Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से -प्रेरणादायक इन दो महानायकों का संघर्ष

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से -प्रेरणादायक इन दो महानायकों का संघर्ष

– सुभाष मिश्र
आज सुभाष की बात में दो हस्तियों पर बात करने जा रहे हैं और इनके माध्यम से समझने की कोशिश करेंगे देश में सामाजिक और राजनीति बदलाव को। सबसे पहले बात करेंगे यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की जिनका सोमवार को देहांत हो गया। वे लंबे समय से स्वास्थ्यगत कारणों से परेशान थे। दूसरे चरण में हम महानायक अमिताभ बच्चन की बात करेंगे।

82 साल की उम्र में मुलायम सिंह यादव अपने साथ जुड़ी कई यादों को यहीं छोड़कर इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए हैं। भारतीय राजनीति में मुलायम सिंह यादव एक ऐसा नाम है जिन्होंने हमेशा उत्तरप्रदेश और देश की राजनीति को नई दिशा देने की कोशिश की है। मुलायम सिंह को नेताजी बनाने वालों में सबसे अहम नाम था राम मनोहर लोहिया का। राम मनोहर लोहिया और राज नारायण के समाजवादी विचारों का प्रभाव और बढ़ा। वे अपने कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष बने। यही वह दौर था जब लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी जातिवाद के उन्मूलन, कीमतों में बढ़ोत्तरी और अंग्रेजी भाषा के खिलाफ अभियान चला रही थी।

राममनोहर लोहिया के बाद मुलायम सिंह यादव कद्दावर किसान नेता चौधरी चरण सिंह के शागिर्द बने। इसके बाद अमर सिंह से उनकी नजदीकी रही, अमर सिंह एक पॉलिटिकल मैनेजर के रूप में अपनी धाक सियासी गलियारे में बनाई थी। ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले मुलायम सिंह यादव ने अपने गांव सैफई से अपना नाता हमेशा जोड़े रखा। सैफई महोत्सव में बॉलीवुड कलाकारों के जमावड़े को लेकर हमेशा चर्चे में रहे। मुलायम सिंह अपने असहमति के लिए हमेशा जाने जाते थे। ऐसे ही कुछ घटनाएं हैं जिनके कारण उन्हें याद किया जाएगा उनमें1990 में उन्होंने आंदोलनकारी कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था। इस घटना में कई लोग मारे गए। उनके इस फैसले की काफी आलोचना भी हुई थी। मुलायम ने खुद एक बार कहा था कि वह फैसला उनके लिए आसान बिल्कुल नहीं था।

साल 1992 में नेताजी ने जनता दल से अलग होकर समाजवादी पार्टी का गठन करना उनका बड़ा फैसला था। हिंदी पट्टी में एक दल बनाना और उसे सफलतापूर्वक शिखर तक ले जाने का जादू बहुत कम नेता कर पाए हैं। वे प्रधानमंत्री पद के भी दावेदार रहे लेकिन सियासी समीकरण के उलट जाने से उन्हें सफलता नहीं बन पाई, लेकिन केन्द्र सरकार बनाने और बचाने में कई सालों तक उनकी अहम भूमिका रही है। मनमोहन सिंह के नेतृत्व में देश में यूपीए सरकार थी। साल 2008 में अमेरिका के साथ परमाणु करार के बाद जब वामपंथी दलों ने यूपीए से अपना गठबंधन पीछे कर दिया तो उस वक्त मुलायम सिंह ही थे जो संकटमोचक बनकर सामने आए और यूपीए सरकार को गिराने से बचा लिया। इस तरह मुलायम राजनीति फौलादी इरादों वाले नेता के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे।

इसी तरह उत्तर प्रदेश की ही गलियारे से निकलकर विश्व में एक जगमगाता सितारा बनने वाले अमिताभ बच्चन आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। हम उनके दीर्घायु होने स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं। उनका जीवन सफर भी आदमी के लिए एक प्रेरणा है। शुरुआती दौर में उनकी बनी एंग्री यंग मैन की छबि से हर आम और खास कनेक्ट करने लगा था। सिस्टम करप्शन समाज में व्याप्त ऊंच-नीच के खिलाफ उनका प्रतिरोध ने लोगों को एक नई आवाज दी। अमिताभ ने देखते ही देखते सीने जगत के उस ऊंचाई पर पहुंच गए जहां से हर किरदार बौना नजर आने लगा। इसके बाद एक दौर आया जब अमिताभ बच्चन जैसे सितारे को नाकामियों का सामना करना पड़ा लेकिन इस रिल लाइफ के नायक ने रियल लाइफ में वापसी की और दीवालिया की स्थिति से वापसी करते हुए एक बार फिर बुलंदी पर लौट आए। इस बार उनकी वापसी में मुख्य भूमिका निभाई उन्हीं अमर सिंह ने जिन्होंने मुलायम सिंह के साथ मिलकर राजनीति को एक मैनेजमेंट का गेम बनाया था। आखिर में हम मुलायम सिंह यादव को आज की जनधारा परिवार की ओर से श्रद्धांजलि देते हैं।

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