुए। अत: इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग ही कार्रवाई कर सकता है। समाज कल्याण विभाग के सचिव अमृत खलको ने इस मामले से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि जल्द ही मामले की जानकारी लेने के बाद वे कुछ बता पाएंगे। दूसरी ओर सामान्य प्रशासन विभाग के आला अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से बचते रहे।

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